चमोली: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के साथ ही पांचवें धाम यानि हेमकुंड साहिब की यात्रा भी कल यानी 18 सितंबर से शुरू होने जा रही है. राज्य सरकार ने कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए प्रतिदिन हेमकुंड में 1000 श्रद्धालुओं को ही दर्शन करने की अनुमति दी है. ऐसे में यात्रा को लेकर हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट ने भी सभी तैयारियां पूरी कर ली है.
बता दें कि कोविड संक्रमण के चलते इस बार हेमकुंड साहिब के कपाट नहीं खोले गए थे. जिसके चलते यात्रा भी शुरू नहीं हो पाई थी. ऐसे में अब चारधाम यात्रा के साथ ही कल से हेमकुंड यात्रा भी शुरू होने जा रही है. वहीं, हेमकुंड मैनेजमेंट ने 60 साल से ऊपर और 10 साल से कम उम्र के बीमार लोगों को यात्रा न करने की अपील की है. यात्रा के दौरान कोविड नेगेटिव रिपोर्ट या कोविड वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट लाना अनिवार्य होगा.
बर्फ की पहाड़ियों से घिरा है हेमकुंड साहिब: हिमालय की गोद में बसा हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा सिख धर्म की आस्था का प्रतीक है. हजारों की तादाद में देश-विदेश से श्रद्धालु हर साल यहां दर्शन के लिए आते हैं. चारों तरफ से पहाड़ और बर्फ से ढकी चोटियों के बीच हेमकुंड साहिब समुद्र तल से 4329 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. हेमकुंड साहिब तक आने के लिए श्रद्धालुओं को बर्फीले रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है.
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गुरु गोविंद साहिब ने की थी आराधना: हेमकुंड साहिब को लेकर सिख धर्म के श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां पर सिख धर्म के 10वें गुरू गोविंद सिंह साहिब ने कई वर्षों तक महाकाल की आराधना की थी. गुरू गोविंद सिंह जी की तपस्थली होने के कारण सिख धर्म के लोगों में इस स्थान को लेकर अपार श्रद्धा है और वे तमाम दिक्कतों के बाद भी यहां पहुंचते हैं. हेमकुंड साहिब की यात्रा को सबसे कठिन तीर्थ यात्राओं में से एक माना जाता है.