चमोली: संतानदायिनी दत्तात्रेय माता सती अनुसूया मेले का विधि विधान से आगाज हो गया है. सैकड़ों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी ने इस मेले का शुभारंभ किया. वहीं, देर शाम तक करीब 335 बरोही (निसंतान दंपति) ने संतान की प्राप्ति के लिए इस मंदिर में पंजीकरण करवाया है.
बता दें कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दशोली ब्लॉक के बणद्वारा, खल्ला, सगर,देवल्धार, और कठूड़ बहनों की पूजा की गई. वहीं, पांचों देव डोलियों के मिलन को देखने बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूग रहे. इस मौके पर भक्तों ने माता अनुसूया और ज्वाला के जय जयकारों के साथ देव डोलियों का भव्य स्वागत किया.
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कार्यक्रम के दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी ने कहा कि जिले में धार्मिक मेले हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं. जिनके संरक्षण के लिए हर स्तर पर प्रयास किये जाएंगे. उन्होंने ग्रामीणों को अनुसूया देवी मंदिर मार्ग और मंदिर परिसर के विकास का भरोसा दिलाया.
जानें एतिहासिक दृष्टि में क्या है पूजा का विधान
संतान दायिनी माता अनुसूया को लेकर ग्रामीणों की मान्यता है कि दत्तात्रेय जयंती पर जो भी निसंतान दंपति यहां पूजा अर्चना करते हैं उन्हें संतान की प्राप्ति होती है. इस पर्व पर गांव के मंदिरों, सगर, बणद्वारा, देवल्धार, कठुड़ और खल्ला की देवी डोलिया मंदिर पहुंचती है.
गौर हो कि मंदिर में विशेष पूजाओं के बाद निसंतान महिला को रात्रि के समय अनुष्ठान में भाग लेना होता है. जिसके बाद आने वाले स्वप्न्न के बाद महिला अपने पति के साथ मंदिर के पास स्थित धारे से स्नानकर लौट आती है. मान्यता है कि महिला को स्वप्न्न में फल दिखाई देने पर संतान की प्राप्ति होती है.