चमोली: उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में हालात दिन प्रतिदिन खराब होते जा रहे (land subsidence in Joshimath) है. जोशीमठ में भूधंसाव के मामले में स्थानीय प्रशासन ने कार्रवाई तेज कर दी है. इलाके में भू-धंसाव से प्रभावित लोगों के घरों पर लाल क्रॉस के निशान लगाए जा रहे हैं. इसका मतलब है कि जिन घरों पर यह निशान लगाए गए हैं, उन्हें अपने घर खाली करना पड़ेगा और राहत शिविरों में जाना पड़ेगा. वहीं, सूत्रों का कहना है कि सीएसआईआर-केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान की टीम ने जोशीमठ भू-धंसाव वाले इलाके में दरार पड़ी भवनों का भी निरीक्षण किया है. जिन्हें जल्द टीम तोड़ सकती है.
हालांकि, प्रशासन की इस पहल को लेकर स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी देखी जा रही है. लोगों का कहना है कि अचानक से उन्हें घर छोड़कर जाने के लिए कहा जा रहा है लेकिन यह भी स्थायी व्यवस्था नहीं है. घरों पर लाल क्रॉस का निशान लगाए जाने से लोगों में काफी बेचैनी है. लोग अपनी घर-गृहस्थी छोड़कर जाने को तैयार नहीं हैं. स्थानीय लोगों का गुस्सा भी प्रशासन के खिलाफ बढ़ता जा रहा है. स्थानीय लोगों ने एसडीएम जोशीमठ कुमकुम जोशी के सामने अपनी नाराजगी जताई और शिविरों का निरीक्षण करने जा रहे डीएम के वाहन को रोक दिया. लोगों ने एसडीएम पर दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया.
टीम ने लिया जायजा: सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक टीम मुआवजे के लिए इमारतों को हुए नुकसान का जायजा लेने जोशीमठ भू-धंसाव क्षेत्र का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है. सीएम धामी के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम का कहना है कि जिस क्षेत्र को तुरंत खाली करने की जरूरत है उसे 'डेंजर जोन' के रूप में नामित किया गया है. जो क्षेत्र जल्द ही असुरक्षित हो सकता है वह है 'बफर जोन' और तीसरा वह है जो पूरी तरह से सुरक्षित है. हम क्षेत्रों के विवरण का सर्वेक्षण कर रहे हैं; डेंजर और बफर जोन. उसके बाद हम तय करेंगे कि किसे कहां शिफ्ट किया जाएगा. हमने इन निवासियों के पुनर्वास के लिए उपयुक्त कुछ क्षेत्रों का निरीक्षण किया है.
हालात पर सीएम धामी की नजर: जोशीमठ के हालात पर खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नजर बनाए हुए हैं. शनिवार को सीएम धामी ने पूरे इलाके का हवाई और जमीनी सर्वेक्षण किया था. सीएम धामी ने यहां के लोगों से बात की और जमीनी स्तर पर हालात को समझा. जिसके बाद जोशीमठ में खतरे के जोन में रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया जा रहा है. वहीं, सीएम धामी ने कहा कि जोशीमठ में सरकार द्वारा प्रभावित नगरवासियों की सुरक्षा, पुनर्वास एवं क्षेत्र के संरक्षण हेतु कार्य तीव्र गति से संचालित हैं. पीएम मोदी भी व्यक्तिगत रूप से क्षेत्र की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं. इस संकट की घड़ी में हम जोशीमठ के साथ खड़े हैं.
जोशीमठ जा सकते हैं राजनाथ सिंह: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जोशीमठ का दौरा करने आ सकते हैं. बताया जा रहा है कि मंगलवार को वह जोशीमठ पहुंच कर भूधंसाव की स्थिति का जायजा ले सकते हैं. हालांकि रक्षामंत्री के आने की आधिकारी जानकारी सामने नहीं आई है.
तीन जोन में बंटा जोशीमठ: दरअसल भू-धंसाव के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने जोशीमठ को तीन जोन में बांट दिया है. ये तीन जोन असुरक्षित, सुरक्षित और बफर जोन में बांटे गए हैं. जोन के आधार पर घरों के चिन्हीकरण के आदेश दिए गए हैं. असुरक्षित जोन में ऐसे मकान होंगे जो ज्यादा जर्जर हैं और रहने लायक नहीं हैं. सुरक्षित जोन में वो भवन होंगे जिनमें हल्की दरारें हैं और दरारों का आकार स्थिर है बढ़ नहीं रहा है. बफर जोन में वो भवन होंगे जिनमें हल्की दरारें हैं, लेकिन दरारों के बढ़ने का खतरा है.
मकानों पर खतरे का लाल निशान: जिला प्रशासन घरों पर लाल निशाना लगाकर इलाकों को असुरक्षित घोषित कर रहा (government declared Joshimath disaster) है. वहीं लोगों से भी अपील की जा रही है कि वो लाल निशाना वाले क्षेत्रों में न जाए. जोशीमठ में 600 से ज्यादा घरों में दरारें पड़ी हुई है. 100 से ज्यादा घर ऐसे है जो कभी भी ढह सकते है. वहीं प्रशासन 60 से ज्यादा परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेज चुका है.
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चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया कि जिले में अगले आदेश तक सभी निर्माणकार्यों पर रोक लगा दी गई है. इसके अलावा जो रिलीफ कैंप बनाए गए हैं, उसका अधिकारी निरीक्षण कर रहे हैं. साथ ही अस्थाई रूप से विस्थापित परिवार को राहत सामग्री भी दी जा रही है. वहीं जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताता कि जोशीमठ नगर पालिका क्षेत्र को आपदा क्षेत्र घोषित किया गया है. इसके अलावा भारत सरकार की दो टीमें आज 9 जनवरी को जोशीमठ पहुंच रही है. पहली जल शक्ति मंत्रालय की हाईलेवल टीम है और दूसरी गृह मंत्रालय की बॉर्डर मैनेजमेंट की टीम भी जोशीमठ पहुंच रही है.
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हरीश रावत ने भी जताई चिंता: जोशीमठ की वर्तमान स्थिति को लेकर हरीश रावत ने भी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि जोशीमठ में स्थिति खराब है. कभी भी पूरा ढांचा तबाह हो सकता है. प्रकृति ने चेतावनी दी है, लेकिन समस्या ये है कि हम लोग उसे चेतावनी के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं. हरीश रावत की माने तो जोशीमठ को बचाने का एक ही तरीका है कि उस शहर को किसी दूसरी जगह बसाया जाएय यानी नया जोशीमठ बसाया जाए और पुराने जोशीमठ का ट्रीटमेंट किया जाए.