ETV Bharat / state

कंडाली और भांग के कपड़े बना रहे पुष्कर, लाखों का हो रहा मुनाफा - चमोली के गंगतोली गांव

दिल्ली में फैशन डिजाइनर की नौकरी छोड़ चमोली के गंगतोली गांव निवासी पुष्कर सिंह एक छोटी सी कपड़े की फैक्ट्री चला रहे हैं. इससे पुष्कर को लाखों का मुनाफा हो रहा है.

Etv Bharat
कंडाली और भांग के कपड़ों से कमाए लाखों.
author img

By

Published : Dec 5, 2019, 11:46 PM IST

चमोली: जनपद में विकासखंड घाट स्थित राजबगठी ग्रामसभा के गंगतोली गांव निवासी पुष्कर सिंह दिल्ली में फैशन डिजाइनर की नौकरी करते थे. इस नौकरी को छोड़ पुष्कर अपने गांव के पास ही नंदप्रयाग-घाट रोड़ के पास ही अपनी छोटी सी कपड़े सिलने की फैक्ट्री चलाते हैं. जहां पर इन दिनों वह कंडाली (बिच्छू घास) और भांग के रेशे से बने जैकेट और मफलर बना रहे है. कंडाली और भांग के रेशों से बने कपड़ों की इन दिनों चमोली के स्थानीय बाजार में खासा मांग है. साथ ही प्रदेश के बाजारों में कंडाली और भांग से बने कपड़ों की मांग बढ़ रही है.

गौर हो कि कुछ दिनों पहले सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ कंडाली के रेशे से बनी हुई जैकटों को पहन कर कंडाली से बने कपड़ों की ब्रांडिंग किया था. साथ ही सीएम त्रिवेंद्र सिंह गौचर मेले में भी कंडाली के रेशो से बनी हाफ जैकेट पहन कर मेले का सुभारंभ करने पहुंचे थे. इस दौरान सीएम ने जनता को संबोधित करते हुए कंडाली के रेशो से बनी हुई वस्तुओं की उपयोगिता लोगों को बताई थी.

कंडाली और भांग के कपड़ों से कमाए लाखों.

यह भी पढ़ें: शीतकालीन सत्र: पहले दिन विधायकों ने सदन में निकाले 'प्याज के आंसू', असल मुद्दे रहे गायब

बता दें कि कंडाली का पौधा एक तरह की जंगली घास है. कंडाली के पौधे को बिच्छू घास के नाम से भी जाना जाता है. किसी व्यक्ति के कंडाली के पौधे या पत्तियों को छू लेने से वह फौरन हाथ वापस हटा लेता है, क्योंकि कंडाली को छूने से ही खुजली और जलन शुरू हो जाती है. जिसकी वजह से लोग कंडाली को अधिक उपयोग में नहीं ला पाए, लेकिन अभी भी पहाड़ के कई गांवों में कंडाली के पत्तों की सब्जी भी लोग बड़े चाव से खाते हैं. बताया जाता है कि कंडाली की सब्जी का सेवन करने से मधुमेह जैसै रोग पास नहीं आते हैं.

यह भी पढ़ें: प्रशासन पर कांग्रेसियों का आरोप, कहा- गुलदार पकड़ने की मांग पर दर्ज किए मुकदमें

वहीं, पुष्कर सिंह ने बताया कि वह कंडाली के रेशों से बने कई जैकेट और मफलर, शॉल की बिक्री कर लाखों कमा चुके हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि अब कंडाली का पौधा धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर है. कंडाली के रेशे कम मात्रा में उपलब्ध होने के कारण समय पर कंडाली के कपड़े मिलने में दिक्कतें हो रही है. कंडाली के बने हुए एक हाफ जैकेट की कीमत 3 से 4 हजार रुपये की बीच होती है. वाबजूद उसके कुछ संस्थाओं द्वारा डिमांड पर कपड़ा उपलब्ध करवाया जाता है.

चमोली: जनपद में विकासखंड घाट स्थित राजबगठी ग्रामसभा के गंगतोली गांव निवासी पुष्कर सिंह दिल्ली में फैशन डिजाइनर की नौकरी करते थे. इस नौकरी को छोड़ पुष्कर अपने गांव के पास ही नंदप्रयाग-घाट रोड़ के पास ही अपनी छोटी सी कपड़े सिलने की फैक्ट्री चलाते हैं. जहां पर इन दिनों वह कंडाली (बिच्छू घास) और भांग के रेशे से बने जैकेट और मफलर बना रहे है. कंडाली और भांग के रेशों से बने कपड़ों की इन दिनों चमोली के स्थानीय बाजार में खासा मांग है. साथ ही प्रदेश के बाजारों में कंडाली और भांग से बने कपड़ों की मांग बढ़ रही है.

गौर हो कि कुछ दिनों पहले सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ कंडाली के रेशे से बनी हुई जैकटों को पहन कर कंडाली से बने कपड़ों की ब्रांडिंग किया था. साथ ही सीएम त्रिवेंद्र सिंह गौचर मेले में भी कंडाली के रेशो से बनी हाफ जैकेट पहन कर मेले का सुभारंभ करने पहुंचे थे. इस दौरान सीएम ने जनता को संबोधित करते हुए कंडाली के रेशो से बनी हुई वस्तुओं की उपयोगिता लोगों को बताई थी.

कंडाली और भांग के कपड़ों से कमाए लाखों.

यह भी पढ़ें: शीतकालीन सत्र: पहले दिन विधायकों ने सदन में निकाले 'प्याज के आंसू', असल मुद्दे रहे गायब

बता दें कि कंडाली का पौधा एक तरह की जंगली घास है. कंडाली के पौधे को बिच्छू घास के नाम से भी जाना जाता है. किसी व्यक्ति के कंडाली के पौधे या पत्तियों को छू लेने से वह फौरन हाथ वापस हटा लेता है, क्योंकि कंडाली को छूने से ही खुजली और जलन शुरू हो जाती है. जिसकी वजह से लोग कंडाली को अधिक उपयोग में नहीं ला पाए, लेकिन अभी भी पहाड़ के कई गांवों में कंडाली के पत्तों की सब्जी भी लोग बड़े चाव से खाते हैं. बताया जाता है कि कंडाली की सब्जी का सेवन करने से मधुमेह जैसै रोग पास नहीं आते हैं.

यह भी पढ़ें: प्रशासन पर कांग्रेसियों का आरोप, कहा- गुलदार पकड़ने की मांग पर दर्ज किए मुकदमें

वहीं, पुष्कर सिंह ने बताया कि वह कंडाली के रेशों से बने कई जैकेट और मफलर, शॉल की बिक्री कर लाखों कमा चुके हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि अब कंडाली का पौधा धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर है. कंडाली के रेशे कम मात्रा में उपलब्ध होने के कारण समय पर कंडाली के कपड़े मिलने में दिक्कतें हो रही है. कंडाली के बने हुए एक हाफ जैकेट की कीमत 3 से 4 हजार रुपये की बीच होती है. वाबजूद उसके कुछ संस्थाओं द्वारा डिमांड पर कपड़ा उपलब्ध करवाया जाता है.

Intro:चमोली जनपद में विकासखंड घाट स्थित राजबगठी ग्रामसभा के गंगतोली गांव निवासी पुष्कर सिंह दिल्ली में फैशन डिजाइनर की नौकरी छोड़ अपने गांव के पास ही नंदप्रयाग -घाट रोड़ के करीब अपनी एक छोटी सी कपड़े सीने की फैक्ट्री चलाते है ,जंहा पर इन दिनों वह कंडाली (बिच्छू घास)और भांग के रेशे से बने जैकेट और माफलर,बना रहे है ।कंडाली और भांग के रेशो से बने कपड़ो की इन दिनों चमोली के स्थानीय बाजार में खासी मांग है ,साथ ही प्रदेश के बाजारों में कंडाली और भांग से बने कपड़ो की मांग बढ़ रही है ।

विस्वल --कंडाली के पौधे और कंडाली फैक्ट्री के।


Body:गौर करे कि पिछले दिनों सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने कुछ कैबिनेट मंत्रियों के साथ कंडाली के रेशे से बनी हुई जैकटो को पहन कर कंडाली से बने कपडो की ब्रांडिंग करते हुए नजर आए थे।साथ ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह गौचर मेले में भी कंडाली के रेशो से बनी हाफ जैकेट पहन कर मेले का सुभारम्भ करने पहुंचे थे।जंहा पर कि मुख्यमंत्री ने जनता को संबोधित करते हुए कंडाली के रेशो से बनी हुई वस्तुओं की उपयोगिता लोगो को बताई थी।

कंडाली का पौधा एक तरह की जंगली घास है ,कंडाली के पौधे को बिच्छू घास के नाम से भी जाना जाता है।अगर कोई व्यक्ति कंडाली के पौधे या पत्तियो को छू लें वह फ़ौरन हाथ वापस हटा लेता है ,क्योकि कंडाली को छूने से ही खुजली और जलन शुरू हो जाती है ।जिस कारण कंडाली को लोग अधिक उपयोग में नही ला पाए।लेकिन अभी भी पहाड़ के कई गांवो में कंडाली के पत्तो की सब्जी भी लोग बड़े चाव से खाते है ,बताया जाता है कि कंडाली की सब्जी का सेवन करने से मधुमेह जैसै रोग पास नही फटकते है।


Conclusion:बातचीत के दौरान कंडाली और भांग के रेशो से कपड़े बनाने वाले चमोली जनपद के पुष्कर सिंह ने बताया कि वह कंडाली के रेशो से बने कई जैकेट और माफलर ,शालो कि बिक्री कर लाखो कमा चुके है ।लेकिन अब कंडाली का पौधा धीरे धीरे विलुप्ति की कगार पर है ,और कंडाली के रेशे कम मात्रा में उपलब्ध होने के कारण समय पर कंडाली के कपडे मिलने में दिक्कते हो रही है ,लेकिन वाबजूद उसके कुछ संस्थाओं के द्वारा डिमांड पर कपड़ा उपलब्ध करवाया जाता है ,कंडाली के बने हुए एक हाफ जैकेट की कीमत 3 से 4 हजार रुपये की बीच है ।

टिक टाक -1
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.