देहरादून: रंग और गुलाल के त्योहार होली के आगमन में अब कुछ ही दिन बचे हैं. ऐसे में बाजारों में होली की रौनक दिखने लगी है. होली के लिए बाजारों में तरह-तरह के गुलाल उपलब्ध हैं.ऐसे में कई बार लोग गुलाल की शक्ल में खरनाक केमिकल बाजारों से खरीद लेते हैं. जो कि त्वचा को खासा नुकसान पहुंचाते हैं. राजधानी देहरादून में एक जगह ऐसी भी है जहां आरारोट के इस्तेमाल से प्राकृतिक गुलाल तैयार किये जा रहे हैं.
राजधानी देहरादून के दर्शनी गेट बाजार में ग्राहकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए बीते कई सालों से प्राकृतिक गुलाल तैयार किया जाता आ रहा है. इसमें अरारोट के पाउडर में प्राकृतिक रंगों को मिलाकर कई तरह के गुलाल तैयार किए जाते है. इन रंगों को तैयार करने में 2 से तीन दिनों का समय और कड़ी मेहनत लगती है.
दर्शनी गेट बाजार के सामने बीते कई सालों से रंग बनाने का काम करने वाले 80 साल के शंभूनाथ जैसवाल बताते हैं कि अरारोट से तैयार किए जाने वाला ये गुलाल त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता. उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से हर साल गुलाल तैयार करने के लिए वे कारीगरों को यहां बुलाते हैं . जो कड़ी मेहनत से इन आकर्षक गुलालों को तैयार करते हैं.
आम लोगों में बीते कुछ सालों में इन प्राकृतिक रंगों की अच्छी खासी डिमांड बढ़ी है. वहीं इसकी कम कीमत भी ग्राहकों को इससे जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाती है. अरारोट से तैयार किए जाने वाले इन प्राकृतिक रंगों की कीमत 100 रुपए प्रति किलो है. जो कि ग्राहकों के लिए वाजिब है.