देहरादून: लोकसभा चुनावों से ठीक पहले बीजेपी अपने कुनबे को मजबूत करने में जुट गई है. इसी कड़ी में पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी का विरोध करने वाले 3 नेताओं की घर वापसी हुई है. भले ही इन नेताओं की वापसी से बीजेपी मजबूत हुई हो, लेकिन अंदरखाने इनके विरोध के सुर भी उठने लगे हैं. पार्टी में जिन 3 नेताओं की वापसी हुई है उनमें सबसे बड़ा नाम सुरेश चंद जैन का है. उनके नाम को लेकर विरोध तेज है. आइये आपको बताते हैं कि पार्टी में सुरेश चंद जैन के विरोध का क्या है कारण?
जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही त्रिवेन्द्र सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कई कड़े फैसले लिए हैं. इन्हीं फैसलों में एक फैसला छात्रवृति घोटाले को लेकर भी लिया गया था. सरकार ने मामले में एसआईटी जांच गठित करने के आदेश दिए थे, मामले में कई लोगों को गिरफ्तार कर पूछताछ भी की गई थी. जो नाम सबसे ज्यादा सुर्खियों में आया था वो था सुरेश चंद जैन का था. दरअसल छात्रवृति घोटाले में फंसे कुछ लोग सुरेश चंद जैन के करीबी बताये जाते हैं. जिसके कारण अब सुरेश चंद जैन की घर वापसी से सरकार पर कई तरह के सवाल खड़े होने शुरू हो गये हैं.
सुरेश चंद जैन की वापसी को लेकर सियासी गलियों में माहौल गर्म है. कयास लगाये जा रहे हैं कि बीजेपी में सुरेश चंद जैन की वापसी किसी दबाव में की गई है. हालांकि सुरेश जैन ने छात्रवृति घोटाले पर कुछ भी बोलने से किनारा करते हुए कहा कि उनकी रगों में खून नहीं बल्कि संघ की विचारधारा बहती है. जिससे उन्होंने संकेत दिया कि उनकी जड़ें कहां तक फैली हैं.
वहीं दूसरी तरफ पिछले विधानसभा चुनाव में हुए सियासी उठापटक के बाद संगठन के साथ सुरेश जैन की तल्खियों की चिंगारी आज भी कांग्रेस से बीजेपी में आये लोगों को लेकर कहीं ना कहीं बाकी हैं. ऐसे में सुरेश जैन का बीजेपी में आगे का सफर कितना आसान होगा ये कह पाना मुश्किल है.