चमोली: समुद्र तल से 12, 995 फीट की ऊंचाई पर स्थित फूलों की घाटी में इन दिनों हिमालयन क्वीन ब्लू पॉपी घाटी की शोभा बढ़ा रहा है. अपने इस पसंदीदा फूल के दीदार के लिए विदेशी पर्यटक घाटी की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं. 150 जापानी शोधकर्ता इस समय फूलों की घाटी पहुंचे हुए हैं, जहां वे यहां के अन्य फूलों की जानकारियां भी जुटा रहे हैं.
चमोली जिले के जोशीमठ विकासखंड में 80.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फूलों की घाटी फैली हुई है. जहां पर दुनिया के दुर्लभ प्रजाति के फूल, वन्य जीव, औषधीय पौधे और प्रवासी पक्षी काफी संख्या में पाए जाते हैं. यही वजह है कि फूलों की घाटी प्रकृति प्रेमियों, वनस्पति शास्त्रियों और शोधकर्ताओं के लिए फूलों की घाटी पहली पसंद रहती है.
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इन दिनों फूलों की घाटी जापान के लोगों को खूब भा रही है. यहां वे अपने पसंदीदा फूल ब्लू पॉपी को देखने पहुंचे हैं. बता दें कि यह फूल जहां हिमालयन क्वीन के नाम से विख्यात है, वहीं जापान में इस फूल का काफी धार्मिक महत्व है. मूल रूप से यह ब्लू पॉपी फूल जापान का ही फूल है. इसी फूल का दीदार करने के लिए 15 जुलाई से अबतक 150 जापानी पर्यटक फूलों की घाटी पहुंचे हैं. जो 15 अगस्त तक यहीं रहेंगे. इस दौरान वे यहां मौजूद 500 से अधिक प्रजातियों के फूलों के बारे में जानकारियां भी जुटाएंगे.
ऐसे लाया गया था ब्लू पॉपी फूल
1984 तक फूलों की घाटी में ब्लू पॉपी फूल कहीं भी नजर नहीं आता था. 1984 को एक जापानी शोधकर्ता छात्र चो बकॉम्बे फूलों पर शोध के लिए फूलों की घाटी पहुंचा. वह अपने साथ जापान के राष्ट्रीय पुष्प ब्लू पॉपी के बीजों को भी साथ लेकर आया था.
छात्र फूलों की घाटी में ब्लू पॉपी के बीजों को बिखेरकर वापस लौट गया. लेकिन जब वह 1987 में वापस फूलों की घाटी आया तो घाटी में चारो तरफ ब्लू पॉपी के फूल खिले हुए थे. जिसके बाद से आजतक फूलों की घाटी में जापानी पर्यटक ब्लू पॉपी को निहारने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.