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क्वारंटाइन में सुविधा को लेकर ग्राम प्रधानों ने सरकार पर साधा निशाना, सामूहिक इस्तीफे की दी धमकी - सामूहिक इस्तीफा

थराली विकासखंड सभागार में प्रधान संघ की बैठक में ग्राम प्रधानों ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उनका कहना है कि ग्राम प्रधानों को जिम्मेदारी तो सरकार ने थोप दी है, लेकिन प्रवासियों की रहन-सहन और खानपान की सुविधा मुहैया नहीं कराई है. वहीं, अब प्रधान संघ ने मांगें पूरी ना होने पर सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी दी है.

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ग्राम प्रधान
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Published : May 30, 2020, 3:46 PM IST

Updated : Jun 18, 2020, 1:37 PM IST

थरालीः उत्तराखंड में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. जिसमें सबसे ज्यादा मरीज प्रवासी हैं. ऐसे में बाहरी राज्यों से लौटे प्रवासियों को 14 दिन के लिए नजदीकी स्कूलों में क्वारंटाइन किया जा रहा है. जिसकी जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों को दी गई है, लेकिन क्वारंटाइन सेंटरों में प्रवासियों को हो रही असुविधाओं का ठीकरा अब प्रधानों ने सरकार पर फोड़ा है.

थराली विकासखंड सभागार में प्रधान संघ की बैठक में ग्राम प्रधानों ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उनका कहना है कि ग्राम प्रधानों को जिम्मेदारी तो सरकार ने थोप दी है, लेकिन प्रवासियों की रहन-सहन और खानपान की सुविधा मुहैया नहीं कराई है. ऐसे में प्रवासियों को जरूरी संसाधना मुहैया कराना मुश्किल हो गया है.

ग्राम प्रधानों ने सरकार पर साधा निशाना.

ये भी पढ़ेंः कब खुलेगा होटलों का 'लॉक', दो महीने बाद भी व्यवसायियों को नहीं मिली 'राहत'

ग्राम प्रधान संघ ने मांग की है कि सरकार हर ग्राम प्रधान को पीपीई किट उपलब्ध कराने के साथ ही प्रधानों को कोरोना वॉरियर्स घोषित करे. साथ ही क्वारंटाइन सेंटर पर आशा, आंगनबाड़ी और सुरक्षा के लिए ग्राम प्रहरी की नियुक्ति की जाए. उन्होंने कहा कि कई प्रवासी शपथ पत्र पर होम क्वारंटाइन लिखा होने के बावजूद गांव के स्कूलों में रहने से स्पष्ट मना कर रहे हैं. जिससे उन्हें क्वारंटाइन करना टेड़ी खीर साबित हो रहा है.

प्रधान संघ ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से बार-बार कह रही है कि क्वारंटाइन सेंटर पर प्रवासियों की व्यवस्था के लिए ग्राम प्रधानों को पैसा रिलीज किया गया है, जबकि हकीकत ये है कि इससे पहले कोरोना से बचाव के लिए सैनेटाइजिंग का दस हजार रुपये भी ग्राम प्रधानों को 2 माह बीते जाने के बाद भी नहीं मिल पाया है. वहीं, अब प्रधान संघ ने मांगें पूरी ना होने पर सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी दी है.

ये भी पढ़ेंः पुलिसकर्मियों के कोरोना पॉजिटिव होने की फैलाई अफवाह, सख्त हुई पुलिस

वहीं, मामले में खंड विकास अधिकारी अशोक कुमार शर्मा का कहना है कि गांव की साफ सफाई और सैनेटाइजिंग के लिए पैसा डायरेक्ट सप्लायर के खाते में आएगा. इसके लिए प्रधान संबंधित सप्लायर के नाम, बिल और अकॉउंट नंबर खंड विकास कार्यालय को उपलब्ध कराएं. साथ ही कहा कि क्वारंटाइन सेंटर में रहने वाले प्रवासियों के भोजन इत्यादि की व्यवस्था उनके घर से की जानी है. इस तरह की किसी भी व्यवस्था के लिए सरकार ने कोई धनराशि सीधे प्रधानों के खाते में अवमुक्त नहीं की है.

उन्होंने कहा कि जिन क्वारंटाइन सेंटरों पर प्रवासियों को भोजन की व्यवस्था उनके घर से नहीं हो पा रही है. उसके लिए भोजन की व्यवस्था कर ग्राम प्रधान को भोजन पर व्यय बिल तहसील कार्यालय में जमा करने होंगे. जिससे आपदा प्रबंधन के तहत धनराशि अवमुक्त की जा सके.

थरालीः उत्तराखंड में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. जिसमें सबसे ज्यादा मरीज प्रवासी हैं. ऐसे में बाहरी राज्यों से लौटे प्रवासियों को 14 दिन के लिए नजदीकी स्कूलों में क्वारंटाइन किया जा रहा है. जिसकी जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों को दी गई है, लेकिन क्वारंटाइन सेंटरों में प्रवासियों को हो रही असुविधाओं का ठीकरा अब प्रधानों ने सरकार पर फोड़ा है.

थराली विकासखंड सभागार में प्रधान संघ की बैठक में ग्राम प्रधानों ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उनका कहना है कि ग्राम प्रधानों को जिम्मेदारी तो सरकार ने थोप दी है, लेकिन प्रवासियों की रहन-सहन और खानपान की सुविधा मुहैया नहीं कराई है. ऐसे में प्रवासियों को जरूरी संसाधना मुहैया कराना मुश्किल हो गया है.

ग्राम प्रधानों ने सरकार पर साधा निशाना.

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ग्राम प्रधान संघ ने मांग की है कि सरकार हर ग्राम प्रधान को पीपीई किट उपलब्ध कराने के साथ ही प्रधानों को कोरोना वॉरियर्स घोषित करे. साथ ही क्वारंटाइन सेंटर पर आशा, आंगनबाड़ी और सुरक्षा के लिए ग्राम प्रहरी की नियुक्ति की जाए. उन्होंने कहा कि कई प्रवासी शपथ पत्र पर होम क्वारंटाइन लिखा होने के बावजूद गांव के स्कूलों में रहने से स्पष्ट मना कर रहे हैं. जिससे उन्हें क्वारंटाइन करना टेड़ी खीर साबित हो रहा है.

प्रधान संघ ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से बार-बार कह रही है कि क्वारंटाइन सेंटर पर प्रवासियों की व्यवस्था के लिए ग्राम प्रधानों को पैसा रिलीज किया गया है, जबकि हकीकत ये है कि इससे पहले कोरोना से बचाव के लिए सैनेटाइजिंग का दस हजार रुपये भी ग्राम प्रधानों को 2 माह बीते जाने के बाद भी नहीं मिल पाया है. वहीं, अब प्रधान संघ ने मांगें पूरी ना होने पर सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी दी है.

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वहीं, मामले में खंड विकास अधिकारी अशोक कुमार शर्मा का कहना है कि गांव की साफ सफाई और सैनेटाइजिंग के लिए पैसा डायरेक्ट सप्लायर के खाते में आएगा. इसके लिए प्रधान संबंधित सप्लायर के नाम, बिल और अकॉउंट नंबर खंड विकास कार्यालय को उपलब्ध कराएं. साथ ही कहा कि क्वारंटाइन सेंटर में रहने वाले प्रवासियों के भोजन इत्यादि की व्यवस्था उनके घर से की जानी है. इस तरह की किसी भी व्यवस्था के लिए सरकार ने कोई धनराशि सीधे प्रधानों के खाते में अवमुक्त नहीं की है.

उन्होंने कहा कि जिन क्वारंटाइन सेंटरों पर प्रवासियों को भोजन की व्यवस्था उनके घर से नहीं हो पा रही है. उसके लिए भोजन की व्यवस्था कर ग्राम प्रधान को भोजन पर व्यय बिल तहसील कार्यालय में जमा करने होंगे. जिससे आपदा प्रबंधन के तहत धनराशि अवमुक्त की जा सके.

Last Updated : Jun 18, 2020, 1:37 PM IST
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