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एक सप्ताह में 3 बार दुर्घटनाग्रस्त हुई '108', 'जीवनदायिनी' कब बन जाए 'यमराज', सता रहा लोगों को डर

जीवनदायिनी के रूप में शुरू की गई 108 आपातकालीन सेवा विवादों से निकलने का नाम नहीं ले रही है. पिछले 10 सालों में 108 इमरजेंसी सेवा ने हर वो दौर देखा है, जिसकी कभी किसी ने उम्मीद नहीं की थी.

108 आपातकालीन सेवा विवादों में
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Published : Apr 27, 2019, 11:04 PM IST

देहरादूनः जीवनदायिनी कही जाने वाली 108 लगातार सवालों के घेरे में है. ऐसे में मरीजों का इस पर भरोसा उठता जा रहा है. पिछले सप्ताह 108 एम्बुलेंस के लगातार 3 दुर्घटनाओं के बाद ये सेवा एक बार फिर विवादों में है. खस्ता हो चुकी 108 सेवा के संचालन की जिम्मेदारी पुरानी कंपनी से लेकर नई कंपनी को दी गयी है, लेकिन एक ही हफ्ते में हुई 3 दुर्घटनाओं ने नई कंपनी की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

108 आपातकालीन सेवा विवादों से निकलने का नाम नहीं ले रही है.

इतना ही नहीं सबसे पहले हुई दुर्घटना के बाद Etv भारत ने अपनी खबर के जरिये 108 संचालन में हो रही गड़बड़ियों को भी उजागर किया था. क्या है पूरा मामला आपको बताते हैं.

जीवनदायिनी के रूप में शुरू की गई 108 आपातकालीन सेवा विवादों से निकलने का नाम नहीं ले रही है. पिछले 10 सालों में 108 इमरजेंसी सेवा ने हर वो दौर देखा है, जिसकी कभी किसी ने उम्मीद नहीं की थी.

एम्बुलेंस के खस्ता हाल तो कभी गाड़ियों में पेट्रोल नहीं, कभी कर्मचारी हड़ताल पर. शुरुआती सालों को अगर छोड़ दें तो पिछले 10 साल में खराब नीति और कमजोर मैनेजमेंट के चलते 108 सेवा से सूबे की जनता को राहत कम और परेशानी ज्यादा मिली है.

अनेक अनियमितताएं सामने आने लगीं

जैसे-तैसे GVK कंपनी के साथ हुए 10 साल के एग्रीमेंट के बाद अब उम्मीद थी कि एक नई कंपनी के संचालन में एक बार फिर से 108 आपातकालीन सेवा की काया पलट होगी और दुर्गम पहाड़ी अंचलों में 108 एम्बुलेंस जिंदगी बचाने के लिए दौड़ेगी, लेकिन अभी नई संचालन कंपनी CAMP ने एम्बुलेंस का हैंडओवर ही लिया था.

नई एम्बुलेंसों को जिले में भेजने के दौरान ही एक के बाद एक-एक करके एक ही हफ्ते में 3 गाड़ियां दुर्घटनाग्रस्त हो गयीं और इसके पीछे तमाम तरह की अनियमितताएं भी सामने आने लगीं.

सबसे पहले रविवार 21 अप्रैल को देहरादून से रुद्रपुर जा रही 108 एम्बुलेंस का रुद्रपुर में एक्सीडेंट हो गया और यहां सामने आया कि ड्राइवर बिल्कुल अनट्रेंड था और इसी मामले में 108 कर्मियों की एक फोन कॉल भी सामने आई जिससे पता चला कि जो ड्राइवर 108 चला रहा था वो मैदानी क्षेत्र का रहने वाला व्यक्ति था.

गुरुवार 25 अप्रैल को पिथौरागढ़ के बेरीनाग जा रही 108 एम्बुलेंस दुर्घटनाग्रस्त हो गयी और अभी इस घटना को 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि एक और 108 एम्बुलेंस अल्मोड़ा जिले के पनवानोला के पास 20 फीट गहरी खाई में जा गिरी.

इस तरह से एक हफ्ते के भीतर 3 बार 108 एम्बुलेंस दुर्घटनाग्रस्त हुई. अब ऐसे में दुर्घटनाग्रस्त हो रही 108 एम्बुलेंस जीवनदायिनी की भूमिका निभा पाएगी इसमें बड़ा विरोधाभास है. वो भी तब जब संचालक कंपनी पर लगातार ड्राइवरों की नियुक्ति में मानकों को लेकर की जा रही लापरवाही के आरोप लग रहे हों.

पिछले 10 सालों से 108 आपातकालीन सेवा में कार्य कर रहे कर्मचारियों ने लगातार हो रहीं दुर्घटनाओं के पीछे संचालन कंपनी द्वारा मानकों में की जा रही लापरवाही को इसका कारण बताया है.

108 और खुशियों की सवारी कर्मचारी संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी रमेश डंगवाल के अनुसार संचालन के लिए नियुक्त की गई CAMP कंपनी द्वारा 108 एम्बुलेंस चलाने के लिए नियुक्त किये जा रहे वाहन चालक पूरी तरह से अनट्रेंड है और इन्हीं अकुशल ड्राइवरों के हाथों 108 एम्बुलेंस दी जा रही है.

यह भी पढ़ेंः वैश्विक पटल पर 'योग नगरी' के रूप में बनाई अलग पहचान, देखिए खास रिपोर्ट


वहीं दूसरी तरफ CAMP कंपनी के GM प्रोजेक्ट अनिल शर्मा का कहना है कि ये सभी दुर्घटना संयोगवश हुई हैं और उन्होंने कहा कि उनके द्वारा वाहन चलाने के लिए स्थानीय और कुशल वाहन चालकों को ही नियुक्त किया जा रहा है.

देहरादूनः जीवनदायिनी कही जाने वाली 108 लगातार सवालों के घेरे में है. ऐसे में मरीजों का इस पर भरोसा उठता जा रहा है. पिछले सप्ताह 108 एम्बुलेंस के लगातार 3 दुर्घटनाओं के बाद ये सेवा एक बार फिर विवादों में है. खस्ता हो चुकी 108 सेवा के संचालन की जिम्मेदारी पुरानी कंपनी से लेकर नई कंपनी को दी गयी है, लेकिन एक ही हफ्ते में हुई 3 दुर्घटनाओं ने नई कंपनी की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

108 आपातकालीन सेवा विवादों से निकलने का नाम नहीं ले रही है.

इतना ही नहीं सबसे पहले हुई दुर्घटना के बाद Etv भारत ने अपनी खबर के जरिये 108 संचालन में हो रही गड़बड़ियों को भी उजागर किया था. क्या है पूरा मामला आपको बताते हैं.

जीवनदायिनी के रूप में शुरू की गई 108 आपातकालीन सेवा विवादों से निकलने का नाम नहीं ले रही है. पिछले 10 सालों में 108 इमरजेंसी सेवा ने हर वो दौर देखा है, जिसकी कभी किसी ने उम्मीद नहीं की थी.

एम्बुलेंस के खस्ता हाल तो कभी गाड़ियों में पेट्रोल नहीं, कभी कर्मचारी हड़ताल पर. शुरुआती सालों को अगर छोड़ दें तो पिछले 10 साल में खराब नीति और कमजोर मैनेजमेंट के चलते 108 सेवा से सूबे की जनता को राहत कम और परेशानी ज्यादा मिली है.

अनेक अनियमितताएं सामने आने लगीं

जैसे-तैसे GVK कंपनी के साथ हुए 10 साल के एग्रीमेंट के बाद अब उम्मीद थी कि एक नई कंपनी के संचालन में एक बार फिर से 108 आपातकालीन सेवा की काया पलट होगी और दुर्गम पहाड़ी अंचलों में 108 एम्बुलेंस जिंदगी बचाने के लिए दौड़ेगी, लेकिन अभी नई संचालन कंपनी CAMP ने एम्बुलेंस का हैंडओवर ही लिया था.

नई एम्बुलेंसों को जिले में भेजने के दौरान ही एक के बाद एक-एक करके एक ही हफ्ते में 3 गाड़ियां दुर्घटनाग्रस्त हो गयीं और इसके पीछे तमाम तरह की अनियमितताएं भी सामने आने लगीं.

सबसे पहले रविवार 21 अप्रैल को देहरादून से रुद्रपुर जा रही 108 एम्बुलेंस का रुद्रपुर में एक्सीडेंट हो गया और यहां सामने आया कि ड्राइवर बिल्कुल अनट्रेंड था और इसी मामले में 108 कर्मियों की एक फोन कॉल भी सामने आई जिससे पता चला कि जो ड्राइवर 108 चला रहा था वो मैदानी क्षेत्र का रहने वाला व्यक्ति था.

गुरुवार 25 अप्रैल को पिथौरागढ़ के बेरीनाग जा रही 108 एम्बुलेंस दुर्घटनाग्रस्त हो गयी और अभी इस घटना को 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि एक और 108 एम्बुलेंस अल्मोड़ा जिले के पनवानोला के पास 20 फीट गहरी खाई में जा गिरी.

इस तरह से एक हफ्ते के भीतर 3 बार 108 एम्बुलेंस दुर्घटनाग्रस्त हुई. अब ऐसे में दुर्घटनाग्रस्त हो रही 108 एम्बुलेंस जीवनदायिनी की भूमिका निभा पाएगी इसमें बड़ा विरोधाभास है. वो भी तब जब संचालक कंपनी पर लगातार ड्राइवरों की नियुक्ति में मानकों को लेकर की जा रही लापरवाही के आरोप लग रहे हों.

पिछले 10 सालों से 108 आपातकालीन सेवा में कार्य कर रहे कर्मचारियों ने लगातार हो रहीं दुर्घटनाओं के पीछे संचालन कंपनी द्वारा मानकों में की जा रही लापरवाही को इसका कारण बताया है.

108 और खुशियों की सवारी कर्मचारी संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी रमेश डंगवाल के अनुसार संचालन के लिए नियुक्त की गई CAMP कंपनी द्वारा 108 एम्बुलेंस चलाने के लिए नियुक्त किये जा रहे वाहन चालक पूरी तरह से अनट्रेंड है और इन्हीं अकुशल ड्राइवरों के हाथों 108 एम्बुलेंस दी जा रही है.

यह भी पढ़ेंः वैश्विक पटल पर 'योग नगरी' के रूप में बनाई अलग पहचान, देखिए खास रिपोर्ट


वहीं दूसरी तरफ CAMP कंपनी के GM प्रोजेक्ट अनिल शर्मा का कहना है कि ये सभी दुर्घटना संयोगवश हुई हैं और उन्होंने कहा कि उनके द्वारा वाहन चलाने के लिए स्थानीय और कुशल वाहन चालकों को ही नियुक्त किया जा रहा है.

Intro:Special-
108 सवालों के घेरे में, आगाह करने के बाद भी दुर्घटनाएं जारी

एंकर- इसी एक हफ्ते में 108 एम्बुलेंसों के हुए लगातार 3 दुरघटनाओं के बाद 108 सेवा एक बार फिर विवादों में है। खस्ता हो चुकी हो चुकी 108 सेवा के संचालन की जिम्मेदारी पुरानी कंपनी से छीन कर नई कंपनी को दी गयी है लेकिन उसके बावजूद भी एक ही हफ्ते में हुए 3 दुर्घटनाओं ने संचालन की जिम्मेदारी मिली नई कंपनी की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इतना ही नही सबसे पहले हुई दुर्घटना के बाद Etv भारत ने अपनी ख़बर के जरिये 108 संचालन में हो रही गड़बड़ियों को भी उजागर किया था क्या है पूरा मामला आपको बता ते हैं।







Body:वीओ- जीवनदायिनी के रूप में शुरू की गई 108 आपातकालीन सेवा विवादों से निकलने का नाम नही ले रही है। पिछले 10 सालों में 108 इमेरजेंसी सेवा ने हर वो दौर देखा है जिसकी कभी किसी ने उम्मीद नही की थी। एम्बुलेंस के खस्ता हाल तो कभी गाड़ियों में पेट्रोल नही तो कभी कर्मचारी हड़ताल पर। शुरवाती सालों को अगर छोड़ दें तो पिछले 10 साल में खराब नीति और कमजोर मैनेजमेंट के चलते 108 सेवा से सूबे की जनता को राहत कम और नाउम्मीदी ज्यादा मिली है।
जैसे तैसे GVK कंपनी के साथ हुए 10 साल के एग्रीमेंट के बाद अब उम्मीद थी कि एक नई कंपनी के संचालन में एक बार फिर से 108 आपातकालीन सेवा की काया पलट होगी और दुर्गम पहाड़ी अंचलों में 108 एम्बुलेंस जिंदगी बचाने के दौड़ेगी लेकिन अभी नई संचालन कंपनी CAMP ने एम्बुलेंस का हैंडओवर ही लिया था और नई एम्बुलेंसों को जिले में भेजने के दौरान ही एक के बाद एक करके एक ही हफ्ते में 3 गाड़ियां गुर्घटनाग्रस्त हो गयी और इसके पीछे तमाम तरह की अनियमितताएं भी सामने आने लगी।

सबसे पहले रविवार 21 अप्रैल को देहरादून से रुद्रपुर जा रही 108 एम्बुलेंस का रुद्रपुर में एक्सीडेंट हो गया और यंहा सामने आया कि ड्राइवर बिल्कुल अनट्रेंड था, और इसी मामले में 108 कर्मियों की एक फोन कॉल भी सामने आई जिससे पता चला कि जो ड्राइवर 108 चला रहा था वो मैदानी क्षेत्र का रहने वाला व्यक्ति था जिसे पहाड़ी मार्ग का बिल्कुल भी अंदाजा नही था और उसे गाड़ी चलानी नही आती थी। तो वही इसके बाद गुरुवार 25 अप्रैल को ही पिथौरागढ़ के बेरीनाग जा रही 108 एम्बुलेंस एक और एम्बुलेंस दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। और अभी इस घटना को 24 घण्टे भी नही बीते थे कि एक ओर 108 एम्बुलेंस अल्मोड़ा जिले के पनवानोला के पास 20 फिट गहरी खाई में जा गिरी। और इस तरह से एक हफ्ते के भीतर 3 बार 108 एम्बुलेंस दुर्घटनाग्रस्त हुई। अब ऐसे में एक के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो रही 108 एम्बुलेंस के जीवनदायनी की भूमिका निभा पाएगी इसमें बड़ा विरोधाभास है वो भी तब जब संचालक कंपनी पर लगतार ड्राइवरों की नियुक्ति में मनको को लेकर की जा रही लापरवाही के आरोप लग रहे हो। पिछले 10 सालों से 108 आपातकालीन सेवा में कार्य कर कर्मचारियों ने लगतार हो रही दुर्घटनाओं के पीछे संचालन कंपनी द्वारा मनको में कई जा रही लापरवाही को इसका कारण बताया है। 108 और खुशियों की सवारी कर्मचारी संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी रमेश डंगवाल के अनुसार संचालन के लिए नियुक्त की गई CAMP कंपनी द्वारा 108 एम्बुलेंस चलाने के लिए नियुक्त किये जा रहे वाहन चालक पूरी तरह से अनट्रेंड है और इन्ही अकुशल ड्राइवरों के हाथों 108 एम्बुलेंस दी जा रही है।
बाइट- रमेश डंगवाल, प्रदेश मीडिया प्रभारी 108 कर्मचारी संघ

वहीं दूसरी तरफ CAMP कंपनी के GM प्रोजेक्ट अनिल शर्मा का कहना है कि ये सभी दुर्घटना संयोगवश हुई है और उन्होंने कहा कि उनके द्वारा वाहन चलाने के लिए स्थानीय और कुशल वाहन चालकों को ही नियुक्त किया जा रहा है।
बाइट- अनिल शर्मा, GM प्रोजेक्ट CAMP 108 आपातकालीन सेवा

PTC धीरज सजवाण



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