देहरादून: जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद हेलंग मारवाड़ी बाईपास पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. ये बाईपास सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जोशीमठ आपदा के बाद सरकार इस दिशा में काफी सोच समझकर कदम उठा रही है. सरकार की तरफ से स्पष्ट किया है कि आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट मिलने के बाद ही अब हेलंग मारवाड़ी बाईपास को हरी झंडी मिल पाएगी. आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट के आधार पर सरकार आगे कोई कदम उठाएंगी.
उत्तराखंड के आपदा सचिव रंजीत कुमार सिन्हा से जब सवाल किया तो उन्होंने कहा कि हेलंग मारवाड़ी बाईपास से जोशीमठ शहर को कोई खतरा है या नहीं, इसको लेकर आईआईटी रुड़की के एक्सपर्ट अध्ययन कर रहे हैं और जल्द ही उनकी रिपोर्ट आने वाली है. रिपोर्ट आने के बाद ही जोशीमठ में हेलंग मारवाटी बाईपास पर सरकार कोई निर्णय लेगी.
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30 सालों बाद मिली मंजूरी: जोशीमठ नगर की तलहटी में सेना की आवाजाही सुगम बनाने के लिए बनने वाले 6.50 किमी हेलंग-मारवाड़ी बाईपास निर्माण शुरू से ही खटाई में रहा है. इस योजना को पहली बार 1988-89 में मंजूरी मिली थी, लेकिन 30 सालों के विवाद के बाद 2021 में केंद्र सरकार ने इसको मंजूरी दी थी. हेलंग-मारवाड़ी बाईपास के निर्माण के लिए अभीतक एक किमी पहाड़ी की ही कटिंग हुई है. बीआरओ ने बाईपास निर्माण पूरा करने के लिए तीन साल का लक्ष्य रखा है. यानी 2025 में इस बाईपास का निर्माण कार्य पूरा किया जा है. हालांकि अब जोशीमठ आपदा के कारण इस प्रोजेक्ट पर फिर से सवाल खड़ होने लगे है.
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वहीं, पीपलकोटी में जोशीमठ आपदा पीड़ितों के बसाने पर जो सवाल खड़े किए जा रहे हैं, इस पर आपदा सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि पीपलकोटी में जगह काफी कम हैं, लिहाजा अभी वहां पर विस्थापन का फैसला नहीं लिया गया है. इसके अलावा कुछ तकनीकि रिपोर्ट का अध्ययन भी किया जा रहा है. फिलहाल गौचर और अन्य जगह पर विस्थापन का काम किया जा रहा है और पीपलकोटी में विस्थापन को लेकर के फिलहाल विचार विमर्श किया जा रहा है.
वहीं, जोशीमठ में आपदा प्रभावितों के लिए बन रहे प्रीफैबरीकेटेड स्ट्रक्चर को लेकर हो रही देरी को लेकर आपदा प्रबंधन सचिव का कहना है कि जोशीमठ के आपदा पीड़ितों के लिए बनाए जा रहे प्रीफैबरीकेटेड स्ट्रक्चर के बेसमेंट का काम पूरा हो चुका है, फिलहाल स्ट्रक्चर बनाने में मौसम ने थोड़ा सा व्यवधान उत्पन्न किया है, लेकिन जल्द ही यह काम पूरा हो जाएगा.