देहरादून: विधानसभा सत्र के तीसरे दिन सदन के भीतर उत्तराखंड पंचायती राज संशोधन विधेयक 2019 को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया. हालांकि, पंचायती राज एक्ट में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की शैक्षिक योग्यता और दो बच्चों की बाध्यता जैसे दो बिंदुओं पर संशोधन किया गया है. उत्तराखंड पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों के लिए इस तरह का प्रावधान करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. इसके साथ ही पंचायत चुनाव के लिए 300 दिन की बाध्यता भी समाप्त कर दी गई है. राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही यह विधेयक प्रदेश में तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया जाएगा.
सदन के भीतर पंचायती राज संशोधन विधेयक 2019 पारित होने के बाद भाजपा विधायक केदार सिंह रावत ने बताया कि पंचायती राज संशोधन विधेयक 2019 बुधवार को सदन में अधिनियम के रूप में पारित हो गया है. उन्होंने बताया कि इस विधेयक में प्रक्रियात्मक संशोधन तो होना ही है इसके साथ ही इसमें दो मुख्य मूलभूत संशोधन किए गए हैं. जिनमें से एक जनसंख्या नियंत्रण को लेकर है. जिसमें अधिनियम लागू होने की तिथि से जिस व्यक्ति के दो से अधिक बच्चे हैं वो अयोग्य करार दिए जाएंगे. दूसरा महत्वपूर्ण संशोधन शैक्षिक योग्यता को लेकर रखा गया है इससे निश्चित रूप से पढ़े-लिखे लोग जनप्रतिनिधित्व में आगे आएंगे.
सदन में पारित किए गए विधेयक पर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने सवाल खड़े किए हैं. नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने बताया कि इस विधेयक में मिनिमम क्वालीफिकेशन हाई स्कूल रखी गई है. जो कि सही है. उन्होंने कहा कि जहां तक दो बच्चों की बात है तो ये नियम एमपी और एमएलए पर भी लागू होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह पूरा प्रकरण केवल ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत के मेंबरों पर लागू हो इससे कार्य पूरा नहीं होने वाला है.
पंचायती राज संशोधन विधेयक 2019 सदन में पारित होने के बाद टिहरी गढ़वाल के जिला पंचायत सदस्य मुरारी लाल खंडवाल ने संसोधित विधेयक की खामियों को गिनाया. उन्होंने कहा कि वह खुद 15 वर्षों से पंचायती राज्य में काम कर रहे हैं, लेकिन आज जो विधेयक पारित किया गया है उसमें कई त्रुटियां हैं. उन्होंने बताया कि 73वां और 74वां विधेयक जो पार्लियामेंट ने बनाया है उसमें शैक्षिक योग्यता व अन्य शर्तें शामिल नहीं की गई हैं. मुरारी लाल ने कहा कि राज्य सरकार अपने विशेष अधिकारों का प्रयोग करते हुए पंचायतों में सुधार करना चाहती है. उन्होंने कहा कि पारित किये गये विधेयक पर सरकार को सही से काम करने की जरूरत है.
वहीं संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक का भी मानना है कि जो पंचायती राज संशोधन विधेयक 2019 पारित किया गया है, उसमें कहीं न कहीं कुछ त्रुटियां हैं. जिसे दिखाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि फिलहाल जो कानून बनाया गया है उसके अनुसार जिनके 2 से अधिक बच्चे हैं वे लोग चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. साथ ही कुछ अलग प्रकरण अगर चुनाव के समय सामने आते हैं तो उनका परीक्षण करवाया जाएगा.