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डॉक्टर्स डे पर जॉलीग्रांट के डॉक्टरों का कमाल, 6 घंटे में किया बॉवेल वेजाइनोप्लास्टी

हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट के बाल शल्य विभाग के चिकित्सक डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि टिहरी की 17 वर्षीय एक लड़की को जन्मजात ये समस्या थी. उसका मलद्वार गलत जगह पर था. जिसकी वजह से उसे मल निकास में परेशानी रहती थी. उन्होंने बताया कि जन्म से ही युवती के पास वेजाइना नहीं थी.

डॉक्टर्स डे पर जॉलीग्रांट के डॉक्टरों ने हासिल की उपलब्धि.
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Published : Jul 1, 2019, 8:52 PM IST

Updated : Jul 2, 2019, 6:08 PM IST

डोइवाला: हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट के नाम मेडिकल साइंस की एक और उपलब्धि जुड़ गई है. जॉलीग्रांट के डॉक्टरों की टीम ने एक चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम देकर ये उपलब्धि हासिल की है. जॉलीग्रांट के डॉक्टरों की टीम ने 6 घंटे चले जटिल ऑपरेशन से एक युवती की बॉवेल वेजाइनोप्लास्टी सर्जरी की. ऑपरेशन के बाद युवती एकदम ठीक है.

जॉलीग्रांट के डॉक्टरों की टीम ने किया कमाल.


हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट के बाल शल्य विभाग के चिकित्सक डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि टिहरी की 17 वर्षीय एक लड़की को जन्मजात ये समस्या थी. उसका मलद्वार गलत जगह पर था. जिसकी वजह से उसे मल निकास में परेशानी रहती थी. उन्होंने बताया कि जन्म से ही युवती के पास वेजाइना नहीं थी. इसे मेडिकल भाषा में वेजाइनल अजेनेसिस कहा जाता है. इससे मासिक धर्म के दौरान परेशानियां होती हैं. क्योंकि वेजाइना न होने से रक्त बाहर नहीं निकल पाता है.

पढ़ें-पौड़ी कमिश्नरी की गोल्डन जुबली पर बोले- हरीश रावत, नहीं मिला असली अधिकार

डॉक्टर ने बताया कि इलाज के पहले चरण में युवती के मलद्वार को सही जगह पर पुनर्स्थापित किया गया. इसके 6 महीने बाद दूसरे ऑपरेशन की योजना पर काम शुरू किया गया जो कि काफी चुनौतीपूर्ण था. इसमें युवती की वेजाइना बनाने के लिए सभी संभावनाओं पर विचार करने के बाद बड़ी आंत से वेजाइना बनाने का निश्चय किया गया. जिसमें डॉक्टरों को सफलता हासिल हुई है. इस सफल ऑपरेशन की टीम में डॉक्टर संतोष के अलावा डॉ आइशा, डॉक्टर अंकित व एनेस्थीसिया टीम में डॉ. गुरुजीत व डॉक्टर वंदना ने भी अपना सहयोग दिया.

पढ़ें-एनएच 121 पर बेलगाम दौड़ रहे वाहन, वन्यजीवों का बन रहे काल

जटिल ऑपरेशन करने वाले हिमालयन हॉस्पिटल के डॉक्टर संतोष कुमार ने बताया कि वेजाइनल अजेनेसिस में जन्म से ही वेजाइना न होना एक असामान्य घटना है. यह परेशानी 4 से 5 हजार लड़कियों में से किसी एक को हो सकती है. डॉक्टर ने बताया कि इसका पता लड़की को उस समय लगता है जब किशोरावस्था में पीरियड्स नहीं होते. उन्होंने बताया कि इसके कारण लड़कियों को दूसरी दिक्कतें भी शुरू हो जाती हैं. डॉक्टर संतोष कुमार ने बताया कि इसका इलाज ऑपरेशन से ही संभव है.

पढ़ें-जीरो टॉलरेंसः मत्स्य विभाग के अफसरों ने खूब डकारा सरकारी खजाना, 'पानी' में पीएमओ के आदेश

डॉक्टर संतोष कुमार का कहना है कि कई मामलों में मरीज की जांघ या ब्रेस्ट से मांस निकालकर उससे वेजाइना बनाई जा सकती है. इसके अलावा और भी तरीके हैं, जिससे वेजाइना बनाई जाती है. बॉवेल वेजाइनोप्लास्टी के मामलों में बड़ी आंत से भी वेजाइना बनाई जाती है. उन्होंने बताया कि अधिकांश शल्य चिकित्सक इसमें बड़ी आंत का उपयोग करते हैं. इस तकनीक से बनाई गई वेजाइना लगभग प्राकृतिक वेजाइना जैसी ही होती है.

डोइवाला: हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट के नाम मेडिकल साइंस की एक और उपलब्धि जुड़ गई है. जॉलीग्रांट के डॉक्टरों की टीम ने एक चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम देकर ये उपलब्धि हासिल की है. जॉलीग्रांट के डॉक्टरों की टीम ने 6 घंटे चले जटिल ऑपरेशन से एक युवती की बॉवेल वेजाइनोप्लास्टी सर्जरी की. ऑपरेशन के बाद युवती एकदम ठीक है.

जॉलीग्रांट के डॉक्टरों की टीम ने किया कमाल.


हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट के बाल शल्य विभाग के चिकित्सक डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि टिहरी की 17 वर्षीय एक लड़की को जन्मजात ये समस्या थी. उसका मलद्वार गलत जगह पर था. जिसकी वजह से उसे मल निकास में परेशानी रहती थी. उन्होंने बताया कि जन्म से ही युवती के पास वेजाइना नहीं थी. इसे मेडिकल भाषा में वेजाइनल अजेनेसिस कहा जाता है. इससे मासिक धर्म के दौरान परेशानियां होती हैं. क्योंकि वेजाइना न होने से रक्त बाहर नहीं निकल पाता है.

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डॉक्टर ने बताया कि इलाज के पहले चरण में युवती के मलद्वार को सही जगह पर पुनर्स्थापित किया गया. इसके 6 महीने बाद दूसरे ऑपरेशन की योजना पर काम शुरू किया गया जो कि काफी चुनौतीपूर्ण था. इसमें युवती की वेजाइना बनाने के लिए सभी संभावनाओं पर विचार करने के बाद बड़ी आंत से वेजाइना बनाने का निश्चय किया गया. जिसमें डॉक्टरों को सफलता हासिल हुई है. इस सफल ऑपरेशन की टीम में डॉक्टर संतोष के अलावा डॉ आइशा, डॉक्टर अंकित व एनेस्थीसिया टीम में डॉ. गुरुजीत व डॉक्टर वंदना ने भी अपना सहयोग दिया.

पढ़ें-एनएच 121 पर बेलगाम दौड़ रहे वाहन, वन्यजीवों का बन रहे काल

जटिल ऑपरेशन करने वाले हिमालयन हॉस्पिटल के डॉक्टर संतोष कुमार ने बताया कि वेजाइनल अजेनेसिस में जन्म से ही वेजाइना न होना एक असामान्य घटना है. यह परेशानी 4 से 5 हजार लड़कियों में से किसी एक को हो सकती है. डॉक्टर ने बताया कि इसका पता लड़की को उस समय लगता है जब किशोरावस्था में पीरियड्स नहीं होते. उन्होंने बताया कि इसके कारण लड़कियों को दूसरी दिक्कतें भी शुरू हो जाती हैं. डॉक्टर संतोष कुमार ने बताया कि इसका इलाज ऑपरेशन से ही संभव है.

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डॉक्टर संतोष कुमार का कहना है कि कई मामलों में मरीज की जांघ या ब्रेस्ट से मांस निकालकर उससे वेजाइना बनाई जा सकती है. इसके अलावा और भी तरीके हैं, जिससे वेजाइना बनाई जाती है. बॉवेल वेजाइनोप्लास्टी के मामलों में बड़ी आंत से भी वेजाइना बनाई जाती है. उन्होंने बताया कि अधिकांश शल्य चिकित्सक इसमें बड़ी आंत का उपयोग करते हैं. इस तकनीक से बनाई गई वेजाइना लगभग प्राकृतिक वेजाइना जैसी ही होती है.

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हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट के डॉक्टरों की टीम ने जटिल ऑपरेशन कर बनाया योनि मार्ग टिहरी की रहने वाली है 17 वर्षीय युवती ।

मेडिकल साइंस के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है जब टिहरी की रहने वाली 17 वर्षीय युवती का हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट के डॉक्टरों की टीम ने एक ऐसा ऑपरेशन किया जो डॉक्टरों के लिए भी चुनौतीपूर्ण था 6 घंटे के चले इस जटिल ऑपरेशन से डॉक्टरों ने युवती की बॉवेल वेजाइनोप्लास्टी सर्जरी के द्वारा योनि मार्ग बना दिया ऑपरेशन के बाद युवती एकदम ठीक है । ओर सामान्य जीवन व्यतीत कर रही है ।

जटिल ऑपरेशन करने वाले हिमालयन हॉस्पिटल के डॉक्टर संतोष कुमार ने बताया कि वेजाइनल अजेनेसिस यानी योनि मार्ग का जन्म से ही ना होना एक असामान्य घटना है और यह 4 से 5 हजार लड़कियों में से एक को हो सकती है डॉक्टर ने बताया कि इसका पता लड़की को उस समय लगता है जब किशोरावस्था में लड़की को मासिक धर्म नहीं शुरू होता है और इसके साथ दूसरी दिक्कतें भी सुरु हो जाती हैं और इसका ऑपरेशन से ही इलाज संभव है ।
डॉक्टर का कहना है कि कई मामलों में मरीज की जांघ या स्तंभ से त्वचा निकालकर उससे योनि मार्ग बनाया जा सकता है इसके अलावा और भी तरीके हैं जिससे योनि मार्ग बनाया जा सकता है बाबेल वेजाइनोप्लास्टी के मामलों में बड़ी आंत से भी योनि मार्ग बनाया जाता है छोटी आतं भी इस्तेमाल की जा सकती है और उसके बाद ज्यादा दिक्कतें आती हैं अधिकांश शल्य चिकित्सक बड़ी आंत का उपयोग करते हैं इस तकनीक से बनाई गई योनि लगभग प्राकृतिक योनि जैसी ही होती है और इसलिए इस तरीके से बनाई योनि मार्ग में सफल यौन संबंध का 70 से 80% पाया गया है ।



Body:हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट के बाल शल्य विभाग के चिकित्सक डॉ संतोष कुमार ने बताया कि टिहरी की 17 वर्षीय लड़की को जन्मजात समस्याएं थी जिससे उसका मलद्वार गलत जगह पर था जिसकी वजह से उसे मल निकास में परेशानी रहती थी इसी दौरान यह भी पाया गया कि महिला को योनि मार्ग वेजाइना भी जन्म से ही नहीं था इसे मेडिकल भाषा में वेजाइनल अजेनेसिस कहा जाता है इससे मासिक धर्म के दौरान बहुत परेशानी होती थी क्योंकि योनि मार्ग ना होने से रक्त बाहर नहीं निकल पाता था इलाज के पहले चरण में उसके मलद्वार को सही जगह पर पुनर्स्थापित किया गया 6 माह के बाद दूसरे ऑपरेशन की योजना पर काम शुरू हुआ इलाज का दूसरा चरण काफी चुनौतीपूर्ण भरा था उसका नया योनि मार्ग बनाने के लिए सभी संभावनाओं पर विचार करने के बाद बड़ी आंत से योनि मार्ग बनाने का निश्चय किया गया ।


Conclusion:डॉक्टर संतोष कुमार ने बताया कि 6 घंटे से भी अधिक चले इस जटिल ऑपरेशन में बड़ी आंत यानि सिग्मोएड कोलन के एक हिस्से से नए योनि मार्ग का निर्माण किया गया और इसे बॉवेल वेजाइनोप्लास्टी कहते हैं इस सफल ऑपरेशन की टीम में डॉक्टर संतोष के अलावा डॉ आइशा , डॉक्टर अंकित व एनेस्थीसिया टीम में डा गुरुजीत व डॉक्टर वंदना ने भी अपना सहयोग दिया ।
Last Updated : Jul 2, 2019, 6:08 PM IST
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