चमोली: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बदरीनाथ में भगवान बदरी विशाल की पूजा अर्चना की. इस दौरान दोनों मुख्यमंत्री भारत के अंतिम गांव माणा गए और आईटीबीपी, सेना और बीआरओ के जवानों से मिलकर उनका हौसला-अफजाई किया.
इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चमोली को 1 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया. ताकि चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े. वहीं अपने बीच यूपी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों को पाकर सैनिकों के चेहरे खुशी से खिल उठे. इस दौरान माणा गांव 'भारत माता की जय' से गूंज उठा.
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सीमांत गांव माणा, चमोली में आईटीबीपी के जवानों का उत्तर प्रदेश के मा० मुख्यमंत्री श्री @myogiadityanath जी के साथ मिलकर उत्साहवर्धन किया। जय हिंद!🇮🇳
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) November 17, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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बता दें कि सोमवार को केदारनाथ में जबरदस्त बर्फबारी के कारण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आठ घंटे फंसे रहे. रविवार को योगी आदित्यनाथ और त्रिवेंद्र सिंह रावत केदारनाथ पहुंचे थे और रात्रि विश्राम के बाद दोनों नेताओं ने केदारनाथ के कपाट बंद होने के दौरान पूजा में भाग लिया.
इसके बाद उन्हें सोमवार सुबह बदरीनाथ रवाना होना था और दर्शन-पूजन के बाद योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश के अतिथि गृह के भूमि पूजन में शामिल होना था, लेकिन मौसम अनुकूल न होने के कारण वे बदरीनाथ नहीं जा पाए.
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माणा गांव की कहानी
बदरीनाथ से तीन किमी आगे समुद्र तल से 18,000 फुट की ऊंचाई पर बसा है भारत का अंतिम गांव माणा. भारत-चीन सीमा से लगे इस गांव की सांस्कृतिक विरासत तो महत्त्वपूर्ण है ही, यह अपनी अनूठी परम्पराओं के लिए भी खासा मशहूर है. माणा गांव को माना गांव भी कहा जाता है. इस गांव का जिक्र त्रेतायुग से जुड़े संदर्भों में मिलता है. इसका पौराणिक नाम मणिभद्र बताया जाता है.
प्रकृति के बसरते प्यार के कारण इस गांव की लोकेशंस बहुत सुंदर हैं. माणा में कड़ाके की सर्दी पड़ती है. छह महीने तक यह क्षेत्र केवल बर्फ से ही ढका रहता है. यही कारण है कि यहां कि पर्वत चोटियां बिल्कुल खड़ी और खुश्क हैं. सर्दियां शुरु होने से पहले यहां रहने वाले ग्रामीण नीचे स्थित चमोली जिले के गांवों में अपना बसेरा करते हैं. माणा में ही भारत-तिब्बत सीमा सुरक्षा बल का बेस भी है.