बागेश्वर: कोविड काल में दो साल तक सांकेतिक रूप से आयोजन के बाद इस साल उत्तरायणी मेला फिर अपने भव्य रूप में लौट रहा है. मेले के आयोजन के लिए नगर में तैयारियां जोरों पर हैं. नगरपालिका की ओर से इस साल भी सरयू नदी में बोटिंग कराने का निर्णय लिया गया है. नुमाइशखेत मैदान में उड़ने वाली धूल से लोगों को बचाने के लिए पूरे मैदान में मैट बिछाई जाएगी. नगर के सभी पुलों को बिजली की लड़ियों से जगमग किया जाएगा.
पौराणिक, धार्मिक, राजनीतिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व का उत्तरायणी मेला जिले की पहचान है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विगत दिनों उत्तरायणी मेले को विश्व पटल पर पहचान दिलाने की बात कहते हुए इसके महत्व को अधिक बढ़ा दिया है. नगरपालिका और जिला प्रशासन भी मेले के भव्य आयोजन में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता है.
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नगरपालिका अध्यक्ष सुरेश खेतवाल ने बताया कि पूरे नगर में सफाई और रंगरोगन का काम अंतिम चरण में है. मेला स्थल सरयू और गोमती बगड़ के समतलीकरण का काम चल रहा है. सरयू नदी पर बने पुल के नीचे चित्रकारी की जा रही है. नुमाइखेत मैदान में बनने सांस्कृतिक मंच की विशेष सजावट की योजना है. विकास प्रदर्शनियों को भी आकर्षक बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि मेले की भव्यता में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी.