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जौनसार बावर के इस शिव मंदिर में मुर्दे में भी आ जाती है जान, पांडवों से जुड़ा है धाम का इतिहास

जौनसार बावर में अनेकों-अनेक चमत्कार देखने और सुनने को मिलते हैं. यह पौराणिक मंदिर राजधानी देहरादून से करीब 128 किलोमीटर दूर जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र के लाखामंडल गांव में स्थित है. जिसका इतिहास रामायणकाल से जोड़कर देखा जाता है. यह मंदिर छठी व सातवीं शताब्दी का माना जाता है.

जौनसार बाबर स्थित शिव मंदिर.
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Published : Jun 10, 2019, 2:13 PM IST

Updated : Jun 10, 2019, 3:28 PM IST

विकासनगर: देवभूमि का जौनसार क्षेत्र अपने आप में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए है. जहां पग-पग पर स्थित पौराणिक मंदिर और ऐतिहासिक मेले लोगों को हमेशा ही अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं. आपको आज हम ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां शिवलिंग पर जल चढ़ाने पर स्वयं का प्रतिबिंब दिखाई पड़ता है. इस चमत्कार को देखने यहां लोग खिंचे चले आते हैं.

जौनसार बावर के इस शिव मंदिर में मुर्दे में भी आ जाती है जान.

जौनसार बावर में अनेकों-अनेक चमत्कार देखने और सुनने को मिलते हैं. यह पौराणिक मंदिर राजधानी देहरादून से करीब 128 किलोमीटर दूर जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र के लाखामंडल गांव में स्थित है. इसका इतिहास रामायणकाल से जोड़कर देखा जाता है. यह मंदिर छठी व सातवीं शताब्दी का माना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि कौरवों ने षड्यंत्र रचकर यहां लाक्षागृह का निर्माण कराकर पांडवों को अज्ञातवास के दौरान जलाने का प्रयास किया था. मंदिर के पास ही गुफा है जो यमुना नदी को ओर निकलती है. बताया जाता है कि इसी गुफा के रास्ते पांडवों ने अपनी जान बचाई थी.

पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां सवा लाख शिवलिंगों की स्थापना की थी. यहां महादेव की सूक्ति के लिए देवता और दानव हमेशा खड़े रहते हैं. माना तो ये भी जाता है कि पांडवों के सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर ने शिवलिंग की स्थापना की थी. यही नहीं, मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां साक्षात रूप में भगवान शिव विराजमान हैं. माना जाता है कि मंदिर में मृत शरीर को भी रखा जाए तो कुछ पल के लिए उसमें जान आ जाती है फिर वे अपनी अवस्था में चला जाता है.

लाखामंडल शिव मंदिर अनेकों चमत्कारों से भरा पड़ा हुआ है. 2007 में यहां खुदाई के दौरान कई शिवलिंग और देवी देवताओं की मूर्तियां मिली थी, जिसे पुरातत्व विभाग ने म्यूजियम बनाकर सहेज कर रखा है. शिव मंदिर के अंदर शिव, पार्वती व गणेश की मूर्तियां विराजमान हैं.

माना जाता है कि जो सच्चे मन से भगवान शिव की उपासना करता है उसकी हर मुराद पूरी होती है. सालभर दूर-दूर से श्रद्धालु इस चमत्कारी शिव धाम को देखने आते हैं.

नोट: ईटीवी भारत का उद्देश्य किसी भी मिथक और अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है. मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है ये सारी बातें लोगों द्वारा कही गई हैं.

विकासनगर: देवभूमि का जौनसार क्षेत्र अपने आप में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए है. जहां पग-पग पर स्थित पौराणिक मंदिर और ऐतिहासिक मेले लोगों को हमेशा ही अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं. आपको आज हम ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां शिवलिंग पर जल चढ़ाने पर स्वयं का प्रतिबिंब दिखाई पड़ता है. इस चमत्कार को देखने यहां लोग खिंचे चले आते हैं.

जौनसार बावर के इस शिव मंदिर में मुर्दे में भी आ जाती है जान.

जौनसार बावर में अनेकों-अनेक चमत्कार देखने और सुनने को मिलते हैं. यह पौराणिक मंदिर राजधानी देहरादून से करीब 128 किलोमीटर दूर जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र के लाखामंडल गांव में स्थित है. इसका इतिहास रामायणकाल से जोड़कर देखा जाता है. यह मंदिर छठी व सातवीं शताब्दी का माना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि कौरवों ने षड्यंत्र रचकर यहां लाक्षागृह का निर्माण कराकर पांडवों को अज्ञातवास के दौरान जलाने का प्रयास किया था. मंदिर के पास ही गुफा है जो यमुना नदी को ओर निकलती है. बताया जाता है कि इसी गुफा के रास्ते पांडवों ने अपनी जान बचाई थी.

पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां सवा लाख शिवलिंगों की स्थापना की थी. यहां महादेव की सूक्ति के लिए देवता और दानव हमेशा खड़े रहते हैं. माना तो ये भी जाता है कि पांडवों के सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर ने शिवलिंग की स्थापना की थी. यही नहीं, मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां साक्षात रूप में भगवान शिव विराजमान हैं. माना जाता है कि मंदिर में मृत शरीर को भी रखा जाए तो कुछ पल के लिए उसमें जान आ जाती है फिर वे अपनी अवस्था में चला जाता है.

लाखामंडल शिव मंदिर अनेकों चमत्कारों से भरा पड़ा हुआ है. 2007 में यहां खुदाई के दौरान कई शिवलिंग और देवी देवताओं की मूर्तियां मिली थी, जिसे पुरातत्व विभाग ने म्यूजियम बनाकर सहेज कर रखा है. शिव मंदिर के अंदर शिव, पार्वती व गणेश की मूर्तियां विराजमान हैं.

माना जाता है कि जो सच्चे मन से भगवान शिव की उपासना करता है उसकी हर मुराद पूरी होती है. सालभर दूर-दूर से श्रद्धालु इस चमत्कारी शिव धाम को देखने आते हैं.

नोट: ईटीवी भारत का उद्देश्य किसी भी मिथक और अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है. मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है ये सारी बातें लोगों द्वारा कही गई हैं.

Intro:जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में देहरादून से करीब 128 किलोमीटर स्थित लाखामंडल गांव में प्राचीन वह ऐतिहासिक शिव मंदिर विद्यमान है यहां पर एक ऐसा चमत्कारी शिवलिंग है जिसमें की जल डालने से स्वयं का प्रतिबिंम दिखाइए देता है


Body:जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर में अनेकों अनेक चमत्कार देखने सुनने को मिलते हैं जिला देहरादून के तहसील चकराता में लाखामंडल गांव में प्राचीन शिव मंदिर स्थित है माना जाता है कि यह मंदिर छठी व सातवीं शताब्दी का है एक मान्यता के अनुसार कौरवों द्वारा षड्यंत्र रच कर यहां पर लाक्षागृह का निर्माण कराकर पांडवों को अज्ञातवास के दौरान जलाने का प्रयास भी किया गया था जिसमें की वहां से एक गुफा यमुना नदी की ओर निकलती है उसी गुफा से पांडवों ने अपनी जान बचाई थी और वहां से वैकुंठ धाम के लिए चले गए थे माना जाता है कि उस दौरान पांडवों ने सवा लाख शिवलिंग की स्थापना की गई थी मंदिर के पश्चिम की ओर दो द्वारपाल देव व दानव भी खड़े हैं वहीं पर पांडवों के सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर ने शिवलिंग की स्थापना की थी मान्यता है कि वहां पर मृत मनुष्य को अगर रखा जाए तो कुछ पल के लिए वह भी जीवित हो जाता है पंडित द्वारा मंत्रोच्चारण कर गंगाजल दूध आदि से उसको मृत व्यक्ति को दे कर पल भर के लिए जीवित किया जाता है मृत व्यक्ति जीवित अवस्था में ओम नमः शिवाय का जाप कर वापसी मृत अवस्था को हो जाता है लाखामंडल शिव मंदिर अनेकों चमत्कारों से भरा पड़ा है वर्ष 2007 में खुदाई के दौरान कई शिवलिंग व देवी देवताओं की मूर्तियां निकली है जोकि पुरातत्व विभाग द्वारा म्यूजियम में रखी गई है जो हमेशा ही बंद रहता है शिव मंदिर के अंदर शिव पार्वती के गणेश की मूर्तियां विराजमान है माना जाता है कि जो सच्चे मन से इस मंदिर में पूजा अर्चना कर मन्नत मांगते हैं उनकी मन्नत भोले भंडारी पूरी करते हैं


Conclusion:देहरादून से लगभग 128 किलोमीटर दूर मसूरी मार्ग से लाखामंडल की दूरी है यहां के लिए चकराता होते हुए भी जाया जा सकता है हैं माना जाता है कि यह मंदिर छठी सातवीं शताब्दी का मान्यता अनुसार इस मंदिर की खोज गाय द्वारा की गई थी बाद में लाखामंडल गांव बसायत में आया है. इन दिनों प्राचीन शिव मंदिर लाखामंडल में दूर-दूर से पर्यटकों का आना लगा हुआ है

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Last Updated : Jun 10, 2019, 3:28 PM IST
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