ETV Bharat / state

Joshimath Sinking: IIT रुड़की की रिपोर्ट पर टिका हेलंग बाईपास का भविष्य, पीपलकोटी में विस्थापन का प्लान HOLD - IIT रुड़की की रिपोर्ट पर हेलंग बाईपास का भविष्य

हिंदुओं के पवित्र धार्मिक स्थल बदरीनाथ और चीन सीमा तक सेना की पहुंच को आसान बनाने के लिए जोशीमठ में बनाए जा रहे हेलंग मारवाड़ी बाईपास फिर से सवालों के घेरे में है. अब इस बाईपास के निर्माण के लिए बीआरओ (बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन) और सरकार को आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट का इंतजार है. आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक पता लगाने में जुटे है कि हेलंग मारवाड़ी बाईपास से जोशीमठ को कोई नुकसान तो नहीं है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jan 25, 2023, 3:58 PM IST

Updated : Jan 25, 2023, 4:14 PM IST

देहरादून: जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद हेलंग मारवाड़ी बाईपास पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. ये बाईपास सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जोशीमठ आपदा के बाद सरकार इस दिशा में काफी सोच समझकर कदम उठा रही है. सरकार की तरफ से स्पष्ट किया है कि आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट मिलने के बाद ही अब हेलंग मारवाड़ी बाईपास को हरी झंडी मिल पाएगी. आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट के आधार पर सरकार आगे कोई कदम उठाएंगी.

उत्तराखंड के आपदा सचिव रंजीत कुमार सिन्हा से जब सवाल किया तो उन्होंने कहा कि हेलंग मारवाड़ी बाईपास से जोशीमठ शहर को कोई खतरा है या नहीं, इसको लेकर आईआईटी रुड़की के एक्सपर्ट अध्ययन कर रहे हैं और जल्द ही उनकी रिपोर्ट आने वाली है. रिपोर्ट आने के बाद ही जोशीमठ में हेलंग मारवाटी बाईपास पर सरकार कोई निर्णय लेगी.
पढ़ें- Joshimath Sinking: पुनर्वास के लिए पीपलकोटी भी नहीं सुरक्षित!, जानिये क्या कहते हैं भूवैज्ञानिक

30 सालों बाद मिली मंजूरी: जोशीमठ नगर की तलहटी में सेना की आवाजाही सुगम बनाने के लिए बनने वाले 6.50 किमी हेलंग-मारवाड़ी बाईपास निर्माण शुरू से ही खटाई में रहा है. इस योजना को पहली बार 1988-89 में मंजूरी मिली थी, लेकिन 30 सालों के विवाद के बाद 2021 में केंद्र सरकार ने इसको मंजूरी दी थी. हेलंग-मारवाड़ी बाईपास के निर्माण के लिए अभीतक एक किमी पहाड़ी की ही कटिंग हुई है. बीआरओ ने बाईपास निर्माण पूरा करने के लिए तीन साल का लक्ष्य रखा है. यानी 2025 में इस बाईपास का निर्माण कार्य पूरा किया जा है. हालांकि अब जोशीमठ आपदा के कारण इस प्रोजेक्ट पर फिर से सवाल खड़ होने लगे है.
पढ़ें- CM Dhami on Joshimath: जितना बताया जा रहा समस्या उतनी गंभीर नहीं, हालात 70 फीसदी सामान्य

वहीं, पीपलकोटी में जोशीमठ आपदा पीड़ितों के बसाने पर जो सवाल खड़े किए जा रहे हैं, इस पर आपदा सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि पीपलकोटी में जगह काफी कम हैं, लिहाजा अभी वहां पर विस्थापन का फैसला नहीं लिया गया है. इसके अलावा कुछ तकनीकि रिपोर्ट का अध्ययन भी किया जा रहा है. फिलहाल गौचर और अन्य जगह पर विस्थापन का काम किया जा रहा है और पीपलकोटी में विस्थापन को लेकर के फिलहाल विचार विमर्श किया जा रहा है.

वहीं, जोशीमठ में आपदा प्रभावितों के लिए बन रहे प्रीफैबरीकेटेड स्ट्रक्चर को लेकर हो रही देरी को लेकर आपदा प्रबंधन सचिव का कहना है कि जोशीमठ के आपदा पीड़ितों के लिए बनाए जा रहे प्रीफैबरीकेटेड स्ट्रक्चर के बेसमेंट का काम पूरा हो चुका है, फिलहाल स्ट्रक्चर बनाने में मौसम ने थोड़ा सा व्यवधान उत्पन्न किया है, लेकिन जल्द ही यह काम पूरा हो जाएगा.

देहरादून: जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद हेलंग मारवाड़ी बाईपास पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. ये बाईपास सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जोशीमठ आपदा के बाद सरकार इस दिशा में काफी सोच समझकर कदम उठा रही है. सरकार की तरफ से स्पष्ट किया है कि आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट मिलने के बाद ही अब हेलंग मारवाड़ी बाईपास को हरी झंडी मिल पाएगी. आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट के आधार पर सरकार आगे कोई कदम उठाएंगी.

उत्तराखंड के आपदा सचिव रंजीत कुमार सिन्हा से जब सवाल किया तो उन्होंने कहा कि हेलंग मारवाड़ी बाईपास से जोशीमठ शहर को कोई खतरा है या नहीं, इसको लेकर आईआईटी रुड़की के एक्सपर्ट अध्ययन कर रहे हैं और जल्द ही उनकी रिपोर्ट आने वाली है. रिपोर्ट आने के बाद ही जोशीमठ में हेलंग मारवाटी बाईपास पर सरकार कोई निर्णय लेगी.
पढ़ें- Joshimath Sinking: पुनर्वास के लिए पीपलकोटी भी नहीं सुरक्षित!, जानिये क्या कहते हैं भूवैज्ञानिक

30 सालों बाद मिली मंजूरी: जोशीमठ नगर की तलहटी में सेना की आवाजाही सुगम बनाने के लिए बनने वाले 6.50 किमी हेलंग-मारवाड़ी बाईपास निर्माण शुरू से ही खटाई में रहा है. इस योजना को पहली बार 1988-89 में मंजूरी मिली थी, लेकिन 30 सालों के विवाद के बाद 2021 में केंद्र सरकार ने इसको मंजूरी दी थी. हेलंग-मारवाड़ी बाईपास के निर्माण के लिए अभीतक एक किमी पहाड़ी की ही कटिंग हुई है. बीआरओ ने बाईपास निर्माण पूरा करने के लिए तीन साल का लक्ष्य रखा है. यानी 2025 में इस बाईपास का निर्माण कार्य पूरा किया जा है. हालांकि अब जोशीमठ आपदा के कारण इस प्रोजेक्ट पर फिर से सवाल खड़ होने लगे है.
पढ़ें- CM Dhami on Joshimath: जितना बताया जा रहा समस्या उतनी गंभीर नहीं, हालात 70 फीसदी सामान्य

वहीं, पीपलकोटी में जोशीमठ आपदा पीड़ितों के बसाने पर जो सवाल खड़े किए जा रहे हैं, इस पर आपदा सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि पीपलकोटी में जगह काफी कम हैं, लिहाजा अभी वहां पर विस्थापन का फैसला नहीं लिया गया है. इसके अलावा कुछ तकनीकि रिपोर्ट का अध्ययन भी किया जा रहा है. फिलहाल गौचर और अन्य जगह पर विस्थापन का काम किया जा रहा है और पीपलकोटी में विस्थापन को लेकर के फिलहाल विचार विमर्श किया जा रहा है.

वहीं, जोशीमठ में आपदा प्रभावितों के लिए बन रहे प्रीफैबरीकेटेड स्ट्रक्चर को लेकर हो रही देरी को लेकर आपदा प्रबंधन सचिव का कहना है कि जोशीमठ के आपदा पीड़ितों के लिए बनाए जा रहे प्रीफैबरीकेटेड स्ट्रक्चर के बेसमेंट का काम पूरा हो चुका है, फिलहाल स्ट्रक्चर बनाने में मौसम ने थोड़ा सा व्यवधान उत्पन्न किया है, लेकिन जल्द ही यह काम पूरा हो जाएगा.

Last Updated : Jan 25, 2023, 4:14 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.