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आस्था: माता सती की आराधना से होती है संतान प्राप्ति, अनुसूया मेले में पहुंचे सैकड़ों निसंतान दंपत्ति - mata sati anusuya fair started in chamoli

संतानदायिनी दत्तात्रेय माता सती अनुसूया मेला विधि विधान के साथ शुरू हो गया है. लोगों की मान्यता है कि निसंतान दंपत्ति के पूजा अर्चना से संतान की प्राप्ति होती है.

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मेला जहां होती है पुत्र कि प्राप्ति
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Published : Dec 12, 2019, 12:33 PM IST

Updated : Dec 12, 2019, 3:03 PM IST

चमोली: संतानदायिनी दत्तात्रेय माता सती अनुसूया मेले का विधि विधान से आगाज हो गया है. सैकड़ों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी ने इस मेले का शुभारंभ किया. वहीं, देर शाम तक करीब 335 बरोही (निसंतान दंपति) ने संतान की प्राप्ति के लिए इस मंदिर में पंजीकरण करवाया है.

बता दें कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दशोली ब्लॉक के बणद्वारा, खल्ला, सगर,देवल्धार, और कठूड़ बहनों की पूजा की गई. वहीं, पांचों देव डोलियों के मिलन को देखने बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूग रहे. इस मौके पर भक्तों ने माता अनुसूया और ज्वाला के जय जयकारों के साथ देव डोलियों का भव्य स्वागत किया.

निसंतान दंपत्तियों को होती है संतान प्राप्ति.

यह भी पढ़े : हरिद्वारः कुंभ भूमि पूजन के लिए अखाड़ा परिषद देगा अमित शाह को न्योता, ये है खास वजह

कार्यक्रम के दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी ने कहा कि जिले में धार्मिक मेले हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं. जिनके संरक्षण के लिए हर स्तर पर प्रयास किये जाएंगे. उन्होंने ग्रामीणों को अनुसूया देवी मंदिर मार्ग और मंदिर परिसर के विकास का भरोसा दिलाया.

जानें एतिहासिक दृष्टि में क्या है पूजा का विधान

संतान दायिनी माता अनुसूया को लेकर ग्रामीणों की मान्यता है कि दत्तात्रेय जयंती पर जो भी निसंतान दंपति यहां पूजा अर्चना करते हैं उन्हें संतान की प्राप्ति होती है. इस पर्व पर गांव के मंदिरों, सगर, बणद्वारा, देवल्धार, कठुड़ और खल्ला की देवी डोलिया मंदिर पहुंचती है.

गौर हो कि मंदिर में विशेष पूजाओं के बाद निसंतान महिला को रात्रि के समय अनुष्ठान में भाग लेना होता है. जिसके बाद आने वाले स्वप्न्न के बाद महिला अपने पति के साथ मंदिर के पास स्थित धारे से स्नानकर लौट आती है. मान्यता है कि महिला को स्वप्न्न में फल दिखाई देने पर संतान की प्राप्ति होती है.

चमोली: संतानदायिनी दत्तात्रेय माता सती अनुसूया मेले का विधि विधान से आगाज हो गया है. सैकड़ों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी ने इस मेले का शुभारंभ किया. वहीं, देर शाम तक करीब 335 बरोही (निसंतान दंपति) ने संतान की प्राप्ति के लिए इस मंदिर में पंजीकरण करवाया है.

बता दें कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दशोली ब्लॉक के बणद्वारा, खल्ला, सगर,देवल्धार, और कठूड़ बहनों की पूजा की गई. वहीं, पांचों देव डोलियों के मिलन को देखने बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूग रहे. इस मौके पर भक्तों ने माता अनुसूया और ज्वाला के जय जयकारों के साथ देव डोलियों का भव्य स्वागत किया.

निसंतान दंपत्तियों को होती है संतान प्राप्ति.

यह भी पढ़े : हरिद्वारः कुंभ भूमि पूजन के लिए अखाड़ा परिषद देगा अमित शाह को न्योता, ये है खास वजह

कार्यक्रम के दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी ने कहा कि जिले में धार्मिक मेले हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं. जिनके संरक्षण के लिए हर स्तर पर प्रयास किये जाएंगे. उन्होंने ग्रामीणों को अनुसूया देवी मंदिर मार्ग और मंदिर परिसर के विकास का भरोसा दिलाया.

जानें एतिहासिक दृष्टि में क्या है पूजा का विधान

संतान दायिनी माता अनुसूया को लेकर ग्रामीणों की मान्यता है कि दत्तात्रेय जयंती पर जो भी निसंतान दंपति यहां पूजा अर्चना करते हैं उन्हें संतान की प्राप्ति होती है. इस पर्व पर गांव के मंदिरों, सगर, बणद्वारा, देवल्धार, कठुड़ और खल्ला की देवी डोलिया मंदिर पहुंचती है.

गौर हो कि मंदिर में विशेष पूजाओं के बाद निसंतान महिला को रात्रि के समय अनुष्ठान में भाग लेना होता है. जिसके बाद आने वाले स्वप्न्न के बाद महिला अपने पति के साथ मंदिर के पास स्थित धारे से स्नानकर लौट आती है. मान्यता है कि महिला को स्वप्न्न में फल दिखाई देने पर संतान की प्राप्ति होती है.

Intro:संतानदायिनी दत्तात्रेय माता सती अनुसूया मेला आज बुधवार को विधि विधान के साथ शुरू हो गया है। यहां चमोली उखीमठ मोटर मार्ग पर स्थित अनुसूया माता मंदिर गेट पर 5 देव डोलियों और सैकड़ो की संख्या में मौजूद श्रदालुओ की मौजूदगी में जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी ने मेले का शुभारंभ किया ।वहीं देर शाम तक करीब 335 बरोही (निसंतान दंपति) ने अनुसूया देवी मंदिर में पंजीकरण करवा लिया है।

विस्वल बाईट मेल से भेजे है ।


Body:बताते चलें कि आज बुधवार को पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दशोली ब्लॉक के बणद्वारा, खल्ला, सगर,देवल्धार, और कठूड गांव में स्थित मंदिरों में माता अनसूया की पांचों बहनों की पूजा अर्चना की गई ।जिसके बाद गांव से ग्रामीणों ने दोपहर में उत्तराखंड के पारम्परिक बाद्य यंत्र ढोल दमौ के साथ देव डोलियों के साथ अनसूया मंदिर के लिए प्रस्थान किया। सभी डोलियां मंडल में स्थित अनुसूया देवी मंदिर के पैदल के मुख्य द्वार पर एक दूसरे से मिली ।इस दौरान पांचो देव डोलियों के मिलन को देखने बड़ी संख्या में पहले से ही यंहा देवभक्त पहुंचे थे। यहां भक्तों ने मां अनसूया और ज्वाला के जय जयकारों के साथ देव डोलियों का भव्य स्वागत किया ।जिसके बाद देव डोलियों की मौजूदगी में जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी व पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी ने मेले का विधिवत शुभारंभ किया ।

बीओ 1-- यहां आयोजित कार्यक्रम के दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी ने कहा कि जिले में धार्मिक मेले हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं। जिनके संरक्षण के लिए हर स्तर पर प्रयास किये जाएंगे। उन्होंने ग्रामीणों को अनुसूया देवी मंदिर मार्ग और मंदिर परिसर के विकास के लिए हर संभव मदद का भरोसा ग्रामीणों को दिलाया।

बाईट -रजनी भंडारी-अध्य्क्ष ज़िला पंचायत चमोली।




Conclusion:क्या है पूजा का विधान......

संतान दायिनी माता अनसूया को लेकर ग्रामीणों की मान्यता है कि दत्तात्रेय जयंती पर जो भी निसंतान दंपति यहां पूजा अर्चना करते हैं उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। यहां दत्तात्रेय जयंती के पर्व पर क्षेत्र के गांवों के मंदिरों,सगर,बणद्वारा, देवल्धार, कठुड और खल्ला की देवी डोलिया अनसूया मंदिर पहुंचती है। अनसूया माता मंदिर मंडल गांव से करीब 5 किलोमीटर की पैदल दूरी पर स्थित है ।मंदिर में विशेष पूजाओं के बाद निसंतान महिला को रात्रि के समय आयोजित अनुष्ठान में भाग लेना होता है। जिसके बाद यहां आने वाले स्वप्न्न के बाद महिला अपने पति के साथ मंदिर के पास स्थित धारे से स्नान कर लौट आती है।मान्यता है कि महिला को स्वप्न्न में फल दिखाई देने पर संतान की प्राप्ति होती है।

बाईट-स्थानीय।
Last Updated : Dec 12, 2019, 3:03 PM IST
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