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पंचायती राज एक्ट में संशोधन का विरोध पकड़ रहा जोर, राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन

पंचायत जन अधिकार रक्षा मंच के प्रतिनिधियों ने पंचायती राज एक्ट में हुए संशोधन का विरोध कर जिलाधिकारी के माध्यम से राजयपाल को ज्ञापन सौंपा. इस दौरान उन्होंने कहा कि वे राज्यपाल से आग्रह करते हैं कि राज्यपाल इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने से पहले सरकार को विचार के लिए वापिस भेजें.

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Published : Jul 8, 2019, 5:36 PM IST

पंचायत जन अधिकार रक्षा मंच ने पंचायती राज एक्ट में हुए संशोधन का किया विरोध.

देहरादून: पंचायत जन अधिकार रक्षा मंच के प्रतिनिधियों ने उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम में संशोधन का विरोध किया है. पंचायत जन अधिकार रक्षा मंच के प्रतिनिधियों ने विरोध कर जिलाधिकारी के माध्यम से राजयपाल को ज्ञापन सौंपा. इस दौरान चेतावनी देते हुए कहा कि अगर विधेयक वापस नहीं लिया गया तो वे कोर्ट के शरण में जाएंगे और साथ ही सड़कों पर उतकर इसका विरोध करेंगे.

पंचायत जन अधिकार रक्षा मंच ने पंचायती राज एक्ट में हुए संशोधन का किया विरोध.

बता दें कि पंचायती राज एक्ट में हुए संशोधन को लेकर विरोध के स्वर पूरे उत्तराखंड में उठने लगे हैं. पंचायत एक्ट में किए गए बदलावों से विभिन्न संगठनों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. उत्तराखंड सरकार के खिलाफ राज्य भर के सगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर विधेयक वापस नहीं लिया तो राज्य भर में व्यापक आंदोलन किया जाएगा. इसी क्रम में देहरादून पंचायत जन अधिकार रक्षा मंच ने अपना विरोध दर्ज कराया है.

पढ़ें: बाबा रामदेव के साथ धोखाधड़ी, पतंजलि स्टोर में बिकता मिला 'जहर'?

पंचायत जन अधिकार रक्षा मंच के प्रदेश संयोजक जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि इस विधेयक में तीन चार बड़ी खामियां हैं. इसमें ओबीसी जाति का उल्लेख नहीं है, शैक्षिक योग्यता का निर्धारण जो किया गया है, उसमें भी खामियां हैं. इसके अलावा दो से अधिक बच्चों पर चुनाव लड़ने वाले विधेयक में भी खामियां हैं. सरकार से आग्रह है कि इस विधेयक में सुधार करें. साथ ही राज्यपाल अपने हस्ताक्षर से इस विधेयक को सरकार को विचार के लिए वापस भेजें.

देहरादून: पंचायत जन अधिकार रक्षा मंच के प्रतिनिधियों ने उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम में संशोधन का विरोध किया है. पंचायत जन अधिकार रक्षा मंच के प्रतिनिधियों ने विरोध कर जिलाधिकारी के माध्यम से राजयपाल को ज्ञापन सौंपा. इस दौरान चेतावनी देते हुए कहा कि अगर विधेयक वापस नहीं लिया गया तो वे कोर्ट के शरण में जाएंगे और साथ ही सड़कों पर उतकर इसका विरोध करेंगे.

पंचायत जन अधिकार रक्षा मंच ने पंचायती राज एक्ट में हुए संशोधन का किया विरोध.

बता दें कि पंचायती राज एक्ट में हुए संशोधन को लेकर विरोध के स्वर पूरे उत्तराखंड में उठने लगे हैं. पंचायत एक्ट में किए गए बदलावों से विभिन्न संगठनों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. उत्तराखंड सरकार के खिलाफ राज्य भर के सगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर विधेयक वापस नहीं लिया तो राज्य भर में व्यापक आंदोलन किया जाएगा. इसी क्रम में देहरादून पंचायत जन अधिकार रक्षा मंच ने अपना विरोध दर्ज कराया है.

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पंचायत जन अधिकार रक्षा मंच के प्रदेश संयोजक जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि इस विधेयक में तीन चार बड़ी खामियां हैं. इसमें ओबीसी जाति का उल्लेख नहीं है, शैक्षिक योग्यता का निर्धारण जो किया गया है, उसमें भी खामियां हैं. इसके अलावा दो से अधिक बच्चों पर चुनाव लड़ने वाले विधेयक में भी खामियां हैं. सरकार से आग्रह है कि इस विधेयक में सुधार करें. साथ ही राज्यपाल अपने हस्ताक्षर से इस विधेयक को सरकार को विचार के लिए वापस भेजें.

Intro:पंचायत जन अधिकार रक्षा मंच के प्रतिनिधियो ने विरोध जताते हुए जिलाधिकारी कार्यालय में जिलाधिकारी के माध्यम से राजयपाल को ज्ञापन सौंपा।पंचायत जन अधिकार रक्षा मंच के प्रदेश सयोंजक जोत सिंह बिष्ट ने उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम संसोधन विधेयक का विरोध किया।साथ ही इस दौरान कहा कि शिक्षा मानकों ओर 2 बच्चो से अधिक पर चुनाव न लड़ने वाले विधेयक को अव्यवहारिक बताया है।साथ ही विधेयक न करने पर सरकार के खिलाफ हाई कोर्ट की शरण मे भी जाने की बात कही साथ ही सड़को पर उतरने के लिए तैयार है।


Body:पंचायती राज एक्ट में हुए संशोधन को लेकर विरोध के स्वर पूरे उत्तराखंड में उठने लगे है।ओर पंचायत एक्ट में किये गए बदलावों से विभिन्न संगठनों में आक्रोश देखने को मिल रहा है।साथ ही उत्तराखंड सरकार के खिलाफ राज्य भर के सगठनों ने चेतावनी दे डाली की विधेयक वापस नही लिया तो राज्य भर में व्यापक आंदोलन करने के बाध्य होंगे।वही देहरादून पंचायत जन अधिकार रक्षा मंच लगातार पंचायती एक्ट का लगातार विरोध कर रहा है।ओर आज पंचायत जन अधिकार रक्षा मंच के प्रतिनिधि मंडल ने विधेयक को वापिस होने के चलते डीएम को ज्ञापन सौंपा।


Conclusion:पंचायत जन अधिकार रक्षा मंच के प्रदेश सयोंजक जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 के विधेयक संशोधन विधानसभा में पारित किया गया,और उसको राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए भेजा गया है।जिस दिन उस पर हस्ताक्षर हो जाएंगे उसके बाद राज्य में कानून लागू हो जाएगा।संशोधन विधेयक में तीन चार बड़ी खामियां हैं जैसे कि ओबीसी जाति का उल्लेख नहीं है और शैक्षिक योग्यता का निर्धारण जो किया गया है उसमें भी खामियां हैं,इसके अलावा दो से अधिक बच्चों पर चुनाव लड़ने वाले विधेयक खामियां बताई है।हम सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि इस विधेयक में सुधार करें।और राज्यपाल द्वारा हस्ताक्षर से पहले सरकार को विचार के लिए वापस भेजें।हम ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा था लेकिन राज्यपाल व्यस्त होने के कारण राज्यपाल से हम नहीं मिल पाए।हमने प्रदेश के सभी जिलों में इस मंच के माध्यम से सभी जिला अधिकारी को ज्ञापन भेज रहे हैं। और हमें उम्मीद है कि इस ज्ञापन के माध्यम से राज्यपाल हमारी बात को संज्ञान में लेकर पुन विचार के लिए राज्यपाल को विधेयक संशोधन को लेकर वापस भेजेंगे।और अगर बातचीत से मामला सुलझ जाता है तो ठीक है नही तो इस लड़ाई को सड़कों पर उठाने के लिए तैयार है साथ ही हम न्यायालय की शरण में भी जा सकते हैं।

बाइट-जोत सिंह बिष्ट(प्रदेश सयोंजक,)पंचायत जन अधिकार रक्षा मंच
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