चमोली: कोरोना के इस संकट काल में जहां शहर, दुकान, बाजार सब बंद हैं, वहीं इस बीच उत्तराखंड के पहाड़ों में एक फौजी ने इन दिनों पहाड़ों को आबाद करने की जंग छेड़ी हुई है. जहां आज के दौर में रिटायर्ड होने के बाद अधिकतर सर्विस क्लास लोग देहरादून, हल्द्वानी या अन्य शहरों की तरफ रुख करते हैं. वहीं पूर्व सैनिक राकेश बिष्ट ने गांव लौटकर ऑर्गेनिक सब्जी की खेती कर एक बड़ी पहल शुरू की है. जिसकी हर ओर चर्चा हो रही है. इतना ही नहीं लोग इनसे प्रेरणा लेकर ऑर्गनिक खेती भी करने लगे हैं.
दरसअल, पूर्व सैनिक राकेश बिष्ट साल 2018 में सेना से रिटायर्ड हुए. जिसके बाद उन्होंने गांव वापस लौट कर स्वरोजगार की एक नई इबारत लिखी. राकेश बिष्ट ने गांव में ही ऑर्गनिक खेती कर अपने काम की शुरुआत की. जिसके बाद धीरे-धीरे उनका ये काम उनका पैशन बन गया, जिसका नतीजा है कि राकेश क्षेत्र में बेरोजगार युवाओं के लिए एक प्रेरणा का काम कर रहे हैं.
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घाट ब्लॉक के दूरस्थ गांव लाखी के रिटायर्ड फौजी राकेश बिष्ट आज सब्जी उदपादन,डेयरी और मुर्गी पालन से अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. जिससे वह गांव के लोगों को रोजगार देने के साथ ही, खाली होते गांवों को आबाद रखने का भी काम रहे हैं. राकेश बताते हैं कि जब वह फौज में थे तभी से उनके भीतर पहाड़ों के लिए कुछ करने की सोच हिलोरे मारने लगी थी. वे बताते हैं कि खाली होते पहाड़ों का दर्द और बंजर जमी को देखकर हमेशा ही वे रुआंसे हो जाते थे. जिसके बाद उन्होंने मन ही मन में पहाड़ों को आबाद करने की सोची. उनकी इसी ललक और जनून की बदौलत आज राकेश ऑर्गनिक खेती करते हुए लोगों के लिए एक नजीर पेश कर रहे हैं.
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ऐसा नहीं है कि राकेश को इस काम को शुरू करने में कोई परेशानी नहीं हुई. राकेश ,सरकारी सिस्टम के प्रति अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए बताते हैं कि शुरुआती दौर में उन्होंने इसके लिए कई विभागों के चक्कर काटे, मगर सिस्टम की उदासीनता के कारण निराशा उनके हाथ लगी. जिसके बाद उन्होंने खुद के संसाधनों के बल पर ही सब्जी ,डेयरी और मुर्गी पालन का काम शुरू किया.
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लॉकडाउन के दौर में जहां आजकल लोगों को सब्जियों की कमी खल रही है, तब ऐसे में पूर्व सैनिक राकेश बिष्ट की ऑर्गेनिक सब्जियां अधिकांश लोगों की आवश्यकता की पूर्ति कर रही हैं. जिससे राकेश काफी खुश हैं.