विकासनगर: देवभूमि का जौनसार क्षेत्र अपने आप में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए है. जहां पग-पग पर स्थित पौराणिक मंदिर और ऐतिहासिक मेले लोगों को हमेशा ही अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं. आपको आज हम ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां शिवलिंग पर जल चढ़ाने पर स्वयं का प्रतिबिंब दिखाई पड़ता है. इस चमत्कार को देखने यहां लोग खिंचे चले आते हैं.
जौनसार बावर में अनेकों-अनेक चमत्कार देखने और सुनने को मिलते हैं. यह पौराणिक मंदिर राजधानी देहरादून से करीब 128 किलोमीटर दूर जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र के लाखामंडल गांव में स्थित है. इसका इतिहास रामायणकाल से जोड़कर देखा जाता है. यह मंदिर छठी व सातवीं शताब्दी का माना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि कौरवों ने षड्यंत्र रचकर यहां लाक्षागृह का निर्माण कराकर पांडवों को अज्ञातवास के दौरान जलाने का प्रयास किया था. मंदिर के पास ही गुफा है जो यमुना नदी को ओर निकलती है. बताया जाता है कि इसी गुफा के रास्ते पांडवों ने अपनी जान बचाई थी.
पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां सवा लाख शिवलिंगों की स्थापना की थी. यहां महादेव की सूक्ति के लिए देवता और दानव हमेशा खड़े रहते हैं. माना तो ये भी जाता है कि पांडवों के सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर ने शिवलिंग की स्थापना की थी. यही नहीं, मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां साक्षात रूप में भगवान शिव विराजमान हैं. माना जाता है कि मंदिर में मृत शरीर को भी रखा जाए तो कुछ पल के लिए उसमें जान आ जाती है फिर वे अपनी अवस्था में चला जाता है.
लाखामंडल शिव मंदिर अनेकों चमत्कारों से भरा पड़ा हुआ है. 2007 में यहां खुदाई के दौरान कई शिवलिंग और देवी देवताओं की मूर्तियां मिली थी, जिसे पुरातत्व विभाग ने म्यूजियम बनाकर सहेज कर रखा है. शिव मंदिर के अंदर शिव, पार्वती व गणेश की मूर्तियां विराजमान हैं.
माना जाता है कि जो सच्चे मन से भगवान शिव की उपासना करता है उसकी हर मुराद पूरी होती है. सालभर दूर-दूर से श्रद्धालु इस चमत्कारी शिव धाम को देखने आते हैं.
नोट: ईटीवी भारत का उद्देश्य किसी भी मिथक और अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है. मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है ये सारी बातें लोगों द्वारा कही गई हैं.