गैरसैंण: विधानसभा सत्र के तीसरे दिन बुधवार को सुरक्षा कर्मियों ने राहत की सांस ली. उत्तर प्रदेश के एक राजनीतिक दल के लोग उत्तराखंडियों की पैरवी करने विधानसभा की ओर कूच कर रहे थे. विधानसभा से ठीक 9 किमी दूर एनएच 109 पर बनाये गए पुलिस बैरिकेट पर इन लोगों को रोक दिया गया. वहां पार्टी कार्यकर्ता सड़क किनारे धरने पर बैठ गए.
लखनऊ से प्रदर्शन करने गैरसैंण आए: घटना क्रम के अनुसार गोमती नगर लखनऊ से पंजीकृत भारत की लोक जिम्मेदार पार्टी के कार्यकर्ता, पूर्व अपर सचिव लोकायुक्त जीवन चंद उप्रेती, पूर्व उप प्रबंधक स्कूटर इंडिया दया शंकर जोशी, अधिवक्ता उच्च न्यायालय प्रयागराज दान सिंह रावल, रमेश गोस्वामी साथियों सहित दुकमतासैंण पुलिस बैरियर पर पहुंचे. उन्हें वहां तैनात पुलिस कर्मियों द्वारा रोक लिया गया.
पुलिस ने नहीं पहुंचने दिया विधानसभा: काफी देर तक पुलिस से आगे बढ़ने देने की मांग करने पर भी पुलिस ने उन्हें आगे जाने की अनुमति नहीं दी. इस पर वे वहीं धरने पर बैठ गए. पार्टी अध्यक्ष दान सिंह रावल ने गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाये जाने कि पैरवी की. उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के पश्चात 20 लाख की आबादी प्रदेश से पलायन कर चुकी है. प्रदेश के कुल 16,000 गावों में से 1,000 गावों की जनसंख्या ज़ीरो है. 6,000 गांव खाली होने की कगार पर हैं. हमारी पार्टी का मानना है कि राजनेताओं व सरकार की जिम्मेदारी तय हो.
लोक जिम्मेदार पार्टी ने कही ये बात: दान सिंह ने कहा कि इस बात का खुलासा किया जाना चाहिए कि राज्य गठन के बाद सफेदपोशों व नौकरशाहों की सम्पत्ति में कितनी वृद्धि हुईं है. पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जीवन चंद उप्रेती ने कहा कि प्रदेश के युवाओं को तकनीक और रोजगार मिल जाने पर पलायन की समस्या को कुछ हद तक दूर किया जा सकता है. हिमाचल की तर्ज पर उद्यान को बढ़ावा दे कर भी रोजगार सृजित किये जा सकते हैं. लेकिन सरकार इस ओर कतई ध्यान नहीं दे रही है.
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नेताओं और अफसरों की संपत्ति की जांच की मांग: वन पंचायतों को पुनर्जीवित करने, उद्यान विभाग सहित तमाम विभागों में बरती जा रही अनियमितताओं की जांच किये जाने, भूमि सुधार की दिशा में चकबंदी कानून लागू किये जाने, जंगली जानवरों के आतंक को रोकने और नशा उन्मूलन किये जाने पर गंभीरता से कार्य किये जाने की मांग की गई. इस संबंध में मांग पत्र धरना स्थल पर तैनात मजिस्ट्रेट अभिषेक त्रिपाठी को सौंपा गया. धरना स्थान पर गैरसैंण स्थाई राजधानी संघर्ष समिति अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय सदस्य जसवंत बिष्ट भी समर्थन देने पहुंचे.