चमोलीः सरकार भले ही प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लाख दावे करती हो, लेकिन धरातल पर जमीनी हकीकत ठीक उलट है. इतना ही नहीं सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीते साल एयर एंबुलेंस की सुविधा देने की घोषणा की थी, लेकिन उनके दावे सफेद हाथी साबित हुए. इसकी बानगी चमोली जिले में देखने को मिली. जहां पर गंभीर रूप से घायल एक मरीज को ऋषिकेश एम्स ले जाने के लिए परिजनों को निजी खर्चे पर दो लाख रुपये में हेलीकॉप्टर मंगानी पड़ी. जिसे एयरलिफ्ट कर ऋषिकेश पहुंचाया गया.
सूबे में स्वास्थ्य सुविधाओं की सरकार के दावों की पोल तब खुलती है, जब कोई गंभीर रूप से बीमार हो या घायल हो. उन्हें हेली सेवा के माध्यम से जिले से बाहर हायर सेंटर ले जाना हो. ऐसा ही एक मामला गुरुवार को चमोली से सामने आया है. जानकारी के मुताबिक, घाट के उस्तोली गांव के प्रदीप सिंह (26) बुधवार की रात घाट बाजार से खाना खाने के बाद अपने कमरे पर सोने जा रहा था. तभी अचानक वो सीढ़ियों से गिर गया.
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गंभीर चोट लगने के कारण मौके से उठ नहीं पाया और पूरी रात कड़ाके की ठंड में पड़ा रहा. सुबह होने पर ग्रामीणों और परिजनों ने उसे सीएचसी घाट में भर्ती करवाया. जहां डॉक्टरों ने उसकी गंभीर हालत को देखते हुए जिला अस्पताल गोपेश्वर रेफर कर दिया. जिसके बाद परिजन उसे लेकर गोपेश्वर पहुंचे. जहां पर डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए और हायर सेंटर ले जाने की सलाह दी.
जिस पर परिजनों ने शासन-प्रशासन और विधायकों से हेलीकॉप्टर की मांग की, लेकिन कहीं से कोई सकारात्मक जबाव नहीं मिला. जिसके बाद में परिजनों के खुद के खर्चा उठाने की बात करने पर चमोली जिला प्रशासन ने देहरादून से हेलीकॉप्टर मंगाई और घायल को ऋषिकेश भेजा. जिसे ऋषिकेश के आईडीपीएल हेलीपैड से एंबुलेंस के जरिए एम्स अस्पताल पहुंचाया.
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परिजन महावीर सिंह ने बताया कि घायल को ऋषिकेश ले जाने के लिए उनकी ओर से शासन-प्रशासन से लेकर सरकार तक गुहार लगाई गई. सभी ने हामी तो भरी, लेकिन किसी ने भी हेलीकॉप्टर नहीं भेजा. जिसके बाद में ग्रामीणों और परिजनों ने आपसी सहयोग से दो लाख रुपये में हेलीकॉप्टर मंगाकर घायल को ऋषिकेश रेफर पहुंचाया. जिसका भुगतान उन्होंने चेक के रूप में किया है. जबकि, डॉक्टरों ने घायल प्रदीप के सिर का ऑपरेशन करने की बात कही है.
वहीं, मामले पर जिलाधिकारी स्वाति एस भदोरिया का कहना है कि सरकार की ओर से जारी नियम के अनुसार एयर एंबुलेंस तीन अवस्था में ही निःशुल्क उपलब्ध कराई जा सकती है, आपदा की स्थिति, गर्भवती महिला को तत्काल इलाज देने और आपातकाल में सामूहिक रूप से किसी के कहीं फंस जाने पर. इस मामले में जब परिजनों ने हेलीकॉप्टर का किराया खुद देने की सहमति दी उसके बाद ही हेलीकॉप्टर की सुविधा दी गई.