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फूलों की घाटी में खिला हिमालयन क्वीन, जापानी पर्यटकों का लगा तांता - हिमालयन क्वीन

इन दिनों फूलों की घाटी जापान के लोगों को खूब भा रही है. यहां वे अपने पसंदीदा फूल ब्लू पॉपी को देखने पहुंचे हैं. बता दें कि यह फूल जहां  हिमालयन क्वीन के नाम से विख्यात है, वहीं जापान में इस फूल का काफी धार्मिक महत्व है. मूल रूप से यह ब्लू पॉपी फूल जापान का ही फूल है. इसी फूल का दीदार करने के लिए 15 जुलाई से अबतक 150 जापानी पर्यटक फूलों की घाटी पहुंचे हैं.

फूलों की घाटी में खिला हिमालयन क्वीन
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Published : Jul 21, 2019, 7:51 PM IST

Updated : Jul 21, 2019, 8:29 PM IST

चमोली: समुद्र तल से 12, 995 फीट की ऊंचाई पर स्थित फूलों की घाटी में इन दिनों हिमालयन क्वीन ब्लू पॉपी घाटी की शोभा बढ़ा रहा है. अपने इस पसंदीदा फूल के दीदार के लिए विदेशी पर्यटक घाटी की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं. 150 जापानी शोधकर्ता इस समय फूलों की घाटी पहुंचे हुए हैं, जहां वे यहां के अन्य फूलों की जानकारियां भी जुटा रहे हैं.

फूलों की घाटी में खिला हिमालयन क्वीन

चमोली जिले के जोशीमठ विकासखंड में 80.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फूलों की घाटी फैली हुई है. जहां पर दुनिया के दुर्लभ प्रजाति के फूल, वन्य जीव, औषधीय पौधे और प्रवासी पक्षी काफी संख्या में पाए जाते हैं. यही वजह है कि फूलों की घाटी प्रकृति प्रेमियों, वनस्पति शास्त्रियों और शोधकर्ताओं के लिए फूलों की घाटी पहली पसंद रहती है.

पढे़ं- हॉस्पिटल के बाहर बिचौलियों का बढ़ता जाल प्रबंधन के लिए बना सिरदर्द, ऐसे होता है कमीशन का खेल

इन दिनों फूलों की घाटी जापान के लोगों को खूब भा रही है. यहां वे अपने पसंदीदा फूल ब्लू पॉपी को देखने पहुंचे हैं. बता दें कि यह फूल जहां हिमालयन क्वीन के नाम से विख्यात है, वहीं जापान में इस फूल का काफी धार्मिक महत्व है. मूल रूप से यह ब्लू पॉपी फूल जापान का ही फूल है. इसी फूल का दीदार करने के लिए 15 जुलाई से अबतक 150 जापानी पर्यटक फूलों की घाटी पहुंचे हैं. जो 15 अगस्त तक यहीं रहेंगे. इस दौरान वे यहां मौजूद 500 से अधिक प्रजातियों के फूलों के बारे में जानकारियां भी जुटाएंगे.

ऐसे लाया गया था ब्लू पॉपी फूल
1984 तक फूलों की घाटी में ब्लू पॉपी फूल कहीं भी नजर नहीं आता था. 1984 को एक जापानी शोधकर्ता छात्र चो बकॉम्बे फूलों पर शोध के लिए फूलों की घाटी पहुंचा. वह अपने साथ जापान के राष्ट्रीय पुष्प ब्लू पॉपी के बीजों को भी साथ लेकर आया था.

छात्र फूलों की घाटी में ब्लू पॉपी के बीजों को बिखेरकर वापस लौट गया. लेकिन जब वह 1987 में वापस फूलों की घाटी आया तो घाटी में चारो तरफ ब्लू पॉपी के फूल खिले हुए थे. जिसके बाद से आजतक फूलों की घाटी में जापानी पर्यटक ब्लू पॉपी को निहारने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.

चमोली: समुद्र तल से 12, 995 फीट की ऊंचाई पर स्थित फूलों की घाटी में इन दिनों हिमालयन क्वीन ब्लू पॉपी घाटी की शोभा बढ़ा रहा है. अपने इस पसंदीदा फूल के दीदार के लिए विदेशी पर्यटक घाटी की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं. 150 जापानी शोधकर्ता इस समय फूलों की घाटी पहुंचे हुए हैं, जहां वे यहां के अन्य फूलों की जानकारियां भी जुटा रहे हैं.

फूलों की घाटी में खिला हिमालयन क्वीन

चमोली जिले के जोशीमठ विकासखंड में 80.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फूलों की घाटी फैली हुई है. जहां पर दुनिया के दुर्लभ प्रजाति के फूल, वन्य जीव, औषधीय पौधे और प्रवासी पक्षी काफी संख्या में पाए जाते हैं. यही वजह है कि फूलों की घाटी प्रकृति प्रेमियों, वनस्पति शास्त्रियों और शोधकर्ताओं के लिए फूलों की घाटी पहली पसंद रहती है.

पढे़ं- हॉस्पिटल के बाहर बिचौलियों का बढ़ता जाल प्रबंधन के लिए बना सिरदर्द, ऐसे होता है कमीशन का खेल

इन दिनों फूलों की घाटी जापान के लोगों को खूब भा रही है. यहां वे अपने पसंदीदा फूल ब्लू पॉपी को देखने पहुंचे हैं. बता दें कि यह फूल जहां हिमालयन क्वीन के नाम से विख्यात है, वहीं जापान में इस फूल का काफी धार्मिक महत्व है. मूल रूप से यह ब्लू पॉपी फूल जापान का ही फूल है. इसी फूल का दीदार करने के लिए 15 जुलाई से अबतक 150 जापानी पर्यटक फूलों की घाटी पहुंचे हैं. जो 15 अगस्त तक यहीं रहेंगे. इस दौरान वे यहां मौजूद 500 से अधिक प्रजातियों के फूलों के बारे में जानकारियां भी जुटाएंगे.

ऐसे लाया गया था ब्लू पॉपी फूल
1984 तक फूलों की घाटी में ब्लू पॉपी फूल कहीं भी नजर नहीं आता था. 1984 को एक जापानी शोधकर्ता छात्र चो बकॉम्बे फूलों पर शोध के लिए फूलों की घाटी पहुंचा. वह अपने साथ जापान के राष्ट्रीय पुष्प ब्लू पॉपी के बीजों को भी साथ लेकर आया था.

छात्र फूलों की घाटी में ब्लू पॉपी के बीजों को बिखेरकर वापस लौट गया. लेकिन जब वह 1987 में वापस फूलों की घाटी आया तो घाटी में चारो तरफ ब्लू पॉपी के फूल खिले हुए थे. जिसके बाद से आजतक फूलों की घाटी में जापानी पर्यटक ब्लू पॉपी को निहारने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.

Intro:विश्वभर में 500 से अधिक प्रजाति के फूलों के लिए प्रसिद्ध समुद्र तल से 12995 फीट की ऊंचाई पर स्थित विश्व धरोहर फूलों की घाटी में इन दिनों हिमालयन क्वीन ब्लू पॉपी फ्लावर अपनी रंगत बिखेर रहा है ।जापान राष्ट्र के लोगो का पसंदीदा फूल ब्लू पॉपी फूलों की घाटी की शोभा तो बड़ा ही रहा है ,लेकिन इसके दीदार को विदेशी पर्यटक भी फूलों की घाटी की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं ।इनमें जापानी पर्यटकों की संख्या सर्वाधिक है।

एक्सक्लूसिव वीडियो मेल से भेजे है।


Body:चमोली जनपद के जोशीमठ विकासखंड में 80.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली फूलों की घाटी उच्च हिमालयी क्षेत्र में जैव विविधताओ का अद्भुत खजाना है। यहां पर दुनिया भर की दुर्लभ प्रजाति के फूल ,वन्य जीव जंतु ,औषधिय पौधे ,व प्रवासी पक्षी काफी मात्रा में पाए जाते हैं। यही वजह है कि फूलों की घाटी प्रकृति प्रेमियों और वनस्पति शास्त्रियों और शोधकर्ताओं की पहली पसंद है।

इन दिनों फूलों की घाटी जापान में जापान के लोगो को सार्वधिक पसंद फूल पुष्प ब्लू पॉपी से महक रही है ।जिसके दीदार को बड़ी तादात में विदेशी पर्यटक फूलों की घाटी पहुंचकर 500 से अधिक प्रजाति के फूलों का दीदार कर जानकारी भी जुटा रहे हैं। खासकर जापानी पर्यटक यहां पर अधिक पहुंच रहे हैं ।15 जुलाई से अब तक 150 जापानी पर्यटक फूलों की घाटी पहुंचे हैं जोकि 15 अगस्त तक यहीं रहेंगे।

बाईट-बृजमोहन भारती-वन क्षेत्राधिकारी फूलो की घाटी।


Conclusion:बताते चलें कि 1984 तक फूलों की घाटी में ब्लू पॉपी फूल कहीं भी नजर नहीं आता था । इसी वर्ष एक जापानी शोधकर्ता छात्र चो बकॉम्बे फूलो पर शोध के लिए फूलों की घाटी पहुंचा । हालांकि वह पहले भी घाटी का दीदार कर आ चुका था।लेकिन वह इस वर्ष जापान के राष्ट्रीय पुष्प ब्लू पॉपी के बीजों को को भी साथ लेकर आया था,वह ब्लू पॉपी के बीजों को घाटी में बिखेरकर वापस लौट आया था।वर्ष 1987 में वह फिर भारत आकर फूलो की घाटी पहुंचा तो घाटी में चारो तरफ ब्लू पॉपी के फूल खिले हुए थे।जिसके बाद से आज तक फूलो की घाटी में जापानी पर्यटक फूलो का दीदार करने अधिक संख्या में पहुँचते है।
Last Updated : Jul 21, 2019, 8:29 PM IST
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