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क्या आप जानते हैं, निर्दलीय प्रत्याशियों को किस तरह से किया जाता है चुनाव चिन्ह का आवंटन

निर्दलीय प्रत्याशियों के सिंबल के लिए नामांकन फॉर्म में सिम्बल कॉलम का प्रावधान किया गया है. जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी अपनी मनपसंद का चुनाव चिन्ह चुन सकते हैं.

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Published : Mar 18, 2019, 6:29 PM IST

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देहरादून: उत्तराखंड में सोमवार से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई. इसके तहत लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार 25 मार्च तक नामांकन कर सकते हैं. चुनाव के दौरान हर बार निर्दलीय प्रत्याशियों की इच्छा होती है कि उन्हें अपनी पसंद का चुनाव चिन्ह मिले, लेकिन ज्यादातर ऐसा नहीं हो पाता. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि निर्वाचन आयोग निर्दलीय प्रत्याशियों को किस तरह से चुनाव चिन्ह का आवंटन करता है.

नामांकन फॉर्म में प्रोविजन
दरअसल निर्दलीय प्रत्याशियों के सिंबल के लिए नामांकन फॉर्म में सिम्बल कॉलम का प्रावधान किया गया है. जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी अपनी मनपसंद का चुनाव चिन्ह चुन सकते हैं. आमतौर पर देखने को मिलता है कि एक ही सिम्बल के लिए कई प्रत्याशी आवेदन कर देते हैं. ऐसे में प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह का वितरण प्रिसिंबल के मुताबिक किया जाता है.

क्या है प्रिसिंबल का प्रावधान
निर्दलीय प्रत्याशियों के सिम्बल के लिए पहले से ही निर्वाचन आयोग प्रिसिम्बल बना कर रखता है. जब कोई निर्दलीय प्रत्याशी अपना चुनाव चिन्ह नहीं बताता है या फिर दो निर्दलीय प्रत्याशी एक ही चुनाव चिन्ह की मांग करते हैं तो निर्वाचन आयोग अपने प्रिसिम्बल के मुताबिक निर्दलीय प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह दे देता है.

मामले में मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने जानकारी देते हुए बताया कि नॉमिनेशन फॉर्म में ही सिम्बल यानि चुनाव चिन्ह का प्रोविजन होता है. जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी अपने मनपसंद के चुनाव चिन्ह की जानकारी दे सकते हैं. वहीं जो पार्टियां मान्यता प्राप्त होती हैं उनका चुनाव चिन्ह पहले से ही निर्धारित रहता है.

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उन्होंने बताया कि निर्दलीय प्रत्याशी जो चुनाव चिन्ह नामांकन फॉर्म में भरते हैं, उसे उन्हें देने की कोशिश की जाती है. अगर एक ही चुनाव चिन्ह कई उम्मीदार मांगते हैं तो प्रिसिंबल के जरिए उन्हें चिन्ह का आवंटन होता है. चुनाव चिन्ह जारी करने का अधिकार रिटर्निंग ऑफिसर को होता है.

देहरादून: उत्तराखंड में सोमवार से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई. इसके तहत लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार 25 मार्च तक नामांकन कर सकते हैं. चुनाव के दौरान हर बार निर्दलीय प्रत्याशियों की इच्छा होती है कि उन्हें अपनी पसंद का चुनाव चिन्ह मिले, लेकिन ज्यादातर ऐसा नहीं हो पाता. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि निर्वाचन आयोग निर्दलीय प्रत्याशियों को किस तरह से चुनाव चिन्ह का आवंटन करता है.

नामांकन फॉर्म में प्रोविजन
दरअसल निर्दलीय प्रत्याशियों के सिंबल के लिए नामांकन फॉर्म में सिम्बल कॉलम का प्रावधान किया गया है. जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी अपनी मनपसंद का चुनाव चिन्ह चुन सकते हैं. आमतौर पर देखने को मिलता है कि एक ही सिम्बल के लिए कई प्रत्याशी आवेदन कर देते हैं. ऐसे में प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह का वितरण प्रिसिंबल के मुताबिक किया जाता है.

क्या है प्रिसिंबल का प्रावधान
निर्दलीय प्रत्याशियों के सिम्बल के लिए पहले से ही निर्वाचन आयोग प्रिसिम्बल बना कर रखता है. जब कोई निर्दलीय प्रत्याशी अपना चुनाव चिन्ह नहीं बताता है या फिर दो निर्दलीय प्रत्याशी एक ही चुनाव चिन्ह की मांग करते हैं तो निर्वाचन आयोग अपने प्रिसिम्बल के मुताबिक निर्दलीय प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह दे देता है.

मामले में मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने जानकारी देते हुए बताया कि नॉमिनेशन फॉर्म में ही सिम्बल यानि चुनाव चिन्ह का प्रोविजन होता है. जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी अपने मनपसंद के चुनाव चिन्ह की जानकारी दे सकते हैं. वहीं जो पार्टियां मान्यता प्राप्त होती हैं उनका चुनाव चिन्ह पहले से ही निर्धारित रहता है.

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उन्होंने बताया कि निर्दलीय प्रत्याशी जो चुनाव चिन्ह नामांकन फॉर्म में भरते हैं, उसे उन्हें देने की कोशिश की जाती है. अगर एक ही चुनाव चिन्ह कई उम्मीदार मांगते हैं तो प्रिसिंबल के जरिए उन्हें चिन्ह का आवंटन होता है. चुनाव चिन्ह जारी करने का अधिकार रिटर्निंग ऑफिसर को होता है.

Intro:लोकसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा हो चुकी है इसी क्रम में उत्तराखंड राज्य में 18 मार्च यानी सोमवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है और 25 मार्च तक प्रदेश मे नामांकन प्रक्रिया चलेगी। हालांकि हर बार चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशीयो की कोशिश रहती है कि उनके मन पसंद के सिम्बल उन्हें दिए जाये। लेकिन कई बार निर्दलीय प्रत्याशियों को उनका सिम्बल नही मिल पाता है। क्या वो वजह होती है कि प्रत्याशीयो को उनका मनपसंद सिम्बल नही मिल पाता है? साथ ही ईटीवी भारत आपको बताने जा रहा है कि किस तरह से निर्वाचन आयोग, निर्दलीय प्रत्याशीयो में सिम्बल का आवंटन करता है।


Body:गौर हो कि लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। 10 मार्च को शाम 5 बजे चुनाव की तिथियों की घोषणा होने के बाद ही देशभर में आचार संहिता लागू हो गई है। तो वही अगर उत्तराखंड की बात करें तो उत्तराखंड में 18 मार्च से 25 मार्च तक नामांकन किए जाएंगे। साथ ही 26 मार्च तक नामांकन पत्रों की समीक्षा की जाएगी। और 28 मार्च तक नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि है। इसके साथ ही राज्य में पहले चरण यानी 11 अप्रैल को मतदान किया जाएगा। व 23 मई को देशभर में मतगणना होगी। और चुनाव के नतीजे की घोषणा की जाएगी।

नामांकन फॉर्म में प्रोविजन.....

निर्दलीय प्रत्याशीयो के सिम्बल के लिए निर्वाचन आयोग ने नामांकन फॉर्म में सिम्बल का भी प्रावधान किया है। जिसमे निर्दलीय प्रत्याशी अपने मन पसंद के सिम्बल ले सकता है। हालाँकि कई बार चुनाव में कई निर्दलीय प्रत्याशी खड़े हो जाते है। और कोई एक सिम्बल के लिए आवेदन कर देते है। ऐसे में प्रत्याशियों को सिम्बल वितरण करने के लिए प्रिसिम्बल के अनुसार दिए जाते है।

निर्वाचन आयोग में प्रिसिम्बल का प्रावधान....

निर्दलीय प्रत्याशियों के सिम्बल के लिए पहले से ही निर्वाचन आयोग प्रिसिम्बल बना कर रखता है। जब कोई निर्दलीय प्रत्याशी अपना चुनाव चिन्ह नही बताता है या दो निर्दलीय प्रत्याशि एक ही सिम्बल की मांग करते है। तो निर्वाचन आयोग अपने प्रिसिम्बल के अनुसार निर्दलीय प्रत्याशियों को सिम्बल यानी चुनाव चिन्ह का आवंटन करती है।

ज्यादा जानकारी देते हुए मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने बताया कि नॉमिनेशन फॉर्म में ही सिंबल यानी चुनाव चिन्ह का प्रोविजन होता है। जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी अपने मन पसंद के चुनाव चिन्ह की जानकारी दे सकते हैं। और राष्ट्रीय और रिकॉग्नाइज पार्टियां होती है उनके सिंबल पहले ही निर्धारित होते हैं और वह राज्य निर्वाचन को केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। और उसी सिंबल को राष्ट्रीय और रिकॉग्नाइज पार्टियो के प्रत्याशी को दिया जाएगा।

साथ ही बताया कि निर्दलीय प्रत्याशी जो सिंबल, नॉमिनेशन फॉर्म में भरता है उसे वही सिंबल देते हैं। लेकिन अगर कोई निर्दलीय प्रत्याशी नामांकन फॉर्म में सिम्बल की जानकारी नही भरता है तो उस प्रत्याशी को प्रिसिम्बल द्वारा चुनाव चिन्ह दिया जाता है। और अगर नामांकन फॉर्म में दो या दो से अधिक निर्दलीय प्रत्याशी एक ही सिम्बल की मांग करते है तो फिर निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित नियम के अनुसार ही सिम्बल का आवंटन किया जाता है। और निर्दलीय प्रत्याशीयो के सिम्बल फाइनल होने के बाद संबंधित लोकसभा छेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर चुनाव चिन्ह जारी करेंगे।


Conclusion:
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