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आपातकाल ने की थी लोकतंत्र की हत्या, 40वीं बरसी पर वक्ताओं ने कही ये बात

देश में काला अध्याय माने जाने वाले आपातकाल को लेकर एक संगोष्ठी का आयोजन कर उस पर चर्चा की गई. वक्ताओं द्वारा एक स्वर में इसे अलोकतांत्रिक बताया गया.

आपातकाल पर संगोष्ठी
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Published : Jul 1, 2019, 6:03 AM IST

देहरादून: आपातकाल की 40वीं बरसी पर रविवार को श्री नित्यानंद स्वामी जन सेवार्थ समिति द्वारा देहरादून प्रेस क्लब में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल बतौर मुख्य थे. संगोष्ठी में वक्ताओं ने 1975 में भारत में आपातकाल के दौरान होने वाली घटनाओं का जिक्र करते हुए अपने अनुभव साझा किए.

आपातकाल के 40 वर्ष पूर्ण होने पर संगोष्ठी का आयोजन

विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने कहा कि आपातकाल के दौरान लोकतंत्र के स्तंभ जैसे कार्यपालिका न्यायपालिकाओं को ध्वस्त करने का काम किया गया. आपातकाल के दौरान एक बात कही जाती थी न अपील और न दलील.

1975 में तमाम विपक्षी दलों के नेताओं को जेल में डालकर पूरे देश में भय का वातावरण बना दिया गया था. उस समय डिक्टेटर प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गांधी ने पूरे देश को झंझोड़ने का काम किया था जिन्होंने उस दौर को देखा है उनके मुताबिक जेल में डाले गए लोगों को इतनी यातनाएं दी गईं और उनके परिवार वालों के साथ दुर्व्यवहार किया गया.

ऐसी पुनरावृति दोबारा कभी नहीं दोहरायी जानी चाहिए. आज सबको मिलकर लोकतंत्र का संरक्षण और संवर्धन करना चाहिए. उन्होंने आयोजकों की तारीफ करते हुए कहा कि ऐसे संगोष्ठियों के माध्यम से लोग जागरूक होंगे साथ ही कहा कि आने वाले समय में लोकतंत्र बचा रहे इसके लिए सबको मिलकर प्रयास करने होंगे.

यह भी पढ़ेंः पर्यटन सर्किट से जुड़ेगा सितोंस्यू, यहां मां सीता ने ली थी भू-समाधि, सीएम त्रिवेंद्र ने किए दर्शन

गौरतलब है कि 1975 से 21 मार्च 1977 तक 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित किया गया था. उस दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा की थी.

स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक माना गया था. विपक्षी दल के नेताओं को जेल में डाल दिया गया था. इस दौरान कार्यक्रम में राजपुर विधायक खजान दास, भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉक्टर देवेंद्र भसीन मौजूद रहे.

देहरादून: आपातकाल की 40वीं बरसी पर रविवार को श्री नित्यानंद स्वामी जन सेवार्थ समिति द्वारा देहरादून प्रेस क्लब में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल बतौर मुख्य थे. संगोष्ठी में वक्ताओं ने 1975 में भारत में आपातकाल के दौरान होने वाली घटनाओं का जिक्र करते हुए अपने अनुभव साझा किए.

आपातकाल के 40 वर्ष पूर्ण होने पर संगोष्ठी का आयोजन

विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने कहा कि आपातकाल के दौरान लोकतंत्र के स्तंभ जैसे कार्यपालिका न्यायपालिकाओं को ध्वस्त करने का काम किया गया. आपातकाल के दौरान एक बात कही जाती थी न अपील और न दलील.

1975 में तमाम विपक्षी दलों के नेताओं को जेल में डालकर पूरे देश में भय का वातावरण बना दिया गया था. उस समय डिक्टेटर प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गांधी ने पूरे देश को झंझोड़ने का काम किया था जिन्होंने उस दौर को देखा है उनके मुताबिक जेल में डाले गए लोगों को इतनी यातनाएं दी गईं और उनके परिवार वालों के साथ दुर्व्यवहार किया गया.

ऐसी पुनरावृति दोबारा कभी नहीं दोहरायी जानी चाहिए. आज सबको मिलकर लोकतंत्र का संरक्षण और संवर्धन करना चाहिए. उन्होंने आयोजकों की तारीफ करते हुए कहा कि ऐसे संगोष्ठियों के माध्यम से लोग जागरूक होंगे साथ ही कहा कि आने वाले समय में लोकतंत्र बचा रहे इसके लिए सबको मिलकर प्रयास करने होंगे.

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गौरतलब है कि 1975 से 21 मार्च 1977 तक 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित किया गया था. उस दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा की थी.

स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक माना गया था. विपक्षी दल के नेताओं को जेल में डाल दिया गया था. इस दौरान कार्यक्रम में राजपुर विधायक खजान दास, भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉक्टर देवेंद्र भसीन मौजूद रहे.

Intro: आपातकाल की 40 वी बरसी पर आज श्री नित्यानंद स्वामी जन सेवार्थ समिति द्वारा देहरादून प्रेस क्लब में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस दौरान संगोष्ठी में वक्ताओं ने 1975 मे भारत मे आपातकाल के दौरान होने वाली घटनाओं का जिक्र करते हुए अपने अनुभव साझा किए।
summary- दरअसल आपातकाल की 40 वी बरसी पर आज संगोष्ठी के माध्यम से वक्ताओं ने अपने अनुभव साझा किए ,इस दौरान कार्यक्रम में राजपुर विधायक खजान दास, भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉक्टर देवेंद्र भसीन मौजूद रहे।


Body: वही विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने कहा कि आपातकाल के दौरान लोकतंत्र के स्तंभ जैसे कार्यपालिका न्यायपालिकाओं को ध्वस्त करने का काम किया गया। आपातकाल के दौरान एक बात कही जाती थी ना अपील और ना दलील। 1975 में तमाम विपक्षी दलों के नेताओं को जेल में डाल कर पूरे देश में भय का वातावरण बना दिया गया था। उस समय डिक्टेटर प्रधानमंत्री के रूप मे इंदिरा गांधी ने पूरे देश को झंझोड़ने का काम किया था, जिन्होंने उस दौर को देखा है उनके मुताबिक जेल में डाले गए लोगों को इतनी यातनाएं दी गई और उनके परिवार वालों के साथ दुर्व्यवहार किया गया, ऐसी पुनरावृति दोबारा कभी नहीं दोहरायी जानी चाहिए, आज सबको मिलकर लोकतंत्र का संरक्षण और संवर्धन करना चाहिए। उन्होंने आयोजकों की तारीफ करते हुए कहा कि ऐसे संगोष्ठीयों के माध्यम से लोग जागरूक होंगे,साथ ही कहा कि आने वाले समय में लोकतंत्र बचा रहे इसके लिए सबको मिलकर प्रयास करने होंगे।

बाइट- प्रेमचंद अग्रवाल ,विधानसभा अध्यक्ष


Conclusion: गौरतलब है कि 1975 से 21 मार्च 1977 तक 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित किया गया था। उस दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा की थी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल माना गया था, विपक्षी दल के नेताओं को जेल में डाल दिया गया था,
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