थराली: पिंडर घाटी में लंबे समय से ग्वालदम-कर्णप्रयाग राष्ट्रीय राजमार्ग पर मींग गधेरे के समीप मानकों को ताक पर रखकर हॉट मिक्स प्लांट (Hot Mix Plant) का खुलेआम संचालन किया जा रहा है. लेकिन संबंधित अधिकारी इसका संज्ञान नहीं ले रहे हैं. इस कारण हाॅट मिक्स संचालकों के हौंसले बुलंद बने हुए हैं.
दरअसल, 5-6 साल पहले ग्वालदम-कर्णप्रयाग राष्ट्रीय राजमार्ग जो कि सीमा सड़क संगठन के अधीन है, चौड़ीकरण के बाद सरकार ने इस सड़क के मध्य में मींग गदेरे के पास सड़क किनारे तमाम पाबंदियों के साथ हाॅट मिक्स प्लांट स्थापित करने की स्वीकृति दी थी. लेकिन पिछले एक वर्ष से भी अधिक समय से बीआरओ के द्वारा सड़क पर न तो हाॅट मिक्स का काम किया जा रहा है और न ही किसी सड़क पर पेंटिंग का काम किया जा रहा है. इसके बावजूद हाॅट मिक्स प्लांट पर धड़ल्ले से मानकों, नियम-कानून को ताक पर रखकर रात के अंधेरे में मिक्सिंग कर प्रति रात 20 से 30 ट्रक तैयार कर माल बहारी क्षेत्रों में भेजा जा रहा है. अंधेरा होते ही मिक्सिंग का कार्य शुरू हो जाता है और उजाला होते ही प्लांट पर तमाम गतिविधियां पूरी तरह बंद कर दी जाती हैं.
जब बीआरओ के द्वारा पेंटिंग व हाॅट मिक्स का काम पूरी तरह बंद है तो ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि रात के अंधेरे का फायदा उठाकर इस हॉट मिक्स प्लांट से सामग्री आखिर भेजी कहां जा रही है. प्लांट के समीप रात होते ही डंपरों की कतार लग जाती है. प्लांट को रात के समय अवैध तरीके से चलाया जा रहा है. अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए जिम्मेदार विभाग कुछ नहीं कर रहा है. राष्ट्रीय राजमार्ग के जिस स्थान पर प्लांट स्थापित किया गया है वहां पर सड़क के दोनों ओर रोड़ी, रेत के ढेर लगाए गए हैं. जिसका सीधा प्रभाव यातायात पर पड़ रहा है. आज तक पुलिस, प्रशासन और बीआरओ के द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवैध रूप से रखे गए उपखनिज के भंडारण को हटाने और इसके संबंध में जानने तक का प्रयास नहीं किया जा रहा है.
थराली उपजिलाधिकारी सुधीर कुमार के मुताबिक उन्हें हॉट मिक्स प्लांट के रात्रि में संचालित होने की कोई जानकारी नहीं है. मामले में जांच की जाएगी. इस हॉट मिक्स प्लांट की दूरी नारायणबगड़ तहसील मुख्यालय से करीब 3 किमी और थराली तहसील से करीब 10 किमी है. प्रति दिन यहां से अधिकारियों का आना-जाना लगा रहता है.
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बता दें कि, पिछले 5-6 वर्षों से हाॅट मिक्स प्लांट का जिस स्थान पर संचालन किया जा रहा है, उसके आसपास के पेड़-पौधों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. यहां पर अभी तक छोटे-बड़े पेड़-पौधे सूख चुके हैं. पश्चिमी वन रेंज नारायणबगड़ के जिम्मेदार लोग इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. प्लांट के चारों ओर उड़ने वाली धूल को रोकने के लिए टिन तक खड़े नहीं किए गए हैं.
यहां पर जलने वाली बिजली भी बनने लगी हैं रहस्य: दरअसल जिस स्थान पर प्लांट स्थापित हैं, वहां बिजली की कोई भी ओपन लाइन नहीं है. बावजूद इसके इस स्थान पर रात-दिन जले रहने वाली बिजली रहस्य बनी हुई है. लोगों का सवाल है कि यह बिजली की लाइन कहां से लाई गई है.