चमोली: डीएम स्वाति एस भदौरिया (DM swati s Bhadauriya ) आपदा प्रभावित महिला को डांटने के बाद एक बार फिर से चर्चाओं में हैं. दरसअल, इस बार डीएम पर आरोप एक होमगार्ड के जवान सुरेंद्र लाल (Home gaurd Surendra Lal) ने लगाया है. जवान का आरोप है कि उसने डीएम के बेटे को कोरोना काल में लगे प्रतिबंध के कारण पार्क में जाने से रोका था. इस कारण उसे 3 साल के लिए सस्पेंड कर दिया गया है.
डीएम स्वाति एस भदौरिया ने अपने बंगले के पास बने शहीद पार्क में ड्यूटी पर तैनात होमगार्ड जवान सुरेंद्र लाल को 3 साल के लिए सस्पेंड करने का आदेश जारी किया है. होमगार्ड के जवान का कहना है कि उसने कोरोना गाइडलाइन का पालन (follow corona guideline) करते हुए डीएम के बच्चे को पार्क में जाने से रोका था. पार्कों और सार्वजनिक स्थानों पर कोरोना गाइडलाइन अनुसार प्रवेश पूर्णतः प्रतिबंधित था.
मामला अप्रैल माह का बताया जा रहा है, जब सार्वजनिक पार्कों (public park) में कोरोना की गाइडलाइन के कारण प्रवेश वर्जित किया गया था. अब नौकरी से बेदखल होमगार्ड का जवान दफ्तरों की चौखट पर अपनी बहाली की गुहार लगा रहा है. पीड़ित होमगार्ड जवान सुरेंद्र लाल का कहना है कि उसे अपनी ड्यूटी निष्ठा से करने की सजा मिली है. अगर उसे पता होता कि डीएम के बच्चे को पार्क में जाने से रोकने पर डीएम उसे नौकरी से हटा देंगी तो वह कभी भी ऐसा नहीं करता. वहीं, एक अन्य होमगार्ड जवानों ने भी पूरे प्रकरण को अन्यायपूर्ण बताया है.
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सुरेंद्र लाल के हटाये जाने के बाद शहीद पार्क के बाहर होमगार्ड जवान बुद्धि लाल की तैनाती की गई है. मामले पर होमगार्ड के सहायक जिला कमांडेंट दीपक भट्ट का कहना है कि हटाये गए होमगार्ड सुरेंद्र लाल की ड्यूटी डीएम आवास के सामने बने शहीद पार्क में लगाई गई थी, ताकि कोरोना संक्रमण के दौरान कोई पार्क में प्रवेश न कर सके.
होमगार्ड जवान द्वारा डीएम के बेटे को पार्क में जाने से रोका गया, जिसके बाद डीएम कार्यालय की तरफ से हमारे कार्यलय को एक पत्र जारी किया गया है. जिसमें होमगार्ड सुरेंद्र लाल द्वारा पार्क में आने-जाने वाले बच्चों और अभिभावकों से अभद्रता करने का हवाला देते हुए जवान को 3 साल के लिए ड्यूटी से मुक्त रखने के आदेश दिए गए हैं.
डीएम द्वारा जारी पत्र पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं. क्योंकि अप्रैल माह में कोरोना संक्रमण के चलते कोविड गाइडलाइन के अनुसार सभी पार्कों में प्रवेश वर्जित था. लेकिन पत्र में लिखा गया है कि पार्क में आने-जाने वाले बच्चों और उनके परिजनों से होमगार्ड द्वारा अभद्रता की गई. जबकि होमगार्ड का कहना है कि उसने अपनी ड्यूटी निभाते हुए एक बच्चे को पार्क में जाने से रोका था. वह डीएम का बेटा था, इसकी जानकारी उसे नहीं थी.
सूचना अधिकारी ने दी सफाई
मामले पर सहायक सूचना अधिकारी रविन्द्र नेगी ने सफाई देते हुए कहा कि 5 अप्रैल को कोई लाॅकडाउन नहीं था. ऐसे में किसी के भी बच्चे को पार्क में जाने से क्यों रोका गया. पार्क में जाने से जिस बच्चे को रोका और डंडे से पीटा गया वो डीएम का बच्चा नहीं था, किसी और का बच्चा था. जिलाधिकारी ने होमगार्ड को जो आदेश जारी किया है, उसमें 5 अप्रैल 2021 की तिथि अंकित है और 9 मई 2021 से राज्य सरकार ने कोविड कर्फ्यू की गाइडलाइन जारी की थी. यह मामला जिलाधिकारी के कार्यक्षेत्र का है, जिलाधिकारी ने होमगार्ड को लिखित आदेश जारी किया था. कोई मौखिक आदेश नहीं था. अगर होमगार्ड को आपत्ति थी तो उन्हें करना चाहिए था, इस मामले को 3 महीने बाद क्यों उठाया जा रहा है
गौरतलब है कि डीएम स्वाति एस भदौरिया को लेकर यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी चमोली जिलाधिकारी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है. इस वायरल वीडियो में डीएम एक आपदा पीड़िता को डांटती नजर आ रही थीं. जानकारी के मुताबिक चमोली जिले के गोपेश्वर की रहने वाली एक महिला का घर भूस्खलन की जद में आ गया था. इस कारण उसके घर में दरार आ गई. महिला मदद के लिए जिलाधिकारी के पास पहुंची थी. महिला अपनी पीड़ा सुना ही रही थी, कि जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया ने उसे फटकार लगा दी और चुप करा दिया.