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स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत देहरादून में हुए सिर्फ दो कार्य, जनता ने कहा- तेजी से करना होगा काम

केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जून 2017 में राजधानी देहरादून का चयन किया गया था. लेकिन डेढ़ साल बीत जाने के बावजूद राजधानी में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर सिर्फ 2 कार्य नजर आते हैं.

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट
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Published : Apr 8, 2019, 2:38 AM IST

देहरादून: केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जून 2017 में राजधानी देहरादून का चयन किया गया था. जिसके तहत राजधानी को स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित करना था. लेकिन लगभग डेढ़ साल बीत जाने के बावजूद राजधानी में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर सिर्फ 2 कार्य नजर आते हैं. जिसमें घंटाघर से राजपुर रोड तक स्मार्ट पार्किंग का निर्माण और 1 एक वाटर एटीएम शामिल है.

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट.

बता दें कि जून 2017 में जब देहरादून का चयन केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी योजना के तहत हुआ था. तब राज्य सरकार से लेकर नगर निगम ने इसका श्रेय लेते हुए कहा था कि आप जल्द ही दून को स्मार्ट सिटी के रूप में देखेंगे. लेकिन लगभग 2 साल बीत जाने के बाद सिर्फ दो कार्य ही हो पाए हैं. ऐसे में बाकि के तीन सालों में देहरादून कितना स्मार्ट हो पाएगा.

पढ़ें: तीर्थनगरी में आतंक बन चुके बंदरों से मिलेगी निजात, पहले दिन 50 बंदर कैद

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बीते डेढ़ सालों में राजधानी देहरादून में हुए विकास कार्यों को लेकर जनता का कहना था कि यदि देहादून को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए तेजी से काम करना होगा. नहीं तो स्मार्ट सिटी का सपना सिर्फ सपने ही बनकर रह जाएगा. वहीं, कई लोगों का कहना था कि इस चुनावी दौर में किसी भी राजनीतिक दल ने दून के विकास को अपना मुद्दा नहीं बनाया. जिसे देख कर लगता है कि राजनीतिक दलों की दिलचस्पी सिर्फ सत्ता हासिल करने में है, विकास कार्यों में नहीं.

स्मार्ट सिटी के तहत राजधानी में किए जाने वाले कुछ मुख्य विकास कार्य-

शहर के चौराहों का चौड़ीकरण

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत दून के घंटाघर, परी चौक, कनक चौक, क्वालिटी चौक और राजौरी गार्डन का चौड़ीकरण होना था. लेकिन अब तक यहां धरातल पर कोई कार्य नजर नहीं आया. इसके अलावा सभी आधुनिक सेवाओं को संचालित करने के लिए सेंट्रल कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम भी शुरू होना था. लेकिन यह भी अब तक शुरू नहीं हो पाया है.

स्मार्ट वाटर एटीएम

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर के कई व्यस्त सड़कों के किनारे स्मार्ट वाटर एटीएम लगाए जाने थे. लेकिन सिर्फ दीनदयाल उपाध्याय पार्क के पास महज एक वाटर एटीएम लगा है.

स्मार्ट रोड

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत दून की सड़कों को भी स्मार्ट बनाया जाना था. स्मार्ट रोड के तहत बिजली की सभी लाइनों को अंडर ग्राउंड किया जाना था. इसके साथ ही ड्रेनेज सिस्टम भी कुछ अलग तरह से तैयार किया जाना था. जिससे कि बरसात में जलभराव की स्थिति पैदा ना हो. लेकिन आज भी शहर की हालत जस की तस है. बरसात में आज भी शहर में जलभराव एक आम समस्या है.

स्मार्ट स्कूल

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर के सरकारी स्कूलों को स्मार्ट बनाना था. जहां बच्चों के बैठने की उचित व्यवस्था की जानी थी और कक्षाओं को भी स्मार्ट किया जाना था. किन यह काम भी इन डेढ़ सालों में नहीं हो पाया. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे आज भी बदहाल स्थिति में पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

बहरहाल, जून 2017 में स्मार्ट सिटी की लिस्ट में शामिल हुए देहरादून शहर को साल 2022 तक स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित किए जाने का लक्ष्य है. इस योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार के 500- 500 करोड़ रुपए मिलाकर 1000 करोड़ रुपए दिए जाने है. जबकि राज्य सरकार ने इससे भी अधिक 1405.5 करोड रुपए का प्लान तैयार किया है. ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि राज्य सरकार शेष बचे 3 सालों में राजधानी देहरादून को कैसे स्मार्ट सिटी में बदल पाती है.

देहरादून: केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जून 2017 में राजधानी देहरादून का चयन किया गया था. जिसके तहत राजधानी को स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित करना था. लेकिन लगभग डेढ़ साल बीत जाने के बावजूद राजधानी में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर सिर्फ 2 कार्य नजर आते हैं. जिसमें घंटाघर से राजपुर रोड तक स्मार्ट पार्किंग का निर्माण और 1 एक वाटर एटीएम शामिल है.

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट.

बता दें कि जून 2017 में जब देहरादून का चयन केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी योजना के तहत हुआ था. तब राज्य सरकार से लेकर नगर निगम ने इसका श्रेय लेते हुए कहा था कि आप जल्द ही दून को स्मार्ट सिटी के रूप में देखेंगे. लेकिन लगभग 2 साल बीत जाने के बाद सिर्फ दो कार्य ही हो पाए हैं. ऐसे में बाकि के तीन सालों में देहरादून कितना स्मार्ट हो पाएगा.

पढ़ें: तीर्थनगरी में आतंक बन चुके बंदरों से मिलेगी निजात, पहले दिन 50 बंदर कैद

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बीते डेढ़ सालों में राजधानी देहरादून में हुए विकास कार्यों को लेकर जनता का कहना था कि यदि देहादून को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए तेजी से काम करना होगा. नहीं तो स्मार्ट सिटी का सपना सिर्फ सपने ही बनकर रह जाएगा. वहीं, कई लोगों का कहना था कि इस चुनावी दौर में किसी भी राजनीतिक दल ने दून के विकास को अपना मुद्दा नहीं बनाया. जिसे देख कर लगता है कि राजनीतिक दलों की दिलचस्पी सिर्फ सत्ता हासिल करने में है, विकास कार्यों में नहीं.

स्मार्ट सिटी के तहत राजधानी में किए जाने वाले कुछ मुख्य विकास कार्य-

शहर के चौराहों का चौड़ीकरण

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत दून के घंटाघर, परी चौक, कनक चौक, क्वालिटी चौक और राजौरी गार्डन का चौड़ीकरण होना था. लेकिन अब तक यहां धरातल पर कोई कार्य नजर नहीं आया. इसके अलावा सभी आधुनिक सेवाओं को संचालित करने के लिए सेंट्रल कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम भी शुरू होना था. लेकिन यह भी अब तक शुरू नहीं हो पाया है.

स्मार्ट वाटर एटीएम

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर के कई व्यस्त सड़कों के किनारे स्मार्ट वाटर एटीएम लगाए जाने थे. लेकिन सिर्फ दीनदयाल उपाध्याय पार्क के पास महज एक वाटर एटीएम लगा है.

स्मार्ट रोड

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत दून की सड़कों को भी स्मार्ट बनाया जाना था. स्मार्ट रोड के तहत बिजली की सभी लाइनों को अंडर ग्राउंड किया जाना था. इसके साथ ही ड्रेनेज सिस्टम भी कुछ अलग तरह से तैयार किया जाना था. जिससे कि बरसात में जलभराव की स्थिति पैदा ना हो. लेकिन आज भी शहर की हालत जस की तस है. बरसात में आज भी शहर में जलभराव एक आम समस्या है.

स्मार्ट स्कूल

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर के सरकारी स्कूलों को स्मार्ट बनाना था. जहां बच्चों के बैठने की उचित व्यवस्था की जानी थी और कक्षाओं को भी स्मार्ट किया जाना था. किन यह काम भी इन डेढ़ सालों में नहीं हो पाया. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे आज भी बदहाल स्थिति में पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

बहरहाल, जून 2017 में स्मार्ट सिटी की लिस्ट में शामिल हुए देहरादून शहर को साल 2022 तक स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित किए जाने का लक्ष्य है. इस योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार के 500- 500 करोड़ रुपए मिलाकर 1000 करोड़ रुपए दिए जाने है. जबकि राज्य सरकार ने इससे भी अधिक 1405.5 करोड रुपए का प्लान तैयार किया है. ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि राज्य सरकार शेष बचे 3 सालों में राजधानी देहरादून को कैसे स्मार्ट सिटी में बदल पाती है.

Intro:केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जब जून 2017 में राजधानी देहरादून का चयन स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित करने को लेकर हुआ था तब राजधानी की जनता में यह उम्मीद जगी थी कि अब उनके शहर देहरादून की तस्वीर बदलने लगेगी। लेकिन आज लगभग ढेर साल बीत चुके हैं और राजधानी में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत धरातल पर सिर्फ 2 कार्य की नजर आते हैं। जिसमें घंटाघर से राजपुर रोड तक स्मार्ट पार्किंग का निर्माण और 1 एक वाटर एटीएम शामिल है।

गौरतलब है कि जून 2017 में जब देहरादून का चयन स्मार्ट सिटी में हुआ था तब राज्य सरकार से लेकर नगर निगम ने इसका श्रेय लेते हुए कहा था कि आप जल्द ही दून को स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित किया जाएगा लेकिन ऐसा हो ना सका 2 सालों में जब दो कार्य हुए हैं तो इससे आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि अगले 3 सालों में देहरादून कितना स्मार्ट हो पाएगा





Body:स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बीते ढेर सालों में राजधानी देहरादून में हुए विकास कार्यों को लेकर जब हमने आम जनता से बात की तो आम जनता शासन प्रशासन से काफी नाराज नजर आए ईटीवी भारत से बात करते हुए आम जनता ने सीधे तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर की और कहा कि यदि जून को वास्तविक तौर पर स्मार्ट सिटी बनाना है तो इसके लिए रफ्तार के साथ काम करना पड़ेगा नहीं तो स्मार्ट सिटी के सपने सिर्फ सपने ही बनकर रह जाएंगे।

वहीं दूसरी तरफ स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत अब तक दून में हुए विकास कार्यों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा का कहना था कि जिस रफ्तार के साथ शहर में कार्य हो रहे हैं उससे लगता नहीं कि जल्द ही दूर स्मार्ट हो पाएगा । शासन प्रशासन ने स्मार्ट सड़क , स्मार्ट क्लासेस, स्मार्ट टॉयलेट जैसे सपने तो जनता को बहुत दिखाएं । लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस चुनावी दौर में किसी भी राजनीतिक दल ने दून के विकास को अपना मुद्दा नहीं बनाया । जिसे देख कर यही लगता है कि राजनीतिक दलों की दिलचस्पी सिर्फ सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने में है विकास कार्यों में नहीं।

बाइट- भागीरथ शर्मा वरिष्ठ पत्रकार





Conclusion:स्मार्ट सिटी के तहत राजधानी में होने वाले कुछ मुख्य विकास कार्य -

- शहर के चौराहों का चौड़ीकरण
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत दून के घंटाघर परी चौक कनक चौक क्वालिटी चौक राजौरी गार्डन होना था लेकिन अब तक यहां धरातल पर कोई कार्य नजर नहीं आया इसके अलावा सभी आधुनिक सेवाओं को संचालित करने के लिए सेंट्रल कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम भी शुरू होना था । लेकिन यह भी अब तक शुरू नहीं हो पाया है।

- स्मार्ट वाटर एटीएम
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर के कई व्यस्त सड़कों के किनारे स्मार्ट वाटर एटीएम लगाए जाने थे । लेकिन आज स्थिति कुछ यह है कि शहर के दीनदयाल उपाध्याय पार्क के पास महज एक वाटर एटीएम लगा नजर आ रहा है । अब आप खुद ही सोचिए कि क्या इतने बड़े देहरादून शहर के लिए एक वाटर एटीएम पर्याप्त है।

- स्मार्ट रोड
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत दून की सड़कों को भी स्मार्ट बनाया जाना था । स्मार्ट रोड के तहत बिजली की सभी लाइनों को अंडरग्राउंड किया जाना था इसके साथ ही ड्रेनेज सिस्टम भी कुछ अलग तरह से तैयार होना था जिससे कि बरसात में जलभराव की स्थिति पैदा ना हो लेकिन आज भी शहर की हालत जस की तस है बरसात में आज भी शहर में जलभराव एक आम समस्या है।

- इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम का निर्माण
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत राजधानी के सहस्त्रधारा रोड स्थित आईटी पार्क में इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम स्थापित किया जाना है। यह एक ऐसा सिस्टम होगा जिससे शहर के सभी सीसीटीवी कैमरे जुड़े होंगे और इसकी मॉनीटरिंग एक स्थान से की जा सकेगी । बात चाहे शहर के ट्रैफिक व्यवस्था पर नजर रखने की हो या शहर से जुड़ी अन्य समस्याओं के सभी पर इसके माध्यम से नजर रखी जा सकेगी।

- स्मार्ट स्कूल
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर के सरकारी स्कूलों की दशा में भी सुधार होना था यहां इन स्कूलों को स्मार्ट बनाना था यहां बच्चों के बैठने की उचित व्यवस्था की जानी थी वही क्लासेस को भी स्मार्ट किया जाना था । लेकिन यह काम भी इन ढेर सालों में नहीं हो पाया । सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे आज भी बदहाल स्थिति में पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

बहरहाल जून 2017 में स्मार्ट सिटी की लिस्ट में शामिल हुए देहरादून शहर को साल 2022 तक स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित किए जाने का लक्ष्य है । इस योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार के 500- 500 करोड़ रुपए मिलाकर 1000 करोड़ रुपए दिए जाने है । जबकि राज्य सरकार ने इससे भी अधिक 1405.5 करोड रुपए का प्लान तैयार किया है । ऐसे में यह देखना अब दिलचस्प होगा कि आखिर राज्य सरकार शेष बचे 3 सालों में राजधानी देहरादून को कैसे स्मार्ट सिटी में बदल पाती है । क्योंकि बीते ढेर सालों में जो कार्य स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत राजधानी में हुए हैं वह काम अब आपके सामने है।
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