देहरादूनः ईद की छुट्टी के दिन उत्तर भारत के अलग-अलग राज्यों से मसूरी घूमने आए पर्यटकों को देहरादून स्थित रोडवेज स्टैंड से बसें न मिलने से खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा. पहाड़ों की रानी मसूरी जैसे हिल स्टेशन पर बदहाल यातायात व्यवस्था के चलते बुधवार को सुबह से लेकर दोपहर बाद तक सैकड़ों पर्यटक बस टिकट के लिए पसीना बहाते दिखे. वहीं, कई पर्यटकों ने मजबूरन प्राइवेट टैक्सियों के सहारे यात्रा करनी पड़ी. जिसके एवज में वाहन चालकों ने उनसे मनमाना किराया वसूल किया.
बीते बुधवार छुट्टी के दिन मसूरी के लिए बसों की संचालन में भारी कमी देखने को मिली. जिसके चलते मसूरी जाने वाली सभी बसें यात्रियों से खचाखच भरी नजर आई. वहीं, बसों की मारमारी के चलते यात्रियों को मजबूरन जान जोखिम में ओवरलोडेड बसों में सफर करना पड़ा.जबकि, पहाड़ी क्षेत्र में ओवरलोडिंग से दुर्घटनाओं का खतरा भी रहता है.
स्कूलों की समर वेकेशन और ईद की छुट्टी एक साथ होने के कारण मसूरी में पर्यटक भारी तादाद में पहुंचे थे. जिसके चलते नगर में जाम की स्थिति बनी रही और यहां बसों का संचालन पूरी तरह से प्रभावित रहा. इसके अलावा मसूरी बस स्टेशन की आधे से ज्यादा बसें चार धाम यात्रा ड्यूटी पर जाने के कारण भी मसूरी रूट पर बसों का अभाव देखने को मिला.
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान जैसे उत्तर भारत के प्रदेशों से आए पर्यटक मसूरी न जाने की वजह से देहरादून में फंसे रहे. ऐसे में मसूरी जाने के लिए जहां देहरादून से रोडवेज बस 60 प्रति व्यक्ति किराया है, तो वहीं प्राइवेट टैक्सी वाले मौके का फायदा उठाकर 320 रुपये प्रति व्यक्ति तक मनमाना किराया वसूलकर पर्यटकों से चांदी काटते रहे.
बेहाल पर्यटकों ने ईटीवी को बतायी परेशानी
मसूरी बस स्टैंड पर घंटों बसों का इंतजार कर बेहाल हुए पर्यटकों का कहना है कि जिस तरह से मसूरी हिल स्टेशन देश दुनिया में मशहूर है. लिहाजा उत्तराखंड सरकार को पर्याप्त संख्या में बसों का संचालन करना चाहिए. लेकिन यहां आने के बाद रोडवेज की बदहाल संचालन व्यवस्था से साफ हो गया कि सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कितनी गंभीर है.
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बता दें कि उत्तर भारत में इनदिनों भीषण गर्मी पड़ रही है. जिसके चलते पर्यटक पहाड़ों का रुख कर रहे है. ऐसे में ईटीवी से मुखातिब होते हुए पर्यटकों ने बताया कि वह गर्मी से निजात पाने के लिए मसूरी जा रहे थे. लेकिन देहरादून से मसूरी को जाने वाली बसों में भारी भीड़ है और जिसके चलते उन्हें टिकट काउंटर पर घंटों इंतजार करना पड़ रहा है.
सरकार नहीं बढ़ा रहा है बसों का बेड़ा
उधर, मसूरी स्टेशन में बसों की कमी के संबंध में जानकारी देते हुए पर्वतीय रोडवेज कर्मचारी परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश गोसाई ने बताया कि पहले ही परिवहन विभाग में बसों का भारी टोटा है.
वर्तमान में मसूरी के लिए मात्र 95 बसें हैं. जिसमें से आधी बसें चार धाम यात्रा पर हैं. जबकि, कुछ बसें मेंटिनेंस के लिए गैराज में खड़ी है. ऐसे में जो बसें उपलब्ध हैं. उन्हें ही इस रुट पर संचालित किया जा रहा है.
यात्रा सीजन में बसों की भारी कमी के चलते जहां यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही है. वहीं. परिवहन विभाग को भी करोड़ों के राजस्व का नुकसान झेलना पड़ रहा है. गोसाई के मुताबिक, उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या प्रतिवर्ष 10% से ज्यादा बढ़ती जा रही है. बावजूद उत्तराखंड उत्तराखंड सरकार परिवहन विभाग के बसों के बेड़े को बढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रही है.
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बता दें कि परिवहन विभाग के पास इस वक्त मैदानी और पर्वतीय जिलों के लिए मात्र 1,237 बसें हैं. जिनमें से कई खस्ताहाल हो चुकी है. जबकि, विभाग पहले ही 268 बसों की नीलामी कर चुका है.
उत्तराखंड में पर्यटकों की बढ़ती तादाद को देखते हुए विभाग को कम से कम 1,500 से 2,000 बसों की जरूरत महसूस की जा रही है. लेकिन भारी मांग के बावजूद सरकार बसों के बेड़े को बढ़ाने के लिए राजी नहीं है.