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10 अक्टूबर को शीतकाल के लिए बंद होंगे हेमकुंड साहिब के कपाट - Uttarakhand hemkund sahib

10 अक्टूबर को शीतकाल के लिए हेमकुंड साहिब के कपाट बंद होंगे. अब तक करीब 5 हजार श्रद्धालुओं गुरुद्वारा साहिब में मत्था टेका है. हेमकुंड साहिब के कपाट शीतकाल के लिए 6 माह बंद रहते हैं.

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हेमकुंड साहिब के कपाट
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Published : Sep 30, 2021, 6:56 PM IST

Updated : Sep 30, 2021, 7:10 PM IST

देहरादून: हेमकुंड साहिब के कपाट शीतकाल के लिए 10 अक्तूबर को विधि-विधान के साथ बंद होंगे. कोविड के चलते इस साल हेमकुंड साहिब के कपाट चारधाम यात्रा के साथ 18 सितंबर को खुले थे. अभी तक हेमकुंड साहिब में पांच हजार श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं और लगातार श्रद्धालु हेमकुंड साहिब आने के लिए रजिस्ट्रेशन भी करा रहे हैं.

हेमकुंड साहिब ट्रस्ट के उपाध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने बताया कि 10 अक्तूबर को हेमकुंड साहिब के कपाट बंद कर दिए जाएंगे. उन्होंने इसी अवधि तक श्रद्धालुओं से यात्रा करने का आग्रह किया है. बता दें कि हेमकुंड साहिब के कपाट हमेशा 25 मई को खोल दिए जाते थे. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते कपाट करीब साढ़े तीन महीने देरी से खोले गए.

हेमकुंड में दशम ग्रंथ की रचना: ऐसी मान्यता है कि सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने दशम ग्रंथ को यहां लिखा था. बता दें कि हेमकुंड साहिब चमोली जिले के उच्च हिमालई क्षेत्र में स्थित है. यह तीर्थ स्थल करीब 15000 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है. हर साल लाखों की संख्या में सिख तीर्थ यात्री दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

हेमकुंड साहिब के कपाट 10 अक्टूबर को होंगे बंद.

ये भी पढ़ें: 10 मई को खुलेंगे हेमकुंड साहिब के कपाट, यात्रा की तैयारी शुरू

इस तरह से पहुंचे हेमकुंड साहिब: ऋषिकेश से 280 किमी गोविंदघाट तक वाहन मार्ग से आने के बाद यहां से पुलना तक चार किमी सड़क सुविधा है. पुलना गांव से हेमकुंड साहिब के बेस कैंप घांघरिया की दूरी 10 और यहां से हेमकुंड साहिब छह किमी पर स्थित है. पैदल यात्रा के दौरान घोड़े, डंडी, कंडी की सुविधा है. गोविंदघाट और घांघरिया में गुरुद्वारे हैं, जहां पर यात्रियों के लिए लंगर और रहने के लिए कमरे उपलब्ध हैं. इसके अलावा यहां पर होटल, रेस्टोरेंट भी हैं.

फूलों की घाटी भी घूमें: हेमकुंड साहिब के बेस कैंप घांघरिया से फूलों की घाटी के लिए भी रास्ता है. फूलों की घाटी घांघरिया से तीन किमी पैदल चलकर पहुंची जा सकती है. घांघरिया में ही फूलों की घाटी यात्रा का बेस कैंप है. इस घाटी में 530 प्रजाति के फूल खिलते हैं. 2005 में यह घाटी विश्व धरोहर घोषित हुई है.

देहरादून: हेमकुंड साहिब के कपाट शीतकाल के लिए 10 अक्तूबर को विधि-विधान के साथ बंद होंगे. कोविड के चलते इस साल हेमकुंड साहिब के कपाट चारधाम यात्रा के साथ 18 सितंबर को खुले थे. अभी तक हेमकुंड साहिब में पांच हजार श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं और लगातार श्रद्धालु हेमकुंड साहिब आने के लिए रजिस्ट्रेशन भी करा रहे हैं.

हेमकुंड साहिब ट्रस्ट के उपाध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने बताया कि 10 अक्तूबर को हेमकुंड साहिब के कपाट बंद कर दिए जाएंगे. उन्होंने इसी अवधि तक श्रद्धालुओं से यात्रा करने का आग्रह किया है. बता दें कि हेमकुंड साहिब के कपाट हमेशा 25 मई को खोल दिए जाते थे. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते कपाट करीब साढ़े तीन महीने देरी से खोले गए.

हेमकुंड में दशम ग्रंथ की रचना: ऐसी मान्यता है कि सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने दशम ग्रंथ को यहां लिखा था. बता दें कि हेमकुंड साहिब चमोली जिले के उच्च हिमालई क्षेत्र में स्थित है. यह तीर्थ स्थल करीब 15000 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है. हर साल लाखों की संख्या में सिख तीर्थ यात्री दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

हेमकुंड साहिब के कपाट 10 अक्टूबर को होंगे बंद.

ये भी पढ़ें: 10 मई को खुलेंगे हेमकुंड साहिब के कपाट, यात्रा की तैयारी शुरू

इस तरह से पहुंचे हेमकुंड साहिब: ऋषिकेश से 280 किमी गोविंदघाट तक वाहन मार्ग से आने के बाद यहां से पुलना तक चार किमी सड़क सुविधा है. पुलना गांव से हेमकुंड साहिब के बेस कैंप घांघरिया की दूरी 10 और यहां से हेमकुंड साहिब छह किमी पर स्थित है. पैदल यात्रा के दौरान घोड़े, डंडी, कंडी की सुविधा है. गोविंदघाट और घांघरिया में गुरुद्वारे हैं, जहां पर यात्रियों के लिए लंगर और रहने के लिए कमरे उपलब्ध हैं. इसके अलावा यहां पर होटल, रेस्टोरेंट भी हैं.

फूलों की घाटी भी घूमें: हेमकुंड साहिब के बेस कैंप घांघरिया से फूलों की घाटी के लिए भी रास्ता है. फूलों की घाटी घांघरिया से तीन किमी पैदल चलकर पहुंची जा सकती है. घांघरिया में ही फूलों की घाटी यात्रा का बेस कैंप है. इस घाटी में 530 प्रजाति के फूल खिलते हैं. 2005 में यह घाटी विश्व धरोहर घोषित हुई है.

Last Updated : Sep 30, 2021, 7:10 PM IST
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