देहरादून: उत्तराखंड में सोमवार से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई. इसके तहत लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार 25 मार्च तक नामांकन कर सकते हैं. चुनाव के दौरान हर बार निर्दलीय प्रत्याशियों की इच्छा होती है कि उन्हें अपनी पसंद का चुनाव चिन्ह मिले, लेकिन ज्यादातर ऐसा नहीं हो पाता. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि निर्वाचन आयोग निर्दलीय प्रत्याशियों को किस तरह से चुनाव चिन्ह का आवंटन करता है.
नामांकन फॉर्म में प्रोविजन
दरअसल निर्दलीय प्रत्याशियों के सिंबल के लिए नामांकन फॉर्म में सिम्बल कॉलम का प्रावधान किया गया है. जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी अपनी मनपसंद का चुनाव चिन्ह चुन सकते हैं. आमतौर पर देखने को मिलता है कि एक ही सिम्बल के लिए कई प्रत्याशी आवेदन कर देते हैं. ऐसे में प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह का वितरण प्रिसिंबल के मुताबिक किया जाता है.
क्या है प्रिसिंबल का प्रावधान
निर्दलीय प्रत्याशियों के सिम्बल के लिए पहले से ही निर्वाचन आयोग प्रिसिम्बल बना कर रखता है. जब कोई निर्दलीय प्रत्याशी अपना चुनाव चिन्ह नहीं बताता है या फिर दो निर्दलीय प्रत्याशी एक ही चुनाव चिन्ह की मांग करते हैं तो निर्वाचन आयोग अपने प्रिसिम्बल के मुताबिक निर्दलीय प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह दे देता है.
मामले में मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने जानकारी देते हुए बताया कि नॉमिनेशन फॉर्म में ही सिम्बल यानि चुनाव चिन्ह का प्रोविजन होता है. जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी अपने मनपसंद के चुनाव चिन्ह की जानकारी दे सकते हैं. वहीं जो पार्टियां मान्यता प्राप्त होती हैं उनका चुनाव चिन्ह पहले से ही निर्धारित रहता है.
उन्होंने बताया कि निर्दलीय प्रत्याशी जो चुनाव चिन्ह नामांकन फॉर्म में भरते हैं, उसे उन्हें देने की कोशिश की जाती है. अगर एक ही चुनाव चिन्ह कई उम्मीदार मांगते हैं तो प्रिसिंबल के जरिए उन्हें चिन्ह का आवंटन होता है. चुनाव चिन्ह जारी करने का अधिकार रिटर्निंग ऑफिसर को होता है.