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हेमकुंड साहिब की यात्रा फिर हुई सुचारू, बारिश के अलर्ट के बाद लगी थी रोक - यात्रियों को गोविंदघाट और घांघरिया में रोका

सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह की पवित्र तपोस्थली हेमकुंड साहिब की यात्रा बारिश के अलर्ट के चलते अस्थायी तौर पर बंद कर दी गई थी, लेकिन आज सुबह मौसम साफ होते ही यात्रा सुचारू कर दी गई है. फिलहाल, घांघरिया से 450 तीर्थयात्री हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हुए हैं.

Hemkund Sahib Yatra Resumed
हेमकुंड साहिब की यात्रा
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Published : Jul 21, 2022, 10:05 AM IST

Updated : Jul 21, 2022, 10:47 AM IST

चमोलीः गोविंदघाट और हेमकुंड साहिब में मौसम साफ हो गया है. जिसे देखते हुए प्रशासन ने हेमकुंड साहिब की यात्रा श्रद्धालुओं के लिए खोल दी है. बीते रोज घांघरिया मुख्य बाजार के ठीक सामने पहाड़ टूटा था. हालांकि, इसमें किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन एहतियातन यात्रा रोक दी गई थी.

मौसम के मिजाज को परखने के लिए सुबह चार बजे से यात्रियों को गोविंदघाट और घांघरिया में रोका गया था, लेकिन सवेरा होने पर मौसम साफ नजर आया. हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा प्रबंधन ने प्रशासन से अनुमति लेकर यात्रा शुरू करवा दी है. बता दें कि उपजिलाधिकारी जोशीमठ की ओर से तेज बारिश के पूर्वानुमान को देखते हुए हेमकुंड साहिब की यात्रा रोकने का निर्णय लिया गया था.

ये भी पढ़ेंः जहां पहुंचने में लड़खड़ा जाएं युवा वहां पैदल पहुंचीं 97 वर्षीय दादी, तय की 15 हजार फीट की चढ़ाई

वहीं, गोविंदघाट गुरुद्वारे के वरिष्ठ प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने बताया कि आज सुबह यात्रा शुरू होते ही हेमकुंड साहिब धाम के लिए गोविंदघाट से 535 तीर्थयात्री घांघरिया के लिए रवाना हुए हैं. जबकि, घांघरिया से 450 तीर्थयात्री हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हुए हैं. उन्होंने बताया कि हेमकुंड साहिब मार्ग सुचारू हैं. बता दें कि बीती 22 मई को हेमकुंड साहिब के कपाट खुले थे. इससे पहले भी जब बर्फबारी हुई थी. तब यात्रा रोकी गई थी. अब बारिश के दौरान यात्रा रोकनी पड़ रही है.

गौर हो कि हेमकुंड साहिब में सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने तपस्या की थी. हेमकुंड साहिब विश्वभर में सबसे ऊंचाई पर स्थित गुरुद्वारा है, जो समुद्र तल से 15,225 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इस पावन स्थल के पास हिंदू धर्म का भी एक प्रमुख मंदिर है, जो हेमकुंड साहिब की बर्फिली वादियों व हेमकुंड झील के तट पर बसा लक्ष्मण मंदिर है, जो लोकपाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.

हेमकुंड का नाम कैसे पड़ा? हेमकुंड संस्कृत शब्द है. इसका मतलब होता है बर्फ का कुंड. यही वजह है कि इसका नाम हेमकुंड पड़ा. हेमकुंड में झील के किनारे सिखों का प्रसिद्ध गुरुद्वारा है. बर्फ की ऊंची-ऊंची चोटियों से घिरे होने की वजह से यहां का वातावरण बेहद शांत है. यहां साल में 7-8 महीने बर्फ जमी रहती है.

हिमालय की गोद में बसे हेमकुंड साहिब में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. हेमकुंड साहिब चारों ओर से पत्थरीले पहाड़ और बर्फ से ढकी चोटियों के बीच बसा है. यहां का सफर काफी मुश्किल है. हेमकुंड साहिब जाने के लिए श्रद्धालुओं को बर्फीले रास्ते से होकर जाना पड़ता है.

हेमकुंड जाने के लिए ऋषिकेश बदरीनाथ हाईवे से गोविंद घाट जाना होगा. यहां जाने के लिए श्रद्धालुओं को पांडुकेश्वर से दो किलोमीटर पहले गोविंद घाट में उतरना पड़ेगा. गोविंद घाट से करीब 20 किलोमीटर से ज्यादा पैदल यात्रा करनी पड़ती है. गोविंद घाट अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है. गोविंदघाट से ऊपर को खड़ी चढ़ाई पड़ती है.

ये भी पढ़ेंः हेमकुंड साहिब को देखा तो अचंभित रह गए मुंबई के समीर और स्नेहा, आप भी देखिए वीडियो

गोविंदघाट पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को झूलते हुए ब्रिज के जरिए अलकनंदा नदी पार करनी होगी. यहां से आगे पुलना गांव आता है. इसके बाद की चढ़ाई और मुश्किल हो जाती है. क्योंकि रास्ता बहुत पथरीला है. इसके बाद घांघरिया बेस कैंप आता है. यहां से हेमकुंड साहिब की दूरी करीब 7 किलोमीटर है.

चमोलीः गोविंदघाट और हेमकुंड साहिब में मौसम साफ हो गया है. जिसे देखते हुए प्रशासन ने हेमकुंड साहिब की यात्रा श्रद्धालुओं के लिए खोल दी है. बीते रोज घांघरिया मुख्य बाजार के ठीक सामने पहाड़ टूटा था. हालांकि, इसमें किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन एहतियातन यात्रा रोक दी गई थी.

मौसम के मिजाज को परखने के लिए सुबह चार बजे से यात्रियों को गोविंदघाट और घांघरिया में रोका गया था, लेकिन सवेरा होने पर मौसम साफ नजर आया. हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा प्रबंधन ने प्रशासन से अनुमति लेकर यात्रा शुरू करवा दी है. बता दें कि उपजिलाधिकारी जोशीमठ की ओर से तेज बारिश के पूर्वानुमान को देखते हुए हेमकुंड साहिब की यात्रा रोकने का निर्णय लिया गया था.

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वहीं, गोविंदघाट गुरुद्वारे के वरिष्ठ प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने बताया कि आज सुबह यात्रा शुरू होते ही हेमकुंड साहिब धाम के लिए गोविंदघाट से 535 तीर्थयात्री घांघरिया के लिए रवाना हुए हैं. जबकि, घांघरिया से 450 तीर्थयात्री हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हुए हैं. उन्होंने बताया कि हेमकुंड साहिब मार्ग सुचारू हैं. बता दें कि बीती 22 मई को हेमकुंड साहिब के कपाट खुले थे. इससे पहले भी जब बर्फबारी हुई थी. तब यात्रा रोकी गई थी. अब बारिश के दौरान यात्रा रोकनी पड़ रही है.

गौर हो कि हेमकुंड साहिब में सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने तपस्या की थी. हेमकुंड साहिब विश्वभर में सबसे ऊंचाई पर स्थित गुरुद्वारा है, जो समुद्र तल से 15,225 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इस पावन स्थल के पास हिंदू धर्म का भी एक प्रमुख मंदिर है, जो हेमकुंड साहिब की बर्फिली वादियों व हेमकुंड झील के तट पर बसा लक्ष्मण मंदिर है, जो लोकपाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.

हेमकुंड का नाम कैसे पड़ा? हेमकुंड संस्कृत शब्द है. इसका मतलब होता है बर्फ का कुंड. यही वजह है कि इसका नाम हेमकुंड पड़ा. हेमकुंड में झील के किनारे सिखों का प्रसिद्ध गुरुद्वारा है. बर्फ की ऊंची-ऊंची चोटियों से घिरे होने की वजह से यहां का वातावरण बेहद शांत है. यहां साल में 7-8 महीने बर्फ जमी रहती है.

हिमालय की गोद में बसे हेमकुंड साहिब में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. हेमकुंड साहिब चारों ओर से पत्थरीले पहाड़ और बर्फ से ढकी चोटियों के बीच बसा है. यहां का सफर काफी मुश्किल है. हेमकुंड साहिब जाने के लिए श्रद्धालुओं को बर्फीले रास्ते से होकर जाना पड़ता है.

हेमकुंड जाने के लिए ऋषिकेश बदरीनाथ हाईवे से गोविंद घाट जाना होगा. यहां जाने के लिए श्रद्धालुओं को पांडुकेश्वर से दो किलोमीटर पहले गोविंद घाट में उतरना पड़ेगा. गोविंद घाट से करीब 20 किलोमीटर से ज्यादा पैदल यात्रा करनी पड़ती है. गोविंद घाट अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है. गोविंदघाट से ऊपर को खड़ी चढ़ाई पड़ती है.

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गोविंदघाट पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को झूलते हुए ब्रिज के जरिए अलकनंदा नदी पार करनी होगी. यहां से आगे पुलना गांव आता है. इसके बाद की चढ़ाई और मुश्किल हो जाती है. क्योंकि रास्ता बहुत पथरीला है. इसके बाद घांघरिया बेस कैंप आता है. यहां से हेमकुंड साहिब की दूरी करीब 7 किलोमीटर है.

Last Updated : Jul 21, 2022, 10:47 AM IST
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