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अपनी माता मूर्ति से मिले भगवान बदरी विशाल, जयकारों से गूंजा धाम, ये है मान्यता

Mata Murti Mela Mana Village बदरीनाथ मंदिर से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर माणा गांव के पास माता मूर्ति का मंदिर मौजूद है. जहां हर साल भगवान विष्णु यानी बदरी विशाल अपनी माता मूर्ति से मिलने जाते हैं. जो काफी खास होता है. आज के बाद बदरीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी, रावल कहीं भी आ जा सकते हैं. जानिए क्या है ये मान्यता...Barinath Temple Uttarakhand

Mata Murti Mela
बदरीनाथ धाम में माता मूर्ति
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 26, 2023, 7:10 PM IST

चमोलीः विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम में माता मूर्ति का एक दिवसीय मेला हर्षोल्लास के साथ संपन्न हो गया है. इस मौके पर स्थानीय लोगों और यात्रियों ने माता मूर्ति की पूजा अर्चना कर मनौतियां मांगी. इससे पहले भगवान बदरी विशाल माणा गांव स्थित अपने माता मूर्ति से मिलने पहुंचे. जहां अद्भुत मिलन हुआ.

गौर हो कि हर साल वामन द्वादशी पर भगवान बदरी विशाल अपनी माता मूर्ति के दर्शन के लिए सीमांत गांव माणा के ठीक सामने माता मूर्ति नामक स्थान पर पहुंचते हैं. इस बार भी सुबह 10 बजे बदरीनाथ मंदिर परिसर से भगवान बदरी विशाल की उत्सव मूर्ति को रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी के संरक्षण में तीन किलोमीटर पैदल ही माता मूर्ति पहुंचाई गई. जहां रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने विधि विधान के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां मूर्ति की पूजा अर्चना की.

Mata Murti Mela
माणा गांव में माता मूर्ति मेला

इस दौरान सेना और आईटीबीपी के बैंड की धुन के साथ बदरी विशाल के जयकारे लगाए गए. वहीं, बदरी केदार मंदिर समिति की ओर से मां मूर्ति के लिए राजभोग लगाया गया. जिसे प्रसाद के रूप में माणा गांव के ग्रामीणों को विशेष रूप से दिया गया. माणा गांव की महिलाओं ने पौंणा नृत्य किया. पूजा अर्चना के बाद दोपहर 3 बजे माता मूर्ति का मेला संपन्न हुआ. इस मौके पर आइटीबीपी और सेना की ओर से माता मूर्ति में भंडारे भी लगाए गए.
ये भी पढ़ेंः चकराता में चालदा महासू के दर्शन के लिए उमड़ा आस्था का सैलाब, सतपाल महाराज भी हुए अभिभूत

वहीं, माता मूर्ति मेले के चलते शनिवार को बदरीनाथ मंदिर में सभी पूजा अर्चना सुबह 9:30 बजे से बंद कर दी गई. ठीक दस बजे मंदिर के कपाट बंद कर यहां से डोली माता मूर्ति से मिलने के लिए रवाना हुई. दोपहर 3 बजे माता माता मूर्ति मेला संपन्न होने के बाद बदरीनाथ मंदिर के कपाट खोल दिए गए.

बता दें कि भगवान बदरी विशाल की माता मूर्ति का मंदिर नारायण पर्वत की तलहटी में स्थित है. ऐसे में हर साल वामन द्वादशी के दिन माता के आमंत्रण पर स्वयं भू बैकुंठ बदरी विशाल 3 किलोमीटर की दूरी तय कर अपनी माता मूर्ति से मिलने पहुंचते हैं.

ये है मान्यताः ये भी मान्यता है कि जिस तिथि में भगवान बदरी विशाल जी के कपाट खुलते हैं, उस दिन से आज तक यानी वामन द्वादशी तक बदरीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी रावल पंचशीला क्षेत्र में ही रहते हैं. यहां तक कि वो धाम में किसी भी नदी को पार भी नहीं कर सकते. यानी रावल मंदिर परिसर से बाहर ही नहीं जा सकते हैं, लेकिन आज भाद्रपद यानी वामन द्वादशी की तिथि के बाद अब रावल किसी भी स्थान पर आवागमन कर सकते हैं.

चमोलीः विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम में माता मूर्ति का एक दिवसीय मेला हर्षोल्लास के साथ संपन्न हो गया है. इस मौके पर स्थानीय लोगों और यात्रियों ने माता मूर्ति की पूजा अर्चना कर मनौतियां मांगी. इससे पहले भगवान बदरी विशाल माणा गांव स्थित अपने माता मूर्ति से मिलने पहुंचे. जहां अद्भुत मिलन हुआ.

गौर हो कि हर साल वामन द्वादशी पर भगवान बदरी विशाल अपनी माता मूर्ति के दर्शन के लिए सीमांत गांव माणा के ठीक सामने माता मूर्ति नामक स्थान पर पहुंचते हैं. इस बार भी सुबह 10 बजे बदरीनाथ मंदिर परिसर से भगवान बदरी विशाल की उत्सव मूर्ति को रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी के संरक्षण में तीन किलोमीटर पैदल ही माता मूर्ति पहुंचाई गई. जहां रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने विधि विधान के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां मूर्ति की पूजा अर्चना की.

Mata Murti Mela
माणा गांव में माता मूर्ति मेला

इस दौरान सेना और आईटीबीपी के बैंड की धुन के साथ बदरी विशाल के जयकारे लगाए गए. वहीं, बदरी केदार मंदिर समिति की ओर से मां मूर्ति के लिए राजभोग लगाया गया. जिसे प्रसाद के रूप में माणा गांव के ग्रामीणों को विशेष रूप से दिया गया. माणा गांव की महिलाओं ने पौंणा नृत्य किया. पूजा अर्चना के बाद दोपहर 3 बजे माता मूर्ति का मेला संपन्न हुआ. इस मौके पर आइटीबीपी और सेना की ओर से माता मूर्ति में भंडारे भी लगाए गए.
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वहीं, माता मूर्ति मेले के चलते शनिवार को बदरीनाथ मंदिर में सभी पूजा अर्चना सुबह 9:30 बजे से बंद कर दी गई. ठीक दस बजे मंदिर के कपाट बंद कर यहां से डोली माता मूर्ति से मिलने के लिए रवाना हुई. दोपहर 3 बजे माता माता मूर्ति मेला संपन्न होने के बाद बदरीनाथ मंदिर के कपाट खोल दिए गए.

बता दें कि भगवान बदरी विशाल की माता मूर्ति का मंदिर नारायण पर्वत की तलहटी में स्थित है. ऐसे में हर साल वामन द्वादशी के दिन माता के आमंत्रण पर स्वयं भू बैकुंठ बदरी विशाल 3 किलोमीटर की दूरी तय कर अपनी माता मूर्ति से मिलने पहुंचते हैं.

ये है मान्यताः ये भी मान्यता है कि जिस तिथि में भगवान बदरी विशाल जी के कपाट खुलते हैं, उस दिन से आज तक यानी वामन द्वादशी तक बदरीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी रावल पंचशीला क्षेत्र में ही रहते हैं. यहां तक कि वो धाम में किसी भी नदी को पार भी नहीं कर सकते. यानी रावल मंदिर परिसर से बाहर ही नहीं जा सकते हैं, लेकिन आज भाद्रपद यानी वामन द्वादशी की तिथि के बाद अब रावल किसी भी स्थान पर आवागमन कर सकते हैं.

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