चमोलीः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज चमोली के पोखरी दौरे पर रहे. उन्होंने पांच दिवसीय हिमवंत कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल खादी ग्राम उद्योग एवं पर्यटन शरदोत्सव मेले का शुभारंभ किया. इस दौरान सीएम धामी ने इस मेले को राजकीय मेला घोषित करने का ऐलान किया. साथ ही कहा कि हर साल इस मेले के आयोजन के लिए 2 लाख रुपए की राशि दी जाएगी. वहीं, उन्होंने पोखरी में 97.30 लाख लागत से निर्मित पर्यटक आवास गृह का लोकार्पण किया.
मुख्यमंत्री बनने के बाद पुष्कर सिंह धामी पहली बार पोखरी (CM Pushkar Dhami Pokhari visit) पहुंचे. उनके पोखरी पहुंचने पर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सीएम का जोरदार स्वागत किया. सीएम धामी ने दीप प्रज्ज्वलित कर कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल खादी ग्राम उद्योग एवं पर्यटन शरदोत्सव मेले (Chandra Kunwar Bartwal Khadi Village Industries and Tourism Sharadotsav Fair) का आगाज किया. यह मेला पांच दिनों तक चलेगा. अपने संबोधन में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पहाड़ों में उद्योग स्थापित करने पर सरकार जोर दे रही है. साथ ही कुटीर उद्योग लगाए जा रहे हैं. जब पहाड़ में उद्योग धंधे खुलेंगे तो रोजगार बढे़गा.
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'पोखरी मेला' राजकीय मेला घोषितः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नागनाथ पोखरी मेले को राजकीय मेला घोषित करने का ऐलान (CM Dhami announced to Pokhari fair as state fair) किया. इस दौरान उन्होने कहा कि हर साल पोखरी मेले के आयोजन के लिए 2 लाख रुपए की राशि दी जाएगी. वहीं, चारधाम देवस्थानम बोर्ड भंग (Uttarakhand chardham devasthanam management board Dissolved) होने पर बदरीनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों ने शंख ध्वनि के साथ मुख्यमंत्री को बदरीनाथ धाम की धर्म ध्वजा और अंगवस्त्र भेंट किया.
पर्यटक आवास गृह का किया लोकार्पणः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पोखरी में 97.30 लाख लागत से निर्मित पर्यटक आवास गृह का लोकार्पण किया. साथ ही क्षेत्र के विकास के लिए विभिन्न विकास योजनाओं की घोषणाएं भी की. उन्होंने बेनीताल में तीन दिवसीय स्टार गेजिंग व एस्ट्रो फोटाग्राफी इवेंट का उद्घाटन भी किया. मेले में खादी, उद्योग एवं अन्य विभागों के स्टॉल, चर्खी, बच्चों के झूले, सर्कस, खेलकूद व सांस्कृतिक कार्यक्रमों समेत अनेक मनोरंजक गतिविधियां लोगों को आकर्षित कर रही है.
मुख्यमंत्री धामी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रकृति के चितेरे कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल ने मात्र 28 साल की उम्र में हिंदी साहित्य को अनमोल कविताओं का समृद्व खजाना दे दिया था. उनकी कविताओं में अटूट प्रकृति प्रेम झलकता है. जीवन के इस छोटे सफर में उन्होंने सात सौ से भी ऊपर कविताएं, गीत, मुक्तक, निबंध आदि लिखकर एक इतिहास रचा है.
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कविताओं में हिमालय का जीवन किया साकारः उन्होंने अपनी कालजयी कविताओं में हिमालय का जीवन साकार किया है. हिमाच्छादित शैल शिखर, सदानीरा कल कल करती नदियां, लंबे चौडे लहलहाते चारागाह, दूर दूर तक फैले चीड, बांज, बुरांश, देवदार के घने जंगल, रंग बिरंगे फूलों से लदालद भरी घाटियां, पशु पक्षी, ऋतुओं का पट-परिवर्तन, घन गर्जन सभी का चमत्कारिक चित्रण उनकी कविताओं में मिलता है.
ग्रामीण विकास के लिए काम कर रही सरकारः मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सरकार ग्रामोदय से भारत उदय मिशन के साथ लगातार काम कर रही है. केंद्र और राज्य सरकार के माध्यम से गरीब कल्याण के लिए अनेक योजनाएं शुरू की गई हैं. लघु एवं कुटीर उद्योग लगाने के लिए नियमों में सिथिलता प्रदान की गई है. ताकि हमारे दूरस्थ पहाड़ों में भी कुटीर एवं लघु उद्योग लगें और अधिक से अधिक लोगों को स्वरोजगार मिल सके.
सरकार ने लंबित मांगों को किया पूराः उन्होंने कहा कि सरकार पहाड़ों में होम स्टे बढ़ाने का काम कर रही है. सरकार ने लंबे समय से चली आ रही मांगों को देखते हुए पीआरडी जवानों उपनल कर्मियों, ग्राम प्रधानों, त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, भोजन माताओं का मानदेय बढ़ाने का कार्य किया है.
हर फैसला जनता को समर्पितः सीएम धामी ने कहा कि उनके मुख्य सेवक बनने के बाद सरकार ने 500 से ज्यादा जनहित के फैसले लिए हैं और हर फैसला जनता को समर्पित है. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से समाज के हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए योजनाएं चलाई जा रही हैं. प्रत्येक घोषणा के लिए पूर्व सुनियोजित तरीके से वित्तीय खर्च का प्रबंधन कर रहे हैं, जिससे हमारी सारी घोषणाएं धरातल पर उतर रही हैं.
21 वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड काः सीएम धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पूरी दुनिया को संदेश दिया कि तीसरा दशक उत्तराखंड का होगा. राज्य जब 25वां स्थापना दिवस मना रहा होगा, तब राज्य सभी क्षेत्रों में देश का अग्रणीय एवं आदर्श राज्य होगा. उत्तराखंड पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, कृषि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में नंबर वन बनेगा. बोधिसत्व विचार श्रृंखला के माध्यम से सरकार विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर चुके अनुभवी लोगों से सुझाव ले रही है.
24,000 पदों पर की जा रही भर्तीः उन्होंने कहा हमारी सरकार युवाओं को रोजगार देने पर कार्य कर रही है. विभिन्न विभागों में रिक्त चल रहे 24,000 पदों पर भर्ती एवं युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए युवाओं हेतु प्रत्येक जिले में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत ऋण वितरित किए जा रहे हैं. कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने शहीद योगंबर सिंह भंडारी के पिताजी को शॉल भेंट कर सम्मानित भी किया.
इन विकास योजनाओं की घोषणाः
- पोखरी में हिमवंत कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल खादी ग्रामोद्योग एवं पर्यटन शरादोत्सव मेले को राजकीय मेला घोषित करते हुए इस साल 2 लाख रुपए मेला समिति को देने की घोषणा की.
- राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान तपोवन ढाक (जोशीमठ) का नाम बदीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष स्व. मोहन प्रसाद थपलियाल के नाम पर रखा जाएगा.
- अमर शहीद सैनिक योगंबर सिंह भंडारी की स्मृति में नैलसांकरी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोला जाएगा.
- विकासखंड जोशीमठ में गैस गोदाम से रेगढ़ तक मोटर मार्ग का प्रथम चरण का निर्माण किया जाएगा.
- विकासखंड दशोली के पलेठी-सरतोली मोटर मार्ग के किमी 7 एवं 8 में सतह सुधारीकरण एवं सुरक्षात्मक कार्य किया जाएगा.
- विकासखंड दशोली के बणद्वारा से कांडई मोटर मार्ग का (द्वितीय चरण स्टेज) का नव निर्माण किया जाएगा.
- विकासखंड दशोली के जुंआ-दिगोली मो. मार्ग से मेहर गांव में मोटर मार्ग का निर्माण किया जाएगा.
- विकासखंड पोखरी के उडामांडा-सिमखोली-चोपडा मोटर मार्ग के सिमखोली बैंड से होते हुए प्रावि विरसण सेरा मोटर मार्ग का (प्रथम चरण) का नव निर्माण किया जाएगा.
- विकासखंड पोखरी के उडामांडा-रौता-चोपडा मोटर मार्ग के नलडुंगा से विरसण मोटर मार्ग का निर्माण किया जाएगा.
- विकासखंड पोखरी-गोपेश्वर मोटर मार्ग से डुंबरा गाव के लिए से मोटर मार्ग का (प्रथम चरण) नव निर्माण किया जाएगा.
- राजकीय प्रा.वि. सरतोली का उच्चीकरण किया जाएगा.
- निजमुला के दुर्मी घाटी में सचल पशु चिकित्सा केंद्र खोला जाएगा.
जानिए कौन हैं हिमवंत कवि चंद्र कुंवर बर्त्वालः जन कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल (Chandra Kunwar Bartwal) का जन्म रुद्रप्रयाग जिले के ग्राम मालकोटी, पट्टी तल्ला नागपुर में 20 अगस्त 1919 को हुआ था. उन्होंने मात्र 28 साल के जीवन में एक हजार अनमोल कविताएं, 24 कहानियां, एकांकी और बाल साहित्य का अनमोल खजाना हिंदी साहित्य को दिया. मृत्यु पर आत्मीय ढंग और विस्तार से लिखने वाले चंद्र कुंवर बर्त्वाल हिंदी के पहले कवि हैं.
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चंद्र कुंवर बर्त्वाल 28 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए थे. लेकिन इस छोटी सी उम्र में भी वह देश-दुनिया को सुंदर साहित्य दे गए. चंद्र कुंवर बर्त्वाल की कविताएं मानवता को समर्पित थीं. बेशक वह प्रकृति के कवि पहले थे. शूरवीर ने कहा कि बर्त्वाल हिंदी साहित्य के एक मात्र ऐसे कवि थे जिन्होंने हिमालय, प्रकृति व पर्यावरण के साथ-साथ मनुष्य की सुंदर भावनाओं और संवेदनाओं को अपनी कविताओं में पिरोया. उनकी कविताएं हिमालय व प्रकृति प्रेम की साक्षी रही हैं.
कालिदास को मानते थे गुरुः 'मैं न चाहता युग-युग तक पृथ्वी पर जीना, पर उतना जी लूं जितना जीना सुंदर हो. मैं न चाहता जीवन भर मधुरस ही पीना, पर उतना पी लूं जिससे मधुमय अंतर हो'. ये पंक्तियां हैं हिंदी के कालिदास के रूप में जाने माने प्रकृति के चहेते कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल की. विश्व कवि कालिदास को अपना गुरु मानने वाले चंद्र कुंवर बर्त्वाल ने चमोली के पोखरी और रुद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि में अध्यापन भी किया था. चंद्र कुंवर बर्त्वाल को प्रकृति प्रेमी कवि माना जाता है. उनकी कविताओं में हिमालय, झरनों, नदियों, फूलों, खेतों, बसंत का वर्णन तो होता ही था. लेकिन उपनिवेशवाद का विरोध भी दिखता था. आज उनके काव्य पर कई छात्र पीएचडी कर रहे हैं.
युवावस्था में हुए टीबी के शिकारः कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल (Himwant Kavi Chandra Kunwar Bartwal) प्रमुख कविताओं में विराट ज्योति, कंकड़-पत्थर, पयस्विनी, काफल पाकू, जीतू, मेघ नंदिनी हैं. युवावस्था में ही वह टीबी के शिकार हो गए थे. इसके चलते उन्हें पांवलिया के जंगल में बने घर में एकाकी जीवन व्यतीत करना पड़ा था. मृत्यु के सामने खड़े कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल ने 14 सितंबर, 1947 को हिंदी साहित्य को बेहद समृद्ध खजाना देकर दुनिया को अलविदा कह दिया था.
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मृत्यु के बाद मिली पहचानः कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल की मृत्यु के बाद उनके सहपाठी शंभुप्रसाद बहुगुणा ने उनकी रचनाओं को प्रकाशित करवाया और यह दुनिया के सामने आईं. इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि आज भी हिंदी साहित्य के अनमोल रत्न कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल को राष्ट्रीय स्तर पर वो सम्मान प्राप्त नहीं हो सका है, जिसके वह हकदार थे. उनकी कर्मस्थली, पांवलिया जंगल का वह घर जहां मृत्यु से पहले उन्होंने अपना सर्वात्तम काव्य लिखा था, आज खंडहर हो रहा है. हालांकि प्रशासन कई बार दावा कर चुका है कि वहां संग्राहलय और पर्यटन स्थल बनाया जाएगा.