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चमोली: यहां मरीज नहीं बल्कि सरकार के 'विकास' को ढोह रहे लोग

ये तस्वीर सरकार के उन खोखले दावों की पोल खोलती है, जिसमें सरकार विकास के दावे करती नहीं थकती है.

चमोली
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Published : Jul 22, 2020, 5:37 PM IST

चमोली: कहते है सड़कें किसी भी प्रदेश के विकास का आईना होती है, लेकिन उत्तराखंड में तो कई गांव ऐसे है जहां न तो आजतक सड़क पहुंच पाई और न ही स्वास्थ्य सुविधा. अब यहां विकास की बात करना तो बेमानी ही होगा. सरकार की आंखें खोलने के लिए जोशीमठ विकासखंड के ह्यूना गांव की एक ओर तस्वीर सामने आई है, जहां सरकार के 'विकास' को आज भी कंधों पर अस्पताल ले जाया जाता है.

चमोली जिले के ह्यूना गांव से सिस्टम को कंधे पर लिए ये कोई पहली तस्वीर नहीं है. इससे पहले भी कई ऐसी तस्वीर और वीडियो सामने आ चुके हैं, जो सरकार को हकीकत से रूबरू कराती आई है. लेकिन सरकार है कि जागने को तैयार ही नहीं होती है. इस बार जो तस्वीर सामने आई है वो ह्यूना गांव के 55 वर्षीय बुजुर्ग महिला की है, जिनकी बुधवार को अचानक तबीयत खराब हो गई थी, लेकिन गांव में सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीण महिला को डोली पर बैठाकर कंधों के सहारे चार किमी दूर मुख्य सड़क तक लेकर गए. इसके बाद वहां से बुजुर्ग महिला को एक निजी वाहन के जरिए जिला अस्पताल में पहुंचाया गया.

पढ़ें- जान हथेली पर रखकर नदी पार कर रहे ग्रामीण, सरकार नहीं सुन रही गुहार

ग्रामीणों ने बताया कि रोज ही उन्हें बाजार जाने के लिए करीब चार किमी का पैदल सफर करना पड़ता है. सबसे बड़ी समस्या ये है कि यदि कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है तो पहले उसे पैदल मार्ग से मुख्य सड़क पर लाया जाता है, यदि वहां कोई वाहन मिल जाए तो ठीक वरना, फिर पैदल ही पीपलकोटी बाजार पहुंचना पड़ता है, जहां से मरीजों को गाड़ी की मदद से जिला अस्पताल में भेजा जाता है.

स्थानीय युवक राकेश सिंह ने बताया कि इस बार भी ऐसा ही हुआ है. सुबह को अचानक एक बुजुर्ग महिला की तबीयत खराब हो गई थी. आसपास अस्पताल न होने के कारण महिला को आनन-फानन में 108 डोली के जरिए सड़क तक पहुंचाया. जिसके बाद एक निजी वाहन से महिला जिला अस्पताल गोपेश्वर भेजा गया.

ग्रामीणों को ये सब दिक्कतें सड़क न होने के कारण उठानी पड़ रहा है. यदि गांव तक सड़क पहुंच जाए तो वे वाहन के जरिए मरीजों को आसानी से अस्पताल पहुंचा सकते हैं. इसके साथ ही उन्हें रोजमर्रा के काम के लिए भी जो परेशानी उठानी पड़ती है, उससे भी निजात मिल जाएगी.

पढ़ें- नंदप्रयाग की सड़कों पर घूम रहे 'यमराज', कोरोना को लेकर कर रहे जागरुक

ग्रामीणों की परेशानियों को लेकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब बदरीनाथ विधायक महेंद्र प्रसाद भट्ट से बात कि तो उन्होंने कहा कि जोशीमठ विकासखंड में पहले गांवों को जोड़ने वाली बहुत कम सड़कें थी, लेकिन अब पहले के मुकाबले प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत कई नई सड़कों पर कार्य शुरू हुआ है. अन्य कई सड़कें बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र की प्रस्तावित भी हैं. ह्यूना गांव तक लोक निर्माण विभाग ने 10 किमी की सड़क को प्रस्वावित किया है, लेकिन वन विभाग की तरफ से अभी मंजूरी न मिलने के कारण सड़क का कार्य शुरू नहीं हो पाया है. वन विभाग से मंजूरी मिलते ही सड़क का काम शुरू हो जाएगा.

चमोली: कहते है सड़कें किसी भी प्रदेश के विकास का आईना होती है, लेकिन उत्तराखंड में तो कई गांव ऐसे है जहां न तो आजतक सड़क पहुंच पाई और न ही स्वास्थ्य सुविधा. अब यहां विकास की बात करना तो बेमानी ही होगा. सरकार की आंखें खोलने के लिए जोशीमठ विकासखंड के ह्यूना गांव की एक ओर तस्वीर सामने आई है, जहां सरकार के 'विकास' को आज भी कंधों पर अस्पताल ले जाया जाता है.

चमोली जिले के ह्यूना गांव से सिस्टम को कंधे पर लिए ये कोई पहली तस्वीर नहीं है. इससे पहले भी कई ऐसी तस्वीर और वीडियो सामने आ चुके हैं, जो सरकार को हकीकत से रूबरू कराती आई है. लेकिन सरकार है कि जागने को तैयार ही नहीं होती है. इस बार जो तस्वीर सामने आई है वो ह्यूना गांव के 55 वर्षीय बुजुर्ग महिला की है, जिनकी बुधवार को अचानक तबीयत खराब हो गई थी, लेकिन गांव में सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीण महिला को डोली पर बैठाकर कंधों के सहारे चार किमी दूर मुख्य सड़क तक लेकर गए. इसके बाद वहां से बुजुर्ग महिला को एक निजी वाहन के जरिए जिला अस्पताल में पहुंचाया गया.

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ग्रामीणों ने बताया कि रोज ही उन्हें बाजार जाने के लिए करीब चार किमी का पैदल सफर करना पड़ता है. सबसे बड़ी समस्या ये है कि यदि कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है तो पहले उसे पैदल मार्ग से मुख्य सड़क पर लाया जाता है, यदि वहां कोई वाहन मिल जाए तो ठीक वरना, फिर पैदल ही पीपलकोटी बाजार पहुंचना पड़ता है, जहां से मरीजों को गाड़ी की मदद से जिला अस्पताल में भेजा जाता है.

स्थानीय युवक राकेश सिंह ने बताया कि इस बार भी ऐसा ही हुआ है. सुबह को अचानक एक बुजुर्ग महिला की तबीयत खराब हो गई थी. आसपास अस्पताल न होने के कारण महिला को आनन-फानन में 108 डोली के जरिए सड़क तक पहुंचाया. जिसके बाद एक निजी वाहन से महिला जिला अस्पताल गोपेश्वर भेजा गया.

ग्रामीणों को ये सब दिक्कतें सड़क न होने के कारण उठानी पड़ रहा है. यदि गांव तक सड़क पहुंच जाए तो वे वाहन के जरिए मरीजों को आसानी से अस्पताल पहुंचा सकते हैं. इसके साथ ही उन्हें रोजमर्रा के काम के लिए भी जो परेशानी उठानी पड़ती है, उससे भी निजात मिल जाएगी.

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ग्रामीणों की परेशानियों को लेकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब बदरीनाथ विधायक महेंद्र प्रसाद भट्ट से बात कि तो उन्होंने कहा कि जोशीमठ विकासखंड में पहले गांवों को जोड़ने वाली बहुत कम सड़कें थी, लेकिन अब पहले के मुकाबले प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत कई नई सड़कों पर कार्य शुरू हुआ है. अन्य कई सड़कें बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र की प्रस्तावित भी हैं. ह्यूना गांव तक लोक निर्माण विभाग ने 10 किमी की सड़क को प्रस्वावित किया है, लेकिन वन विभाग की तरफ से अभी मंजूरी न मिलने के कारण सड़क का कार्य शुरू नहीं हो पाया है. वन विभाग से मंजूरी मिलते ही सड़क का काम शुरू हो जाएगा.

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