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शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर बरती गई लापरवाही, शिक्षा सचिव ने जारी किये नए आदेश - Dehradun News,

उत्तराखंड में तबादला एक्ट आने के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारी अपने लापरवाह रवैया से बाज नहीं आ रहे हैं. शिक्षा महकमे में हाल ही में हुए ताबड़तोड़ तबादलों के कुछ ही दिनों में तबादलों को लेकर अधिकारियों की लापरवाही सामने आने लगी है.

शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर लापरवाही.
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Published : Jul 3, 2019, 10:04 PM IST

देहरादून: शिक्षा विभाग में हुए ताबड़तोड़ तबादलों के बाद अब महकमे ने अपने ही कई आदेशों को वापस ले लिया है. यह आदेश इस बात के गवाह हैं कि न तो तबादलों में अधिकारियों द्वारा कोई होमवर्क किया गया था और न ही तबादला एक्ट को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी गम्भीर हैं. बुधवार को शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने एक आदेश जारी कर कई तबादलों पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं. यही नहीं शिक्षा महकमे में तबादलों पर आ रही लगातार विसंगतियों को लेकर भी एक 3 सदस्य कमेटी बनाए जाने का निर्णय लिया गया है.

शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर लापरवाही.
उत्तराखंड में तबादला एक्ट आने के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारी अपने लापरवाह रवैया से बाज नहीं आ रहे हैं. शिक्षा महकमे में हाल ही में हुए ताबड़तोड़ तबादलों के कुछ ही दिनों में अधिकारियों की लापरवाही सामने आने लगी है. सचिव शिक्षा आर मीनाक्षी सुंदरम के आदेशों से यह साफ हो होता है कि न तो तबादला एक्ट को लेकर अधिकारियों ने कोई होमवर्क किया था और न ही भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए इस पर कोई विचार किया गया.

पढ़ें-शादी के दिन से ही पति करता था मारपीट, विरोध करने पर बोला तीन तलाक

दरअसल, उत्तराखंड शासन में शिक्षा विभाग के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बुधवार को एक आदेश जारी कर कई तबादलों पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं. यही नहीं शिक्षा महकमे में तबादलों पर आ रही लगातार विसंगतियों को लेकर भी एक 3 सदस्यीय कमेटी बनाए जाने का निर्णय लिया गया है.

पढ़ें-अलकनंदा में पानी बढ़ने से टापू पर फंसी 4 गाय, तीन दिन बाद SDRF ने किया रेस्क्यू

इसके अलावा सीमांत जिलों में हुए तबादलों पर भी रोकने के आदेश दिए गये हैं. शासन स्तर से जारी हुए ये आदेश साफ जाहिर करते हैं कि शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर न तो निदेशालय स्तर के अधिकारी गंभीर थे और न ही शासन में बैठे शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने ही परिस्थितियों को समझ कर तबादलों को गंभीरता से लिया. शायद यही कारण है कि एक-दो नहीं, कई मामले ऐसे सामने आए हैं जो न केवल एक्ट में सही नहीं बैठते हैं बल्कि स्कूलों की परिस्थितियों और भौगोलिक स्थितियों के लिहाज से भी ठीक नहीं हैं.

सचिव शिक्षा आर मीनाक्षी सुंदरम द्वारा जारी आदेश

  • आदेश में ऐसे शिक्षकों के स्थानांतरण को रोका गया है जो दुर्गम से सुगम नहीं आना चाहते हैं.
  • ऐसे विद्यालय जहां पर एकमात्र शिक्षक हैं और उक्त शिक्षक के तबादले के बाद वह विद्यालय शिक्षक विहीन हो जाएगा ऐसे तबादले को रोकने के आदेश हुए हैं.
  • राज्य के सीमांत जनपद जैसे पिथौरागढ़, उत्तरकाशी चमोली आदि में स्थापित विद्यालयों में ऐसे शिक्षकों के स्थानांतरण जो बिना दूसरे शिक्षक के उनके स्थान पर आने को लेकर तबादले के बिना ही किए गए हैं उनको भी रोकने के आदेश हुए हैं.

पढ़ें-कांवड़ मेले पर बड़ा फैसला, अब कांवड़ियों को यात्रा से पहले थाने में देना होगा पूरा ब्योरा


स्थानांतरण को लेकर पाई गई आपत्तियों के लिए भी 3 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. जिसमें कविंद्र सिंह संयुक्त सचिव, वंदना गबर्याल अपर निदेशक और आनंद भारद्वाज उपनिदेशक को आपत्ति की जांच को लेकर जिम्मेदारी दी गयी है. उक्त जांच कमेटी को 10 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है.

देहरादून: शिक्षा विभाग में हुए ताबड़तोड़ तबादलों के बाद अब महकमे ने अपने ही कई आदेशों को वापस ले लिया है. यह आदेश इस बात के गवाह हैं कि न तो तबादलों में अधिकारियों द्वारा कोई होमवर्क किया गया था और न ही तबादला एक्ट को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी गम्भीर हैं. बुधवार को शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने एक आदेश जारी कर कई तबादलों पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं. यही नहीं शिक्षा महकमे में तबादलों पर आ रही लगातार विसंगतियों को लेकर भी एक 3 सदस्य कमेटी बनाए जाने का निर्णय लिया गया है.

शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर लापरवाही.
उत्तराखंड में तबादला एक्ट आने के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारी अपने लापरवाह रवैया से बाज नहीं आ रहे हैं. शिक्षा महकमे में हाल ही में हुए ताबड़तोड़ तबादलों के कुछ ही दिनों में अधिकारियों की लापरवाही सामने आने लगी है. सचिव शिक्षा आर मीनाक्षी सुंदरम के आदेशों से यह साफ हो होता है कि न तो तबादला एक्ट को लेकर अधिकारियों ने कोई होमवर्क किया था और न ही भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए इस पर कोई विचार किया गया.

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दरअसल, उत्तराखंड शासन में शिक्षा विभाग के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बुधवार को एक आदेश जारी कर कई तबादलों पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं. यही नहीं शिक्षा महकमे में तबादलों पर आ रही लगातार विसंगतियों को लेकर भी एक 3 सदस्यीय कमेटी बनाए जाने का निर्णय लिया गया है.

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इसके अलावा सीमांत जिलों में हुए तबादलों पर भी रोकने के आदेश दिए गये हैं. शासन स्तर से जारी हुए ये आदेश साफ जाहिर करते हैं कि शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर न तो निदेशालय स्तर के अधिकारी गंभीर थे और न ही शासन में बैठे शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने ही परिस्थितियों को समझ कर तबादलों को गंभीरता से लिया. शायद यही कारण है कि एक-दो नहीं, कई मामले ऐसे सामने आए हैं जो न केवल एक्ट में सही नहीं बैठते हैं बल्कि स्कूलों की परिस्थितियों और भौगोलिक स्थितियों के लिहाज से भी ठीक नहीं हैं.

सचिव शिक्षा आर मीनाक्षी सुंदरम द्वारा जारी आदेश

  • आदेश में ऐसे शिक्षकों के स्थानांतरण को रोका गया है जो दुर्गम से सुगम नहीं आना चाहते हैं.
  • ऐसे विद्यालय जहां पर एकमात्र शिक्षक हैं और उक्त शिक्षक के तबादले के बाद वह विद्यालय शिक्षक विहीन हो जाएगा ऐसे तबादले को रोकने के आदेश हुए हैं.
  • राज्य के सीमांत जनपद जैसे पिथौरागढ़, उत्तरकाशी चमोली आदि में स्थापित विद्यालयों में ऐसे शिक्षकों के स्थानांतरण जो बिना दूसरे शिक्षक के उनके स्थान पर आने को लेकर तबादले के बिना ही किए गए हैं उनको भी रोकने के आदेश हुए हैं.

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स्थानांतरण को लेकर पाई गई आपत्तियों के लिए भी 3 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. जिसमें कविंद्र सिंह संयुक्त सचिव, वंदना गबर्याल अपर निदेशक और आनंद भारद्वाज उपनिदेशक को आपत्ति की जांच को लेकर जिम्मेदारी दी गयी है. उक्त जांच कमेटी को 10 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है.

Intro:

summary- उत्तराखंड शिक्षा महकमे में जारी हुआ आदेश इस बात का गवाह बन गया है कि मैप में में तबादलों पर घोर लापरवाही की गई है... शिक्षा सचिव मीनाक्षीसुंदरम के इन आदेशों में कई मामलों पर यू-टर्न लिया गया है...


शिक्षा महकमे में हुए ताबड़तोड़ तबादलों के बाद अब महकमे ने अपने ही कई आदेशों को वापस ले लिया है.... यह आदेश इस बात की गवाह है कि ना तो तबादलों में अधिकारियों द्वारा कोई होमवर्क किया गया था और ना ही तबादला एक्ट को लेकर शिक्षा महकमे के अधिकारी गम्भीर हैं।


Body:उत्तराखंड में तबादला एक्ट आने के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारी अपने लापरवाह रवैया से बाज नहीं आ रहे हैं। शिक्षा महकमे में हाल ही में हुए ताबड़तोड़ तबादलों के कुछ ही दिनों में तबादलों को लेकर अधिकारियों की लापरवाही सामने आने लगी है। सचिव शिक्षा आर मीनाक्षी सुंदरम के आदेशों से यह साफ हो जाता है कि ना तो तबादला एक्ट को लेकर अधिकारियों ने कोई होमवर्क किया था और ना ही भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए इस पर कोई विचार किया गया। दरअसल उत्तराखंड शासन में शिक्षा विभाग के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने आज एक आदेश जारी कर कई तबादलों पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं यही नहीं शिक्षा महकमे में तबादलों पर आ रही लगातार विसंगतियों को लेकर भी एक 3 सदस्य कमेटी बनाए जाने का निर्णय ले लिया गया है इसके अलावा सीमांत जिलों में हुए तबादलों को भी रोकने के आदेश दिए हैं। शासन स्तर से जारी आदेश यह साफ जाहिर करता है कि शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर ना तो निदेशालय स्तर के अधिकारी गंभीर थे और ना ही शासन में बैठे शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने ही परिस्थितियों को समझ कर तबादलों को गंभीरता से लिया। शायद यही कारण है कि एक-दो नहीं लेकिन कई मामले ऐसे आए हैं जो न केवल एक्ट में सही नहीं बैठते बल्कि स्कूलों की परिस्थितियों और भौगोलिक स्थितियों के लिहाज से भी ठीक नहीं है।

सचिव शिक्षा आर मीनाक्षी सुंदरम द्वारा जारी आदेश

आदेश में ऐसे शिक्षकों के स्थानांतरण को रोका गया है जो दुर्गम से सुगम नहीं आना चाहते हैं

ऐसे विद्यालय जहां पर एकमात्र शिक्षक है और उक्त शिक्षक के तबादले के बाद वह विद्यालय शिक्षक विहीन हो जाएगा ऐसे तबादले को रोकने के आदेश हुए हैं।

राज्य के सीमांत जनपद जैसे पिथौरागढ़ उत्तरकाशी चमोली आदि में स्थापित विद्यालयों में ऐसे शिक्षकों के स्थानांतरण जो बिना दूसरे शिक्षक के उनके स्थान पर आने को लेकर तबादले के बिना ही किए गए हैं उनको भी रोकने के आदेश हुए हैं।

स्थानांतरण को लेकर पाई गई आपत्तियों के लिए भी 3 सदस्य समिति का गठन किया गया है। जिसमें कविंद्र सिंह संयुक्त सचिव, वंदना गबर्याल अपर निदेशक और आनंद भारद्वाज उपनिदेशक को आपत्ति की जांच को लेकर जिम्मेदारी दी गयी है। उक्त जांच कमेटी को 10 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए भी कहा गया है।




Conclusion:तबादले को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा जारी इस आदेश से साफ है कि महकमें के अधिकारी तबादलों जैसे गंभीर मामले को भी गंभीरता से नहीं लेते और ना ही उच्च अधिकारी तबादलों पर कोई होमवर्क करते हैं।
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