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राजधानी में तैयार किये जा रहे हर्बल कलर, एलर्जी और स्किन प्रॉब्लम से लोगों को दिलाएंगे निजात

राजधानी देहरादून के दर्शनी गेट बाजार में ग्राहकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए बीते कई सालों से प्राकृतिक गुलाल तैयार किया जाता आ रहा है. इसमें अरारोट के पाउडर में प्राकृतिक रंगों को मिलाकर कई तरह के गुलाल तैयार किए जाते है

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Published : Mar 17, 2019, 10:02 PM IST

होली के रंग में रंगने लगे बाजार

देहरादून: रंग और गुलाल के त्योहार होली के आगमन में अब कुछ ही दिन बचे हैं. ऐसे में बाजारों में होली की रौनक दिखने लगी है. होली के लिए बाजारों में तरह-तरह के गुलाल उपलब्ध हैं.ऐसे में कई बार लोग गुलाल की शक्ल में खरनाक केमिकल बाजारों से खरीद लेते हैं. जो कि त्वचा को खासा नुकसान पहुंचाते हैं. राजधानी देहरादून में एक जगह ऐसी भी है जहां आरारोट के इस्तेमाल से प्राकृतिक गुलाल तैयार किये जा रहे हैं.

होली के रंग में रंगने लगे बाजार


राजधानी देहरादून के दर्शनी गेट बाजार में ग्राहकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए बीते कई सालों से प्राकृतिक गुलाल तैयार किया जाता आ रहा है. इसमें अरारोट के पाउडर में प्राकृतिक रंगों को मिलाकर कई तरह के गुलाल तैयार किए जाते है. इन रंगों को तैयार करने में 2 से तीन दिनों का समय और कड़ी मेहनत लगती है.


दर्शनी गेट बाजार के सामने बीते कई सालों से रंग बनाने का काम करने वाले 80 साल के शंभूनाथ जैसवाल बताते हैं कि अरारोट से तैयार किए जाने वाला ये गुलाल त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता. उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से हर साल गुलाल तैयार करने के लिए वे कारीगरों को यहां बुलाते हैं . जो कड़ी मेहनत से इन आकर्षक गुलालों को तैयार करते हैं.


आम लोगों में बीते कुछ सालों में इन प्राकृतिक रंगों की अच्छी खासी डिमांड बढ़ी है. वहीं इसकी कम कीमत भी ग्राहकों को इससे जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाती है. अरारोट से तैयार किए जाने वाले इन प्राकृतिक रंगों की कीमत 100 रुपए प्रति किलो है. जो कि ग्राहकों के लिए वाजिब है.

देहरादून: रंग और गुलाल के त्योहार होली के आगमन में अब कुछ ही दिन बचे हैं. ऐसे में बाजारों में होली की रौनक दिखने लगी है. होली के लिए बाजारों में तरह-तरह के गुलाल उपलब्ध हैं.ऐसे में कई बार लोग गुलाल की शक्ल में खरनाक केमिकल बाजारों से खरीद लेते हैं. जो कि त्वचा को खासा नुकसान पहुंचाते हैं. राजधानी देहरादून में एक जगह ऐसी भी है जहां आरारोट के इस्तेमाल से प्राकृतिक गुलाल तैयार किये जा रहे हैं.

होली के रंग में रंगने लगे बाजार


राजधानी देहरादून के दर्शनी गेट बाजार में ग्राहकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए बीते कई सालों से प्राकृतिक गुलाल तैयार किया जाता आ रहा है. इसमें अरारोट के पाउडर में प्राकृतिक रंगों को मिलाकर कई तरह के गुलाल तैयार किए जाते है. इन रंगों को तैयार करने में 2 से तीन दिनों का समय और कड़ी मेहनत लगती है.


दर्शनी गेट बाजार के सामने बीते कई सालों से रंग बनाने का काम करने वाले 80 साल के शंभूनाथ जैसवाल बताते हैं कि अरारोट से तैयार किए जाने वाला ये गुलाल त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता. उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से हर साल गुलाल तैयार करने के लिए वे कारीगरों को यहां बुलाते हैं . जो कड़ी मेहनत से इन आकर्षक गुलालों को तैयार करते हैं.


आम लोगों में बीते कुछ सालों में इन प्राकृतिक रंगों की अच्छी खासी डिमांड बढ़ी है. वहीं इसकी कम कीमत भी ग्राहकों को इससे जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाती है. अरारोट से तैयार किए जाने वाले इन प्राकृतिक रंगों की कीमत 100 रुपए प्रति किलो है. जो कि ग्राहकों के लिए वाजिब है.

Intro:देहरादून- हिंदुओं के खास पर्व और रंगों के त्योहार 'होली' की धूम इन दिनों बाजारों में खूब देखने को मिल रही है। इस दिनों बाजारों में तरह-तरह के गुलाल उपलब्ध है। लेकिन आजकल कई बार गुलाल की शक्ल में खतरनाक केमिकल भी परोसे जाते है । जिन्हें हम अक्सर हर्बल गुलाल समझकर खरीद तो लाते हैं। लेकिन इसके इस्तेमाल से हमारी त्वचा को खासा नुकसान पहुचता है। लेकिन सूबे की राजधानी देहरादून में एक जगह ऐसी भी है जहां अरारोट का इस्तेमाल कर प्राकृतिक गुलाल तैयार किए जा रहे है।



Body:बता दे कि राजधानी देहरादून के दर्शनी गेट बाजार में ग्राहकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए बीते कई सालों से प्राकृतिक गुलाल तैयार किया जाता आ रहा है । इसमें अरारोट के पाउडर में प्राकृतिक रंग मिलाकर कई रंगों के गुलाल तैयार किए जाते हैं । जिसमें 2 से तीन दिनों का समय और कड़ी मेहनत लगती है ।

बाइट- रंग तैयार करते कारीगर


Conclusion:राजधानी के दर्शनी गेट बाज़ार के सामने बीते कई सालों से रंग बनाने का कारोबार करने वाले 80 साल के शंभूनाथ जैसवाल बताते हैं कि अरारोट से तैयार किए जाने वाला ये गुलाल त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से हर साल गुलाल तैयार करने के लिए वह कारीगरों को बुलाते हैं । जो कड़ी मेहनत से इन आकर्षक गुलालों को तैयार करते हैं। आम लोगों में बीते कुछ सालों में इन प्राकृतिक गुलालों कि अच्छी खासी डिमांड है। वहीं इसकी कीमत भी कोई बहुत अधिक नहीं है। अरारोट से तैयार किए जाने वाले इन प्राकृतिक गुलाल की कीमत 100 रुपए प्रति किलो है।

बाइट- शंभूनाथ जैसवाल कारोबारी ( बुजूर्ग)
बाइट- व्यापारी
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