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केदारनाथ वन प्रभाग कराएगा हिम तेंदुओं की गिनती, उच्च हिमालय में दिखे थे स्नो लेपर्ड

उच्च हिमालयी क्षेत्र में दुर्लभ हिम तेंदुओं की मौजूदगी हमेशा से हर किसी की उत्सुकता के केंद्र में रही है. उत्तराखंड के परिपेक्ष में देखें तो यहां भी अच्छी-खासी तादाद में हिम तेंदुओं की मौजूदगी का अनुमान है. अब केदारनाथ वन प्रभाग 25 ट्रैप कैमरों की मदद से स्नो लेपर्ड की गणना करा रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि हिम तेंदुआ यानी स्नो लेपर्ड की संख्या का अनुमान लग पाएगा.

snow leopard
स्नो लेपर्ड
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Published : Sep 14, 2021, 6:56 PM IST

Updated : Sep 14, 2021, 7:35 PM IST

चमोलीः उच्च हिमालयी क्षेत्रों में केदारनाथ वन प्रभाग की ओर से हिम तेंदुए (स्नो लेपर्ड) की गणना का कार्य किया जाएगा. इसके लिए उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ट्रैप कैमरे लगाया जा रहे हैं. जिसके बाद स्नो लेपर्ड की गणना का कार्य किया जाएगा. जिसके लिए विभाग की ओर से टीम भेज दी गई है. वहीं, ट्रैप कैमरों से स्नो लेपर्ड के अलावा अन्य वन्य जीवों की भी गणना की जा सकेगी.

बता दें कि केदारनाथ वन प्रभाग की ओर से शीतकाल में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ट्रैप कैमरे लगाए गए थे. जिसमें कई बार स्नो लेपर्ड (Snow Leopard) की मौजूदगी के साक्ष्य विभाग को मिले थे. वर्तमान तक प्रभागीय वन क्षेत्र में स्नो लेपर्ड की संख्या की स्पष्ट जानकारी नहीं है. जिसे देखते हुए पहली बार स्नो लेपर्ड की गणना का कार्य किया जा रहा है. जिसके लिए इन दिनों विभागीय टीम की ओर से ट्रैप कैमरे लगाए जा रहे हैं. आगामी 40 से 45 दिनों में कैमरों का निरीक्षण भी किया जाएगा.

केदारनाथ वन प्रभाग कराएगा हिम तेंदुओं की गिनती.

ये भी पढ़ेंः केदारनाथ वन प्रभाग में मिले हिम तेंदुए के निशान, रखी जाएगी पैनी नजर

केदारनाथ वन प्रभाग के डीएफओ अमित कंवर का कहना है कि प्रभाग में हिम तेंदुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए गणना कार्य करने की योजना तैयार की गई है. वन प्रभाग के केदारनाथ, मद्महेश्वर, रुद्रनाथ और वंशीनारायण क्षेत्रों में करीब 25 ट्रैप कैमरों की मदद से गणना कार्य करने की योजना बनाई गई है. जिससे क्षेत्र में मौजूद स्नो लेपर्ड के साथ ही अन्य वन्य जीवों की भी गणना की जा सकेगी.

उन्होंने बताया कि जहां केदारनाथ और मद्महेश्वर क्षेत्र में ट्रैप कैमरे लगाने का कार्य कर लिया गया है. वहीं, अब रुद्रनाथ और वंशीनारायण क्षेत्र में कैमरे लगाए जाएंगे. ऐसे में पहली बार विभाग को स्नो लेपर्ड की सही संख्या की जानकारी मिलने की उम्मीद है. वन विभाग के पास इन जीवों की संख्या का वास्तविक आंकड़ा नहीं है. अब कैमरे लगाकर स्नो लेपर्ड की गतिविधियों के साथ उनकी संख्या पर नजर रखी जाएगी.

ये भी पढ़ेंः गंगोत्री नेशनल पार्क में बढ़ी हिम तेंदुओं की संख्या, 'लंका' में दिखा स्नो लेपर्ड

क्या है हिम तेंदुआ: स्नो लेपर्ड दुनिया की दुर्लभ प्रजातियों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यह 10 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर पाया जाता है. हिम तेंदुआ बर्फीले क्षेत्र में निवास करने वाला स्लेटी और सफेद फर वाला विडाल कुल और पैंथर उप कुल का स्तनधारी वन्य जंतु है. यह तेंदुए की विश्व स्तर पर विलुप्त प्राय प्रजाति है. यह मध्य एशिया के बर्फीले पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है.

रंग-रूप और आकार: हिम तेंदुए करीब 1.4 मीटर लंबे होते हैं और इनकी पूंछ करीब 90 से 100 सेंटीमीटर तक होती है. इनका भार 75 किलो तक हो सकता है. इनकी खाल पर सलेटी और सफेद फर होते हैं और गहरे धब्बे होते हैं. इनकी पूंछ में धारियां बनीं होती हैं. इनके फर बहुत लंबे और मोटे होते हैं, जो इन्हे ऊंचे और ठंडे स्थानों पर भीषण सर्दी से बचा कर रखते हैं. इन तेंदुओं के पैर भी बड़े और ऊनी होते हैं. ताकि बर्फ पर चलना-फिरना सहज हो सके.

ये भी पढ़ेंः लॉकडाउन के चलते जलवायु से लेकर वन्यजीवों के व्यवहार में आया बदलाव, ये है वजह

15 मीटर की ऊंचाई तक उछलने में सक्षम: ये बिल्ली-परिवार की एकमात्र प्रजाति है, जो दहाड़ नहीं सकती है, लेकिन गुर्रा (बिल्ली के जैसी आवाज) सकती है. हिम तेंदुए अधिकांशत: रात्रि में सक्रिय होते हैं. ये अकेले रहने वाले जीव हैं. लगभग 90 से 100 दिनों के गर्भाधान के बाद मादा 2 से 3 शावकों को जन्म देती है. यह बड़ी आकार की बिल्लियां हैं और लोग इनका शिकार इनके फर के लिए करते हैं.

चमोलीः उच्च हिमालयी क्षेत्रों में केदारनाथ वन प्रभाग की ओर से हिम तेंदुए (स्नो लेपर्ड) की गणना का कार्य किया जाएगा. इसके लिए उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ट्रैप कैमरे लगाया जा रहे हैं. जिसके बाद स्नो लेपर्ड की गणना का कार्य किया जाएगा. जिसके लिए विभाग की ओर से टीम भेज दी गई है. वहीं, ट्रैप कैमरों से स्नो लेपर्ड के अलावा अन्य वन्य जीवों की भी गणना की जा सकेगी.

बता दें कि केदारनाथ वन प्रभाग की ओर से शीतकाल में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ट्रैप कैमरे लगाए गए थे. जिसमें कई बार स्नो लेपर्ड (Snow Leopard) की मौजूदगी के साक्ष्य विभाग को मिले थे. वर्तमान तक प्रभागीय वन क्षेत्र में स्नो लेपर्ड की संख्या की स्पष्ट जानकारी नहीं है. जिसे देखते हुए पहली बार स्नो लेपर्ड की गणना का कार्य किया जा रहा है. जिसके लिए इन दिनों विभागीय टीम की ओर से ट्रैप कैमरे लगाए जा रहे हैं. आगामी 40 से 45 दिनों में कैमरों का निरीक्षण भी किया जाएगा.

केदारनाथ वन प्रभाग कराएगा हिम तेंदुओं की गिनती.

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केदारनाथ वन प्रभाग के डीएफओ अमित कंवर का कहना है कि प्रभाग में हिम तेंदुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए गणना कार्य करने की योजना तैयार की गई है. वन प्रभाग के केदारनाथ, मद्महेश्वर, रुद्रनाथ और वंशीनारायण क्षेत्रों में करीब 25 ट्रैप कैमरों की मदद से गणना कार्य करने की योजना बनाई गई है. जिससे क्षेत्र में मौजूद स्नो लेपर्ड के साथ ही अन्य वन्य जीवों की भी गणना की जा सकेगी.

उन्होंने बताया कि जहां केदारनाथ और मद्महेश्वर क्षेत्र में ट्रैप कैमरे लगाने का कार्य कर लिया गया है. वहीं, अब रुद्रनाथ और वंशीनारायण क्षेत्र में कैमरे लगाए जाएंगे. ऐसे में पहली बार विभाग को स्नो लेपर्ड की सही संख्या की जानकारी मिलने की उम्मीद है. वन विभाग के पास इन जीवों की संख्या का वास्तविक आंकड़ा नहीं है. अब कैमरे लगाकर स्नो लेपर्ड की गतिविधियों के साथ उनकी संख्या पर नजर रखी जाएगी.

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क्या है हिम तेंदुआ: स्नो लेपर्ड दुनिया की दुर्लभ प्रजातियों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यह 10 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर पाया जाता है. हिम तेंदुआ बर्फीले क्षेत्र में निवास करने वाला स्लेटी और सफेद फर वाला विडाल कुल और पैंथर उप कुल का स्तनधारी वन्य जंतु है. यह तेंदुए की विश्व स्तर पर विलुप्त प्राय प्रजाति है. यह मध्य एशिया के बर्फीले पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है.

रंग-रूप और आकार: हिम तेंदुए करीब 1.4 मीटर लंबे होते हैं और इनकी पूंछ करीब 90 से 100 सेंटीमीटर तक होती है. इनका भार 75 किलो तक हो सकता है. इनकी खाल पर सलेटी और सफेद फर होते हैं और गहरे धब्बे होते हैं. इनकी पूंछ में धारियां बनीं होती हैं. इनके फर बहुत लंबे और मोटे होते हैं, जो इन्हे ऊंचे और ठंडे स्थानों पर भीषण सर्दी से बचा कर रखते हैं. इन तेंदुओं के पैर भी बड़े और ऊनी होते हैं. ताकि बर्फ पर चलना-फिरना सहज हो सके.

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15 मीटर की ऊंचाई तक उछलने में सक्षम: ये बिल्ली-परिवार की एकमात्र प्रजाति है, जो दहाड़ नहीं सकती है, लेकिन गुर्रा (बिल्ली के जैसी आवाज) सकती है. हिम तेंदुए अधिकांशत: रात्रि में सक्रिय होते हैं. ये अकेले रहने वाले जीव हैं. लगभग 90 से 100 दिनों के गर्भाधान के बाद मादा 2 से 3 शावकों को जन्म देती है. यह बड़ी आकार की बिल्लियां हैं और लोग इनका शिकार इनके फर के लिए करते हैं.

Last Updated : Sep 14, 2021, 7:35 PM IST
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