चमोली: जोशीमठ में आई जल प्रलय के बाद सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आपदा प्रबंधन की टीम और पुलिस विभाग के जवान सुरंग में फंसे लोगों का रेस्क्यू करने में लगे हैं. ताजा मिली जानकारी के मुताबिक, अभी तक 31 शवों को मलबे से निकाल लिया गया है, जबकि 175 लोग अभी भी लापता हैं. ईटीवी भारत की टीम भी घटनास्थल का जायजा लेने ग्राउंड जीरो पर पहुंची है और रेस्क्यू ऑपरेशन पर पल-पल की अपडेट दे रही है. इसी दौरान हमारी टीम को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह भी मिले. पूर्व सीएम ने गांवों का असल हाल बताया.
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कांग्रेस के दोनों दिग्गज हालात का जायजा लेने रैणी गांव पहुंचे थे. बातचीत में पूर्व सीएम ने बताया कि वो यहां स्थानीय लोगों का हालचाल जानने पहुंचे थे. उनको सांत्वना देने पहुंचे थे. लेकिन यहां हालात बेहद चिंताजनक हैं. रैणी गांव जैसी हालत आसपास के गांवों की भी है. गांवों में दरारें पड़ी हैं जिससे लोग बेहद डरे हैं. प्रशासन को चाहिये कि वो पीपलकोटी या जोशीमठ में अस्थायी रूप में लोगों को पुनर्वासित करें.
बन रही बड़ी झील
हरीश रावत ने आरोप लगाया कि आपदा के बाद ग्रामीणों को कोई मदद नहीं मिली है. इस बाबत मुख्य सचिव ओम प्रकाश से बात की गई है. रावत ने दावा किया कि ऊपर नंदा देवी और अन्य नालों के मिलने से बड़ी झील बन गई है. उस झील को खत्म करने पर काम होना चाहिये. रावत ने कहा कि उन्होंने कुछ वीडियो देखे हैं और उनको देखने के बाद वो काफी चिंतित हैं. रावत ने बताया कि ऋषिगंगा प्लांट का ग्रामीणों के विरोध के कारण उन्होंने अपनी सरकार के वक्त ऋषिगंगा 2 और 3 को बंद कर दिया था.
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उत्तराखंड में खतरनाक हैं ग्लेशियर
पूर्व सीएम ने बताया कि उत्तराखंड में काफी ग्लेशियर हैं जो काफी खतरनाक स्थिति में हैं. प्राइवेट चेन प्रदेश में काले बादलों की तरह मंडरा रहे हैं. इस घटना को बड़ी चेतावनी के रूप में लेना चाहिये और बाकी ग्लेशियरों पर पैनी नजर रखी जानी चाहिये.
प्रीतम सिंह की जुबानी
वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने ग्रामीणों की बुरी स्थिति के मद्देनजर ग्रामीणों के तुंरत रिहेबिलिटेशन करने की बात कही. उन्होंने कहा कि रैणी गांव में कांग्रेस के लोगों ने ग्रामीणों के लिये भोजन की व्यवस्था की है. कई दूसरे स्थानों पर भी कैंप बनाए गए हैं. रहने की व्यवस्था की है. त्रासदी में लापता लोगों के परिजन दूर-दूर से यहां पहुंच रहे हैं, उनके खाने-रहने की कोई व्यवस्था नहीं है. वो लोग खुले आसमाने के नीचे रहने को मजबूर हैं. इस बात को लेकर डीएम-एसएसपी से बात की गई है.
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गौर हो कि रविवार को ग्लेशियर फटने से ऋषिगंगा में आई बाढ़ रैणी गांव को बड़ा जख्म दे गई. जल प्रलय के बाद मलारी हाईवे पर पुल बह जाने के बाद 13 गांव अलग-थलग पड़े हैं. इन गांवों में हेलीकॉप्टर के जरिए रसद पहुंचाई जा रही है. आईटीबीपी के करीब 50 जवान रसद पहुंचाने में लगे हुए हैं. बता दें कि इससे पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आपदा प्रभावित सीमांत गांव क्षेत्र रैणी जाकर वहां की स्थिति का जायजा लिया था. मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं की जानकारी ली. सीएम ने राहत और बचाव कार्यों का भी जायजा लिया.