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चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ की डोली धाम के लिए रवाना, कल खुलेंगे कपाट - Utsav Doli of Lord Rudranath

चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली रविवार को कैलाश के लिए रवाना हो गई है. सोमवार सुबह ब्रह्ममुहूर्त में रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खुलेंगे.

Fourth Kedar Lord Rudranath Dham
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Published : May 16, 2021, 4:12 PM IST

Updated : May 16, 2021, 4:25 PM IST

चमोली: गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर परिसर से चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली कैलाश के लिए रवाना हो गई है. कोविड के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पिछले साल की तरह इस बार भी 20 भक्तों को ही रुद्रनाथ मंदिर तक जाने की अनुमति दी गई है. अब सोमवार सुबह ब्रह्ममुहूर्त रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खुलेंगे.

18 मई को खुलेंगे भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट.

रविवार को गोपीनाथ मंदिर परिसर में विधिवत पूजा-अर्चना के बाद सुबह 8 बजे रुद्रनाथ की डोली पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ धाम के लिए रवाना हुई. इस बार रुद्रनाथ की पूजा-अर्चना का जिम्मा पंडित धर्मेंद्र तिवारी को सौंपा गया. अब ग्रीष्मकाल में 5 माह तक भगवान भोलेनाथ कैलाश में विराजमान रहेंगे. 3600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर में भोलेनाथ के मुख के दर्शन होते हैं. मंडल घाटी में प्रवेश करने पर गंगोलगांव, सगर, ग्वाड़ गांव के ग्रामीणों ने डोली का फूल-मालाओं से स्वागत किया.

पढ़ें- शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर से बदरीनाथ धाम रवाना, 50 लोगों को मिली अनुमति

गत वर्षों तक सैकड़ों की संख्या में भक्तगण रुद्रनाथ की डोली के साथ रुद्रनाथ मंदिर पहुंचते थे. लेकिन कोरोना महामारी की चलते मात्र 20 श्रद्धालुओं को ही डोली के साथ जाने की अनुमति प्रशासन की ओर से दी गई है. रुद्रनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तगण लगभग 24 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा करते हैं. रुद्रनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तगण पुंग, ल्वींठी, पनार और पित्रधार जैसे सुरम्य बुग्यालों से होकर गुजरते हैं.

चमोली: गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर परिसर से चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली कैलाश के लिए रवाना हो गई है. कोविड के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पिछले साल की तरह इस बार भी 20 भक्तों को ही रुद्रनाथ मंदिर तक जाने की अनुमति दी गई है. अब सोमवार सुबह ब्रह्ममुहूर्त रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खुलेंगे.

18 मई को खुलेंगे भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट.

रविवार को गोपीनाथ मंदिर परिसर में विधिवत पूजा-अर्चना के बाद सुबह 8 बजे रुद्रनाथ की डोली पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ धाम के लिए रवाना हुई. इस बार रुद्रनाथ की पूजा-अर्चना का जिम्मा पंडित धर्मेंद्र तिवारी को सौंपा गया. अब ग्रीष्मकाल में 5 माह तक भगवान भोलेनाथ कैलाश में विराजमान रहेंगे. 3600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर में भोलेनाथ के मुख के दर्शन होते हैं. मंडल घाटी में प्रवेश करने पर गंगोलगांव, सगर, ग्वाड़ गांव के ग्रामीणों ने डोली का फूल-मालाओं से स्वागत किया.

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गत वर्षों तक सैकड़ों की संख्या में भक्तगण रुद्रनाथ की डोली के साथ रुद्रनाथ मंदिर पहुंचते थे. लेकिन कोरोना महामारी की चलते मात्र 20 श्रद्धालुओं को ही डोली के साथ जाने की अनुमति प्रशासन की ओर से दी गई है. रुद्रनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तगण लगभग 24 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा करते हैं. रुद्रनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तगण पुंग, ल्वींठी, पनार और पित्रधार जैसे सुरम्य बुग्यालों से होकर गुजरते हैं.

Last Updated : May 16, 2021, 4:25 PM IST
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