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चमोली: बदरीनाथ में सादगी से मनाया गया माता मूर्ति मेला

मान्यता है कि जिस तिथि में भगवान बदरी विशाल जी के कपाट खुलते है. उस दिन से आज तक बदरीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी रावल जी पंचशीला क्षेत्र में ही रहते हैं. वहीं, आज भाद्रपद बावनद्वादशी की तिथि के बाद अब रावल किसी भी स्थान पर आवागमन कर सकते हैं.

चमोली
माता मूर्ति मेला
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Published : Aug 29, 2020, 11:01 PM IST

चमोली: बदरीनाथ धाम में माता मूर्ति का मेला कोरोना संक्रमण के चलते बड़ी सादगी के साथ संपन्न हुआ. आज सुबह ठीक 10 बजे बदरीनाथ मंदिर से रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के नेतृत्व में उद्भव जी एवं नर नारायण जी की चल विग्रह डोलियों ने शोभायात्रा के साथ माणा गांव के ठीक सामने स्थित माता मूर्ति मंदिर के लिए प्रस्थान किया.

माता मूर्ति मंदिर पहुंचने के बाद रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल द्वारा पूरे विधि विधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भगवान नारायण व उद्भव जी सहित माता मूर्ति जी का अभिषेक किया. इसके साथ सभी देवताओं को भोग लगाकर माणा गांव की महिलाओं द्वारा इस साल उगाई गई जौ की हरियाली से श्रृंगारकर पूजा अर्चना की.

सादगी से मनाया गया माता मूर्ति मेला.

ये भी पढ़े: पिथौरागढ़: सड़क की बदहाली को लेकर ग्रामीणों का प्रदर्शन, उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

मान्यता है कि जिस तिथि में भगवान बदरी विशाल जी के कपाट खुलते हैं. उस दिन से आज तक बदरीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी रावल जी पंचशीला क्षेत्र में ही रहते हैं. यहां तक कि वह धाम में किसी भी नदी को पार नहीं कर सकते, यानी रावल जी मंदिर परिसर से बाहर ही नहीं जा सकते हैं. लेकिन आज भाद्रपद बावन द्वादशी की तिथि के बाद अब रावल जी किसी भी स्थान पर आवागमन कर सकते हैं.

वहीं, माता मूर्ति मेला के अवसर पर बदरीनाथ मंदिर आज सुबह 10 बजे से सांय 3 बजे तक मंदिर बंद रहता है. इस साल कोरोना संक्रमण के चलते माता मूर्ति मेले में श्रद्धालुओं का सैलाब देखने को नहीं मिला. सीमित संख्या में ही बदरीनाथ धाम के स्थानीय लोग व तीर्थ यात्री ही माता मूर्ति मेला के साक्षी बने.

चमोली: बदरीनाथ धाम में माता मूर्ति का मेला कोरोना संक्रमण के चलते बड़ी सादगी के साथ संपन्न हुआ. आज सुबह ठीक 10 बजे बदरीनाथ मंदिर से रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के नेतृत्व में उद्भव जी एवं नर नारायण जी की चल विग्रह डोलियों ने शोभायात्रा के साथ माणा गांव के ठीक सामने स्थित माता मूर्ति मंदिर के लिए प्रस्थान किया.

माता मूर्ति मंदिर पहुंचने के बाद रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल द्वारा पूरे विधि विधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भगवान नारायण व उद्भव जी सहित माता मूर्ति जी का अभिषेक किया. इसके साथ सभी देवताओं को भोग लगाकर माणा गांव की महिलाओं द्वारा इस साल उगाई गई जौ की हरियाली से श्रृंगारकर पूजा अर्चना की.

सादगी से मनाया गया माता मूर्ति मेला.

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मान्यता है कि जिस तिथि में भगवान बदरी विशाल जी के कपाट खुलते हैं. उस दिन से आज तक बदरीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी रावल जी पंचशीला क्षेत्र में ही रहते हैं. यहां तक कि वह धाम में किसी भी नदी को पार नहीं कर सकते, यानी रावल जी मंदिर परिसर से बाहर ही नहीं जा सकते हैं. लेकिन आज भाद्रपद बावन द्वादशी की तिथि के बाद अब रावल जी किसी भी स्थान पर आवागमन कर सकते हैं.

वहीं, माता मूर्ति मेला के अवसर पर बदरीनाथ मंदिर आज सुबह 10 बजे से सांय 3 बजे तक मंदिर बंद रहता है. इस साल कोरोना संक्रमण के चलते माता मूर्ति मेले में श्रद्धालुओं का सैलाब देखने को नहीं मिला. सीमित संख्या में ही बदरीनाथ धाम के स्थानीय लोग व तीर्थ यात्री ही माता मूर्ति मेला के साक्षी बने.

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