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7 दिसंबर से शुरू होगा सवाड़ गांव का अमर शहीद मेला, ये है खासियत

चमोली जिले में वीरों के गांव के नाम से प्रसिद्ध सवाड़ गांव का अमर शहीद मेला 7 दिसंबर से शुरू हो रहा है. इस बार ये मेला तीन दिन चलेगा. 15वें वर्ष में प्रवेश कर रहे शहीद मेले से पहले अंग्रेजों द्वारा दिए गए शिलापट्ट को अमर शहीद स्मारक पर स्थापित किया गया.

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Published : Dec 6, 2022, 9:20 AM IST

Amar Shaheed Mela
अमर शहीद मेला

थराली: देवाल में एक बार फिर से राज्य के सैनिक बाहुल्य गांवों में शुमार सवाड़ गांव में स्थापित वीर सैनिकों को समर्पित सैन्य स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित करने का दिन नजदीक आ गया है. देश की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगा देने वाले वीर सैनिकों की यादों को चिर स्थाई बनाए रखने के लिए 7 दिसंबर से आयोजित हो रहे 15वें अमर शहीद मेले के लिए सवाड़ गांव सज धजकर अतिथियों के स्वागत के लिए तैयार हो गया है.

15वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है अमर शहीद मेला: देवाल ब्लाक के सवाड़ गांव के पूर्व सैनिकों, सैन्य विधवाओं, सेना में कार्यरत सैनिकों के साथ ही अन्य लोगों ने कुछ ब्लाक के जनप्रतिनिधियों के सहयोग से सैन्य इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित सवाड़ गांव में 2008 में पहले अमर शहीद सैनिक मेले की शुरुआत की गई. जिसके बाद तमाम उतार चढ़ावों के बावजूद शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए मेले का आयोजन किया जाता रहा. छोटे स्तर से शुरू किया गया शहीद मेला 15 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. मेले के आयोजन को लेकर गांव में खासा उत्साह भी देखा जा रहा है.

इस बार तीन दिन चलेगा मेला: पिछले वर्षों तक शहीद मेला एक या दो दिन चलता था. इस बार कमेटी ने मेले को तीन दिन तक चलाने का निर्णय लिया है. मेला 7 से 9 दिसंबर तक चलेगा. इस मेले को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा राजकीय मेले के रूप में घोषित करने की कार्रवाई शुरू करने पर क्षेत्रीय जनता में काफी खुशी बनी हुई है.

प्रथम विश्व युद्ध से आज तक अग्रणीय रहे सवाड़ के रणबांकुरे: सवाड़ गांव के रणबांकुरों का इतिहास उपलब्धियों से भरा हुआ है. 1914 से 1919 के बीच हुए प्रथम विश्व युद्ध में यहां के 22 रणबांकुरों ने भाग लिया. 1939 से 1945 के बीच हुए द्वितीय विश्व में 38 सैनिक शामिल रहे. पेशावर कांड में यहां के 14 वीर सैनिक शामिल थे. आजादी की लड़ाई में 18 स्वतंत्रता सेनानियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया.
ये भी पढ़ें: निर्माणाधीन सैन्य धाम का कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने किया निरीक्षण, कहा- जल्द करेंगे जनता को समर्पित

वीरों के गांव सवाड़ को अंग्रेजों ने किया था सलाम: इसके अलावा जब-जब भी देश के ऊपर खतरे के बादल मंडराए, यहां के जवान हमेशा अग्रिम पंक्ति पर खड़े रहे. इस गांव के वीर जवानों की वीरता से अंग्रेज इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने सवाड़ गांव को ही वीरों की भूमि बताते हुए पूरे गांव को सलाम करते हुए एक शिलापट्ट ग्रामीणों को सौंपा, जोकि आज इस गांव में बने शहीद स्मारक पर स्थापित किया गया है.

थराली: देवाल में एक बार फिर से राज्य के सैनिक बाहुल्य गांवों में शुमार सवाड़ गांव में स्थापित वीर सैनिकों को समर्पित सैन्य स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित करने का दिन नजदीक आ गया है. देश की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगा देने वाले वीर सैनिकों की यादों को चिर स्थाई बनाए रखने के लिए 7 दिसंबर से आयोजित हो रहे 15वें अमर शहीद मेले के लिए सवाड़ गांव सज धजकर अतिथियों के स्वागत के लिए तैयार हो गया है.

15वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है अमर शहीद मेला: देवाल ब्लाक के सवाड़ गांव के पूर्व सैनिकों, सैन्य विधवाओं, सेना में कार्यरत सैनिकों के साथ ही अन्य लोगों ने कुछ ब्लाक के जनप्रतिनिधियों के सहयोग से सैन्य इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित सवाड़ गांव में 2008 में पहले अमर शहीद सैनिक मेले की शुरुआत की गई. जिसके बाद तमाम उतार चढ़ावों के बावजूद शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए मेले का आयोजन किया जाता रहा. छोटे स्तर से शुरू किया गया शहीद मेला 15 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. मेले के आयोजन को लेकर गांव में खासा उत्साह भी देखा जा रहा है.

इस बार तीन दिन चलेगा मेला: पिछले वर्षों तक शहीद मेला एक या दो दिन चलता था. इस बार कमेटी ने मेले को तीन दिन तक चलाने का निर्णय लिया है. मेला 7 से 9 दिसंबर तक चलेगा. इस मेले को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा राजकीय मेले के रूप में घोषित करने की कार्रवाई शुरू करने पर क्षेत्रीय जनता में काफी खुशी बनी हुई है.

प्रथम विश्व युद्ध से आज तक अग्रणीय रहे सवाड़ के रणबांकुरे: सवाड़ गांव के रणबांकुरों का इतिहास उपलब्धियों से भरा हुआ है. 1914 से 1919 के बीच हुए प्रथम विश्व युद्ध में यहां के 22 रणबांकुरों ने भाग लिया. 1939 से 1945 के बीच हुए द्वितीय विश्व में 38 सैनिक शामिल रहे. पेशावर कांड में यहां के 14 वीर सैनिक शामिल थे. आजादी की लड़ाई में 18 स्वतंत्रता सेनानियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया.
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वीरों के गांव सवाड़ को अंग्रेजों ने किया था सलाम: इसके अलावा जब-जब भी देश के ऊपर खतरे के बादल मंडराए, यहां के जवान हमेशा अग्रिम पंक्ति पर खड़े रहे. इस गांव के वीर जवानों की वीरता से अंग्रेज इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने सवाड़ गांव को ही वीरों की भूमि बताते हुए पूरे गांव को सलाम करते हुए एक शिलापट्ट ग्रामीणों को सौंपा, जोकि आज इस गांव में बने शहीद स्मारक पर स्थापित किया गया है.

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