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अच्छी खबरः जल संरक्षण को लेकर वन विभाग की अनोखी पहल, देखिए खास रिपोर्ट

जल संचयन को लेकर उत्तराखंड वन विभाग ने एक खास पहल शुरु की है जिससे हर बरसात सीजन में करीब 3 करोड़ लीटर पानी बचाया जा सकेगा.

जल संरक्षण
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Published : Jul 6, 2019, 5:42 PM IST

देहरादून: दुनिया के हर जीव के जीवन का आधार जल है. बावजूद इसके जल संचयन को लेकर कोई ठोस पहल नहीं हुई है. आलम जल का दुरुपयोग और ग्लोबल वार्मिंग के चलते कई जगहों पर जल संकट गहरा गया है. अगर समय रहते जल संरक्षण को लेकर कोई कदम नहीं उठाये गए तो हालत बद से बदतर हो सकते हैं. वहीं, उत्तराखंड वन विभाग ने वर्षाजल को संरक्षित करने की एक सार्थक पहल की है. जो थोड़ी उम्मीद जरुर जगाती है.

वर्षा जल को संरक्षित करने वन विभाग की विशेष पहल.

उत्तराखंड वन विभाग ने वर्षाजल को संरक्षित करने को लेकर बड़ी पहल की है. जिससे एक बरसात के सीजन में करीब 3 करोड़ लीटर पानी संरक्षित होगा. ईटीवी भारत से बातचीत में जल संरक्षण प्रोजेक्ट पर काम कर रहे उप प्रभागीय वन अधिकारी केपी वर्मा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट से हर बरसात सीजन में करीब 3 करोड़ लीटर पानी बचाया जा सकेगा.

साथ ही कहा इस इन क्षेत्रों में हुई बारिश का लगभग 90 फीसदी पानी संरक्षित होगा और ये वर्षा का जल ग्राउंड वाटर को सीधा रिचार्ज करेगा.
उप प्रभागीय वन अधिकारी ने बताया कि वर्षाजल को संरक्षित करने के लिए कच्चे तालाब और छोटे-छोटे गढ्ढे बनाये गए हैं. जो बरसात के समय में पानी को एकत्र करने और सोखने की क्षमता रखता है. ये कच्चे तालाब और गढ्ढे ज्यादा से ज्यादा पानी को सोखते हैं.

यह भी पढ़ेंः पहाड़ और पलायन का दर्द बयां कर रही ये डॉक्यूमेंट्री, अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में मिला है प्रथम पुरस्कार

उन्होंने बताया कि अभी ऐसे फिलहाल 50 कच्चे तालाब बनाये गए हैं और करीब 350 हेक्टेयर में छोटे-छोटे गढ्ढे बनाये गए हैं. जिससे एक बरसात सीजन में करीब 3 करोड़ लीटर पानी संरक्षित होगा.

वनाधिकारी ने बताया कि सभी लोगों को मिलकर पानी संरक्षित करना चाहिए. इसके लिए घर या किसी सरकारी कैंपस में छोटे-छोटे कच्चे गढ्ढे बनाये जाने चाहिए. क्योंकि ऐसे प्रयासों से ही जल संरक्षण की मुहिम को बल मिलेगा. साथ ही केंद्र और राज्य सरकार भी जल संरक्षण के लिए पहल कर रही है.

देहरादून: दुनिया के हर जीव के जीवन का आधार जल है. बावजूद इसके जल संचयन को लेकर कोई ठोस पहल नहीं हुई है. आलम जल का दुरुपयोग और ग्लोबल वार्मिंग के चलते कई जगहों पर जल संकट गहरा गया है. अगर समय रहते जल संरक्षण को लेकर कोई कदम नहीं उठाये गए तो हालत बद से बदतर हो सकते हैं. वहीं, उत्तराखंड वन विभाग ने वर्षाजल को संरक्षित करने की एक सार्थक पहल की है. जो थोड़ी उम्मीद जरुर जगाती है.

वर्षा जल को संरक्षित करने वन विभाग की विशेष पहल.

उत्तराखंड वन विभाग ने वर्षाजल को संरक्षित करने को लेकर बड़ी पहल की है. जिससे एक बरसात के सीजन में करीब 3 करोड़ लीटर पानी संरक्षित होगा. ईटीवी भारत से बातचीत में जल संरक्षण प्रोजेक्ट पर काम कर रहे उप प्रभागीय वन अधिकारी केपी वर्मा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट से हर बरसात सीजन में करीब 3 करोड़ लीटर पानी बचाया जा सकेगा.

साथ ही कहा इस इन क्षेत्रों में हुई बारिश का लगभग 90 फीसदी पानी संरक्षित होगा और ये वर्षा का जल ग्राउंड वाटर को सीधा रिचार्ज करेगा.
उप प्रभागीय वन अधिकारी ने बताया कि वर्षाजल को संरक्षित करने के लिए कच्चे तालाब और छोटे-छोटे गढ्ढे बनाये गए हैं. जो बरसात के समय में पानी को एकत्र करने और सोखने की क्षमता रखता है. ये कच्चे तालाब और गढ्ढे ज्यादा से ज्यादा पानी को सोखते हैं.

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उन्होंने बताया कि अभी ऐसे फिलहाल 50 कच्चे तालाब बनाये गए हैं और करीब 350 हेक्टेयर में छोटे-छोटे गढ्ढे बनाये गए हैं. जिससे एक बरसात सीजन में करीब 3 करोड़ लीटर पानी संरक्षित होगा.

वनाधिकारी ने बताया कि सभी लोगों को मिलकर पानी संरक्षित करना चाहिए. इसके लिए घर या किसी सरकारी कैंपस में छोटे-छोटे कच्चे गढ्ढे बनाये जाने चाहिए. क्योंकि ऐसे प्रयासों से ही जल संरक्षण की मुहिम को बल मिलेगा. साथ ही केंद्र और राज्य सरकार भी जल संरक्षण के लिए पहल कर रही है.

Intro:दुनिया के हर प्राणी के जीवन का आधार जल है। बावजूद इसके जल का दुरुपयोग किया जा रहा है। आलम यह है कि अगर अभी से जल को संरक्षित या फिर पानी को व्यर्थ में उपयोग करने में कमी नही लायी गयी तो आने वाले समय मे सभी को जल संकट के बड़े दौर से गुजरना पड़ सकता है। ऐसे में अभी से वर्षा के जल को संरक्षित करने की जरूरत है। ताकि आने वाले पीढ़ियों को जल के संकट से जूझना न पड़े। तो वही उत्तराखंड वन विभाग ने वर्षा के जल को संरक्षित करने को लेकर बड़ी पहल की है। जिससे एक बरसात की सीजन में करीब 3 करोड़ लीटर पानी संरक्षित होगा। देखिए ईटीवी भारत की खाश रिपोर्ट......


Body:जल संरक्षण प्रोजेक्ट पर काम कर रहे उप प्रभागीय वन अधिकारी केपी वर्मा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट से हर बरसात सीजन में करीब 3 करोड़ लीटर पानी बचाया जा सकेगा। साथ ही कहा इस इन छेत्रो में हुई बारिश का लगभग 90 फीसदी पानी को संरक्षित होगा और ये वर्षा का जल ग्राउंड वाटर को सीधा रिचार्ज करेगा। और इस प्रोजेक्ट से आसपास रहने वाले लोगो को भी दिक्कतों से राहत मिलेगी। क्योकि बरसात के समय ये सारा वर्षा का जल पास के छेत्र में भर जाता था। साथ ही ये जल व्यर्थ हो जाते थे।

उप प्रभागीय वन अधिकारी ने बताया कि वर्षा के जल को संरक्षित करने के लिए कच्चे तालाब, और छोटे छोटे गढ्ढे बनाये है। जो बरसात के समय मे पानी को एकत्र करने और सोखने की क्षमता रखता है। और ये कच्चे तालाब और गढ्ढे से इसलिए ज्यादा से ज्यादा पानी को सोखते है। साथ ही बताया कि अभी फिलहाल 50 कच्चे तालाब बनाये गए है, और करीब 350 हेक्टेयर में छोटे छोटे गढ्ढे बनाये गए है। जिससे एक बरसात सीजन में करीब 3 करोड़ लीटर पानी संरक्षित होगा। 

साथ ही कहा कि सभी लोगो को मिलकर पानी संरक्षित करने चाहिए, इसके लिए घर या किसी सरकारी कैंपस में छोटे छोटे कच्चे गढ्ढे बनाये क्योकि अगर छोटी जगहों पर अगर पानी संरक्षित होगा तो बहुत भारी मात्रा में जल संरक्षित होगा। साथ ही बताया कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार सभी को जल संरक्षण के लिए पहल कर रही है और उसी के अनुरूप सभी को काम करना चाहिए। 

बाइट - केपी वर्मा ( उप प्रभागीय वनाधिकारी, देहरादून)


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