चमोलीः पूरे देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी 2023 मनाया जा रहा है. इस मौके पर भू बैकुंठ धाम से प्रसिद्ध बदरीनाथ मंदिर को फूलों से भव्य तरीके से सजाया गया है. पूरे मंदिर को कई क्विंटल गेंदों के फूलों से सजाया गया है. जिसकी छटा और खूबसूरती देखते ही बन रही है.
बता दें कि प्रसिद्ध चारधाम में शुमार बदरीनाथ धाम में भगवान बदरी विशाल यानी विष्णु की पूजा होती है. यह भारत के चार धामों में से भी एक प्रमुख धाम है. बदरीनाथ एक ऐसा धाम है, जहां नर और नारायण दोनों मिलते हैं. यह धाम नर और नारायण पर्वतों के बीच बसा है. शास्त्रों में इसे विशालपुरी या विष्णुधाम भी कहा जाता है.
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Uttarakhand | Badrinath Temple decorated on the occasion of Krishna Janmashtami pic.twitter.com/e61VAznKda
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मान्यता है कि बदरीनाथ धाम में भगवान विष्णु निवास करते हैं. उनका दूसरा निवास बदरीनाथ माना जाता है, जो धरती पर मौजूद है. यही वजह है कि बदरीनाथ धाम को शास्त्रों में दूसरा बैकुंठ कहा गया है. ये भी मान्यता प्रचलित है कि बदरीनाथ कभी भगवान शिव का निवास स्थान होता था, लेकिन इसे भगवान विष्णु ने शिव से मांग लिया था.
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पौराणिक मान्यताएं हैं कि बदरीनाथ में हर युग में परिवर्तन हुआ है. माना जाता है कि सतयुग तक यहां भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन हर किसी को हो जाता था. जबकि, त्रेता युग में यहां देवताओं और साधुओं को भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन होते थे. वहीं, जब द्वापर युग में भगवान विष्णु श्रीकृष्ण रूप में अवतार लेने वाले थे, तब उन्होंने तय किया था कि यहां उनके विग्रह के दर्शन होंगे.
ये भी कहा जाता है कि धर्मराज व त्रिमूर्ति के दोनों पुत्र नर और नारायण ने यहां तपस्या की थी. जिससे इंद्र का घमंड चकनाचूर हो गया था. मान्यता है कि नर और नारायण बाद में यानी द्वापर युग में कृष्ण और अर्जुन के रूप में अवतरित हुए. जिन्हें बदरी विशाल के नाम से जाना जाता है.
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बदरीनाथ धाम में भगवान विष्णु पद्मासन की मुद्रा में विराजमान है. आदिगुरू शंकराचार्य ने भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर को चारों धाम में से एक के रूप में स्थापित किया था. बदरीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के केरल राज्य से ताल्लुक रखते हैं. वो ही यहां पूजा करते हैं. बदरीनाथ धाम के कपाट 6 महीने के लिए खुले रहते हैं. वहीं, कृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाया जाता है.