देहरादून: अबतक भगवान राम के नाम पर होने वाली देश की राजनीति इन लोकसभा चुनावों में शिव पर केंद्रित रही है. दोनों मुख्य पार्टियों ने शिव भक्ति को खूब भुनाया है. जहां मोदी केदार से लेकर काशी विश्वनाथ के दर्शन में व्यस्त रहे तो राहुल-प्रियंका ने भी शिव मंदिरों का दौरा बढ़ाया. यही नहीं, मोदी जहां चुनाव परिणाम से ठीक पहले शिव का आशीर्वाद पाने बर्फबारी के बीच ही बाबा केदार के धाम पहुंच गये तो वहीं राहुल सीधे कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर निकल गये.
हालात ये रहे कि दोनों की राष्ट्रीय पार्टियां खुद को बड़ा शिवभक्त साबित करने में आमादा रहीं. बीजेपी ने जब राहुल की भक्ति और उनके मंदिर के दौरों पर सवाल उठाये तो कांग्रेस ने उन्हें जनेऊधारी हैं और शिवभक्त साबित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.
हालांकि, राहुल गांधी कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान ही एक दूसरे देश में मोदी भी शिवभक्ति में लीन थे. दरअसल, उसी समय नरेंद्र मोदी बिम्सटेक (BIMSTEC) सम्मेलन में भाग लेने के लिए नेपाल की राजधानी काठमांडू में रहे. यहां उन्होंने भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर में जाकर पूजा अर्चना की. संयोग से वही दिन था जब कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान चल रहा था. कांग्रेन ने तब आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री पूजा का समय चुनावों को देखकर निर्धारित करते हैं. हालांकि, पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोदी नेपाल पहुंचे थे और यहां पशुपतिनाथ मंदिर में रुद्राभिषेक भी किया था.
यही नहीं, लोकसभा चुनाव से पहले भगवान शिव को संसद तक पहुंचा दिया गया. इस बार संसद जहां राहुल द्वारा मोदी को गले लगाने के लिये याद रखी जाएगी तो मोदी द्वारा राहुल पर किये गये कमेंट भी काफी याद किया जाएगा. दरअसल, लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान पीएम मोदी राहुल गांधी पर कटाक्ष किया था कि आजकल बहुत शिवभक्ति की बातें कही जा रही हैं, इसलिये वो भगवान शिव से प्रार्थना करेंगे कि वो राहुल को इतनी शक्ति दें कि वो 2024 में भी उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकें.
2019 लोकसभा चुनावों से पहले यह कयास लगने शुरू हो गये थे कि आखिर भगवान शिव किसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें जीत का आशीर्वाद देंगे. जवाब अब सभी के सामने है. प्रचंड बहुमत के साथ बीजेपी सत्ता में वापसी कर रही है और मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं लेकिन राहुल हैं जो कहते हैं- प्यार हारता नहीं...