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बसंत पंचमी के अवसर पर कवि सम्मेलन का आयोजन, उप जिलाधिकारी ने की शिरकत

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Published : Jan 31, 2020, 3:45 PM IST

Updated : Jan 31, 2020, 4:51 PM IST

चमोली में बसंत पंचमी के अवसर पर जिला मुख्यालय गोपेश्वर में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस दौरान कवियों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.

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बसंत पंचमी के अवसर पर कवि सम्मेलन का आयोजन

चमोली: जिला मुख्यालय गोपेश्वर में बसंत पंचमी के अवसर पर कलम क्रांति साहित्यिक मंच द्वारा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें कवियों ने बसंत के विभिन्न रंगों और पहाड़ी संस्कृति को अपनी कल्पनाओं के जरिए कविताओं में पिरोया.

इस मौके पर कलम क्रांति मंच की संयोजक व वरिष्ठ कवयित्री शशि देवली ने अपनी रचना 'अंतर्मन में आशाओं का दीप जलाने आई हूं, मैं नई सुबह की नई उम्मीद जगाने आई हूं' पढ़ी. तो वहीं, कवि अरुण किशोर भट्ट ने अपनी कविता 'प्रेम में नब्बे फीसद प्रेमी बस रोता है' पढ़ी. कवयित्री नीलम डिमरी के बोल थे 'देखो तो बसंत आ रहा है मेरे सपनों को साकार कर रहा है' पढ़ी.

कवि सम्मेलन का आयोजन

ये भी पढ़ें: पिथौरागढ़: तीसरे दिन भी जारी रहा अनशन, मांगें पूरे न होने पर उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

वहीं, सुनील कुमार की रचना ने अपनी रचना 'गौं का गौं खाली ह्वै ग्या', हास्य कवि बृजेश रावत ने अपनी कविता 'मोबाइल' के जरिए श्रोताओं को खूब हंसाया. तो वहीं, राजा तिवारी ने भी अपनी रचना कुछ यूं प्रस्तुत की... 'ख्वाब में मेरे आ कर ख्वाब से जगाती थी वो' तो मनोज तिवारी की कविता के बोल थे... 'कोई बरगद नहीं बनता यूं ही' और भगत सिंह राणा ने अपनी रचना में कहा कि...'रूप बसंत का देखने आना मेरे देश'.

ये भी पढ़ें: हरादून में एक करोड़ की टैक्स चोरी का खुलासा, एसटीएफ को मिली बड़ी कामयाबी

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करने आए उप जिलाधिकारी बुशरा अंसारी ने कहा कि साहित्य समाज का न सिर्फ दर्पण है बल्कि समाज को दर्पण भी दिखाता है. इस लिए एक बेहतर समाज की रचना के लिए साहित्यकारों को जनता की आवाज भी बनना होगा. वहीं, विशिष्ट अतिथि के रूप में आईं पूर्व पालिका अध्यक्ष प्रेम बल्लभ भट्ट ने कहा कि साहित्यकारों को प्रेम रस से ऊपर उठकर क्रांतिकारी रचनाएं भी लिखनी चाहिए.

चमोली: जिला मुख्यालय गोपेश्वर में बसंत पंचमी के अवसर पर कलम क्रांति साहित्यिक मंच द्वारा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें कवियों ने बसंत के विभिन्न रंगों और पहाड़ी संस्कृति को अपनी कल्पनाओं के जरिए कविताओं में पिरोया.

इस मौके पर कलम क्रांति मंच की संयोजक व वरिष्ठ कवयित्री शशि देवली ने अपनी रचना 'अंतर्मन में आशाओं का दीप जलाने आई हूं, मैं नई सुबह की नई उम्मीद जगाने आई हूं' पढ़ी. तो वहीं, कवि अरुण किशोर भट्ट ने अपनी कविता 'प्रेम में नब्बे फीसद प्रेमी बस रोता है' पढ़ी. कवयित्री नीलम डिमरी के बोल थे 'देखो तो बसंत आ रहा है मेरे सपनों को साकार कर रहा है' पढ़ी.

कवि सम्मेलन का आयोजन

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वहीं, सुनील कुमार की रचना ने अपनी रचना 'गौं का गौं खाली ह्वै ग्या', हास्य कवि बृजेश रावत ने अपनी कविता 'मोबाइल' के जरिए श्रोताओं को खूब हंसाया. तो वहीं, राजा तिवारी ने भी अपनी रचना कुछ यूं प्रस्तुत की... 'ख्वाब में मेरे आ कर ख्वाब से जगाती थी वो' तो मनोज तिवारी की कविता के बोल थे... 'कोई बरगद नहीं बनता यूं ही' और भगत सिंह राणा ने अपनी रचना में कहा कि...'रूप बसंत का देखने आना मेरे देश'.

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इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करने आए उप जिलाधिकारी बुशरा अंसारी ने कहा कि साहित्य समाज का न सिर्फ दर्पण है बल्कि समाज को दर्पण भी दिखाता है. इस लिए एक बेहतर समाज की रचना के लिए साहित्यकारों को जनता की आवाज भी बनना होगा. वहीं, विशिष्ट अतिथि के रूप में आईं पूर्व पालिका अध्यक्ष प्रेम बल्लभ भट्ट ने कहा कि साहित्यकारों को प्रेम रस से ऊपर उठकर क्रांतिकारी रचनाएं भी लिखनी चाहिए.

Intro:
चमोली के जिला मुख्यालय गोपेश्वर में बसंत पंचमी के अवसर पर कलम क्रांति साहित्यिक मंच गोपेश्वर द्वारा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें कवियों ने बसन्त के विभिन्न रंगों और पहाड़ी संस्कृति को अपनी कल्पनाओं से कविताओं में उतारा।

बाईट--शशि देवली-संयोजक कलम क्रांति साहित्यिक मंच चमोली।

Body:कलम क्रांति मंच की संयोजक व वरिष्ठ कवित्री शशि देवली ने अपनी रचना पढ़ी । "अंतर्मन में आशाओं का दीप जलाने आई हूं,मैं नई सुबह की नई उम्मीद जगाने आई हूं,अरुण किशोर भट्ट ने अपनी कविता .. "प्रेम में नब्बे फीसद प्रेमी बस रोता है-- पढ़ी। कवयित्री नीलम डिमरी के बोल थे...... "देखो तो वसंत आ रहा है मेरे सपनों को साकार कर रहा है।

सुनील कुमार की रचना ,....... "गौं का गौं खाली ह्वै ग्या। हास्य कवि बृजेश रावत ने भी अपनी कविता मोबाइल के माध्यम से भी खूब गुदगुदाया। राजा तिवारी ने अपनी रचना यूं प्रस्तुत की ..... "ख्वाब में मेरे आकर ख्वाब से जगाती थी वो --मनोज तिवारी की कविता के बोल थे....... कोई बरगद नहीं बनता यूं ही। भगत सिंह राणा ने कहा कि....... रूप बसंत का देखने आना मेरे देश।
हिमांशु थपलियाल ने कहा कि...... प्रकृति का ये रंग देखो नहीं खुशियां लाया है, मिटेगा अंधेरा धरा का ये उम्मीद के के आया है।Conclusion: इस अवसर पर मुख्य अतिथि उप जिलाधिकारी चमोली सुश्री बुशरा अंसारी ने कहा कि साहित्य समाज का न सिर्फ दर्पण है बल्कि समाज को दर्पण भी दिखाता है इसलिए एक बेहतर समाज की रचना के लिए साहित्यकारों को जनपक्ष की आवाज भी बनना होगा। विशिष्ट अतिथि पूर्व पालिका अध्यक्ष श्री प्रेम बल्लभ भट्ट ने कहा कि साहित्यकारों को प्रेम रस ऊपर उठकर क्रांतिकारी रचनाएं भी लिखनी चाहिए। डॉ योगेश धस्माना ने कहा कविताएं लिखना भाषाओं को जिंदा रखने का सबसे सशक्त माध्यम है।
Last Updated : Jan 31, 2020, 4:51 PM IST
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