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जिले की दोनों विधानसभा में कड़ा मुकाबला, बागेश्वर मे त्रिकोणीय तो कपकोट में सीधा मुकाबला

जनपद की दो विधानसभा सीटों पर कुल दो लाख 17 हजार 600 मतदाता 14 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे. बागेश्वर और कपकोट विधानसभा सीट के मतदेय स्थलों में न्यूनतम 41 से अधिकतम 82 प्रतिशत तक मतदान हुआ. अधिकतर मतदान केंद्रों में 50 से 70 प्रतिशत लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया.

bageshwar
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव
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Published : Feb 20, 2022, 1:45 PM IST

Updated : Feb 20, 2022, 2:31 PM IST

बागेश्वर: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए 14 फरवरी को मतदान संपन्न हो चुके हैं. ऐसे में सभी की निगाहें 10 मार्च को आने चुनाव परिणामों पर टिकी हुई हैं. बागेश्वर जिले में इस विधानसभा चुनाव में 61.50 प्रतिशत मतदान हुआ. बागेश्वर सीट में 60.78 तो कपकोट सीट में 62.35 प्रतिशत मतदान हुआ.

बता दें कि, 2017 की तुलना में इस बार 0.27 प्रतिशत मतदान अधिक हुआ है. 2017 के चुनाव में जिले का मत प्रतिशत 61.23 फीसदी रहा था. इस बार बागेश्वर और कपकोट विधानसभा सीट के मतदेय स्थलों में न्यूनतम 41 से अधिकतम 82 प्रतिशत तक मतदान हुआ. अधिकतर मतदान केंद्रों में 50 से 70 प्रतिशत लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया. सबसे कम मतदान बागेश्वर के मटियोली में 41.72 फीसदी और कपकोट के टकनार में 43.72 प्रतिशत हुआ. जिले के सबसे अधिक मतदान प्रतिशत वाला बूथ बागेश्वर का मेहनरबूंगा और कपकोट का आरे रहा. मेहनरबूंगा में 77.27 प्रतिशत और आरे में 82.93 प्रतिशत मतदान हुआ.

बागेश्वर मे त्रिकोणीय तो कपकोट मे सीधा मुकाबला.

बागेश्वर जिले में दो विधानसभा क्षेत्र हैं. जिनमें दो लाख 17 हजार 600 मतदाताओं में से 61.50 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. जिले की दोनों विधानसभा में मतदान में महिलाएं पुरुषों से आगे रहीं, जबकि दोनों ही विधानसभा में पुरुष मतदाताओं की संख्या अधिक थी. इसके बाद भी महिलाओं ने बढ़चढ़कर मतदान में भाग लिया. पुरुषों का मत प्रतिशत 56 तो महिलाओं का 68 प्रतिशत तक गया. खेतीबाड़ी और जानवरों की जिम्मेदारी के बाद भी लोकतंत्र मजबूत करने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस बार बागेश्वर सीट में 60.78 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि वर्ष 2017 में बागेश्वर सीट में 60 प्रतिशत मतदान हुआ था.

पढ़ें: कांग्रेस जता रही EVM से छेड़छाड़ की आशंका, BJP बता रही हार का कबूलनामा

वहीं कपकोट सीट में इस बार 62.35 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कपकोट सीट में 62.66 प्रतिशत मतदान हुआ था. इस बार के विधानसभा चुनाव में जिले के सबसे अधिक मतदान प्रतिशत वाला बूथ बागेश्वर का मेहनरबूंगा और कपकोट का आरे रहा. मेहनरबूंगा में 77.27 प्रतिशत और आरे में 82.93 प्रतिशत मतदान हुआ. बागेश्वर विधानसभा क्षेत्र के मेहनरबूंगा बूथ में 418 मतदाता पंजीकृत थे, जिनमें से 323 ने मतदान किया. बूथ में पंजीकृत 206 पुरुषों में से 147, 212 महिलाओं में से 176 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. बूथ में पुरुष मतदाताओं का वोट प्रतिशत 71.36 और महिला मतदाताओं का वोट प्रतिशत 83.02 रहा. वहीं कपकोट विधानसभा के आरे के मतदान केंद्र में पंजीकृत 668 मतदाताओं के सापेक्ष 554 ने मतदान किया. इस बूथ में 315 पुरुषों में से 247 तथा 353 महिला मतदाताओं में से 307 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. बूथ में पुरुषों का मतदान प्रतिशत 78.41 व महिलाओं का 86.97 प्रतिशत रहा.

बागेश्वर विधानसभा सीट से वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी से चंदन राम दास विधायक हैं. वह लगातार तीन बार से विधायक हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने निकटम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के प्रत्याशी बालकृष्ण को 14,567 वोटों से हराया. इस बार के चुनाव में कांग्रेस पार्टी से बागेश्वर सीट पर युवा रंजीत दास को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस के बागी भैरवनाथ टम्टा और बालकृष्ण भी निर्दलीय मैदान में हैं. यहां आम आदमी पार्टी से बसंत कुमार मैदान में हैं. इस सीट पर वर्तमान में समीकरण बनते और बिगड़ते नजर आ रहे हैं. जानकार इस बार इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बता रहे हैं.

पढ़ें: भितरघात के आरोपों से बीजेपी में खलबली, अब केदार रावत को भी सता रहा हार का डर!

बागेश्वर जिले की दूसरी विधानसभा सीट कपकोट है. यह सीट सामान्य है. यहां से भाजपा, कांग्रेस, आप पार्टी समेत छह प्रत्याशी मैदान में हैं. 2017 में कांग्रेस के पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण को इस सीट से कुल 45.53 प्रतिशत वोट पड़े. 2017 में भारतीय जनता पार्टी से बलवंत सिंह भौर्याल ने कांग्रेस पार्टी के ललित फर्स्वाण को 5,982 वोटों के अंतर से हराया था. वर्तमान में यहां से भाजपा ने सुरेश गड़िया को टिकट दिया है. इस सीट पर मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला बताया जा रहा है. आजकल अधिकतर प्रत्याशी और उनके समर्थक बूथवार आंकड़े जुटाने में लगे हैं. कई प्रत्याशी और उनके समर्थक अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं तो वहीं जनता भी अपने-अपने गणित लगाने में मशगूल हैं. बहरहाल इस बारे में दस मार्च को स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.

सुरक्षा के कड़े इंतजाम: 14 फरवरी को शांतिपूर्वक मतदान होने के बाद दोनों विधानसभा के 14 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में बंद हो गया है. दोनों सीटों के 376 पोलिंग बूथों की ईवीएम को त्रिस्तरीय सुरक्षा के भीतर रखा गया है. पहले सुरक्षा घेरे में अर्द्धसैनिक बल के जवान, दूसरे घेरे में आर्म्ड पुलिस और तीसरा घेरा रेगुलर पुलिस का है. सीसीटीवी कैमरों से भी स्ट्रांग रूम और पूरे परिसर पर पैनी नजर रखी जा रही है. इसके साथ ही वहां मजिस्ट्रेटों की तैनाती भी की गई है. दो जगहों में सीसीटीवी कंट्रोल रूम बने हैं. जहां से चौबीस घंटे सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखी जा रही है. स्ट्रांग रूम के सामने वाली समाजशास्त्र संकाय भवन को मजिस्ट्रेट रूम बनाया गया है. जहां तैनात मजिस्ट्रेट से राजनीतिक दल के प्रत्याशी सीसीटीवी से रखी जा रही नजर के बारे में जानकारी ले सकते हैं.

बागेश्वर: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए 14 फरवरी को मतदान संपन्न हो चुके हैं. ऐसे में सभी की निगाहें 10 मार्च को आने चुनाव परिणामों पर टिकी हुई हैं. बागेश्वर जिले में इस विधानसभा चुनाव में 61.50 प्रतिशत मतदान हुआ. बागेश्वर सीट में 60.78 तो कपकोट सीट में 62.35 प्रतिशत मतदान हुआ.

बता दें कि, 2017 की तुलना में इस बार 0.27 प्रतिशत मतदान अधिक हुआ है. 2017 के चुनाव में जिले का मत प्रतिशत 61.23 फीसदी रहा था. इस बार बागेश्वर और कपकोट विधानसभा सीट के मतदेय स्थलों में न्यूनतम 41 से अधिकतम 82 प्रतिशत तक मतदान हुआ. अधिकतर मतदान केंद्रों में 50 से 70 प्रतिशत लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया. सबसे कम मतदान बागेश्वर के मटियोली में 41.72 फीसदी और कपकोट के टकनार में 43.72 प्रतिशत हुआ. जिले के सबसे अधिक मतदान प्रतिशत वाला बूथ बागेश्वर का मेहनरबूंगा और कपकोट का आरे रहा. मेहनरबूंगा में 77.27 प्रतिशत और आरे में 82.93 प्रतिशत मतदान हुआ.

बागेश्वर मे त्रिकोणीय तो कपकोट मे सीधा मुकाबला.

बागेश्वर जिले में दो विधानसभा क्षेत्र हैं. जिनमें दो लाख 17 हजार 600 मतदाताओं में से 61.50 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. जिले की दोनों विधानसभा में मतदान में महिलाएं पुरुषों से आगे रहीं, जबकि दोनों ही विधानसभा में पुरुष मतदाताओं की संख्या अधिक थी. इसके बाद भी महिलाओं ने बढ़चढ़कर मतदान में भाग लिया. पुरुषों का मत प्रतिशत 56 तो महिलाओं का 68 प्रतिशत तक गया. खेतीबाड़ी और जानवरों की जिम्मेदारी के बाद भी लोकतंत्र मजबूत करने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस बार बागेश्वर सीट में 60.78 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि वर्ष 2017 में बागेश्वर सीट में 60 प्रतिशत मतदान हुआ था.

पढ़ें: कांग्रेस जता रही EVM से छेड़छाड़ की आशंका, BJP बता रही हार का कबूलनामा

वहीं कपकोट सीट में इस बार 62.35 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कपकोट सीट में 62.66 प्रतिशत मतदान हुआ था. इस बार के विधानसभा चुनाव में जिले के सबसे अधिक मतदान प्रतिशत वाला बूथ बागेश्वर का मेहनरबूंगा और कपकोट का आरे रहा. मेहनरबूंगा में 77.27 प्रतिशत और आरे में 82.93 प्रतिशत मतदान हुआ. बागेश्वर विधानसभा क्षेत्र के मेहनरबूंगा बूथ में 418 मतदाता पंजीकृत थे, जिनमें से 323 ने मतदान किया. बूथ में पंजीकृत 206 पुरुषों में से 147, 212 महिलाओं में से 176 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. बूथ में पुरुष मतदाताओं का वोट प्रतिशत 71.36 और महिला मतदाताओं का वोट प्रतिशत 83.02 रहा. वहीं कपकोट विधानसभा के आरे के मतदान केंद्र में पंजीकृत 668 मतदाताओं के सापेक्ष 554 ने मतदान किया. इस बूथ में 315 पुरुषों में से 247 तथा 353 महिला मतदाताओं में से 307 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. बूथ में पुरुषों का मतदान प्रतिशत 78.41 व महिलाओं का 86.97 प्रतिशत रहा.

बागेश्वर विधानसभा सीट से वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी से चंदन राम दास विधायक हैं. वह लगातार तीन बार से विधायक हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने निकटम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के प्रत्याशी बालकृष्ण को 14,567 वोटों से हराया. इस बार के चुनाव में कांग्रेस पार्टी से बागेश्वर सीट पर युवा रंजीत दास को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस के बागी भैरवनाथ टम्टा और बालकृष्ण भी निर्दलीय मैदान में हैं. यहां आम आदमी पार्टी से बसंत कुमार मैदान में हैं. इस सीट पर वर्तमान में समीकरण बनते और बिगड़ते नजर आ रहे हैं. जानकार इस बार इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बता रहे हैं.

पढ़ें: भितरघात के आरोपों से बीजेपी में खलबली, अब केदार रावत को भी सता रहा हार का डर!

बागेश्वर जिले की दूसरी विधानसभा सीट कपकोट है. यह सीट सामान्य है. यहां से भाजपा, कांग्रेस, आप पार्टी समेत छह प्रत्याशी मैदान में हैं. 2017 में कांग्रेस के पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण को इस सीट से कुल 45.53 प्रतिशत वोट पड़े. 2017 में भारतीय जनता पार्टी से बलवंत सिंह भौर्याल ने कांग्रेस पार्टी के ललित फर्स्वाण को 5,982 वोटों के अंतर से हराया था. वर्तमान में यहां से भाजपा ने सुरेश गड़िया को टिकट दिया है. इस सीट पर मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला बताया जा रहा है. आजकल अधिकतर प्रत्याशी और उनके समर्थक बूथवार आंकड़े जुटाने में लगे हैं. कई प्रत्याशी और उनके समर्थक अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं तो वहीं जनता भी अपने-अपने गणित लगाने में मशगूल हैं. बहरहाल इस बारे में दस मार्च को स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.

सुरक्षा के कड़े इंतजाम: 14 फरवरी को शांतिपूर्वक मतदान होने के बाद दोनों विधानसभा के 14 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में बंद हो गया है. दोनों सीटों के 376 पोलिंग बूथों की ईवीएम को त्रिस्तरीय सुरक्षा के भीतर रखा गया है. पहले सुरक्षा घेरे में अर्द्धसैनिक बल के जवान, दूसरे घेरे में आर्म्ड पुलिस और तीसरा घेरा रेगुलर पुलिस का है. सीसीटीवी कैमरों से भी स्ट्रांग रूम और पूरे परिसर पर पैनी नजर रखी जा रही है. इसके साथ ही वहां मजिस्ट्रेटों की तैनाती भी की गई है. दो जगहों में सीसीटीवी कंट्रोल रूम बने हैं. जहां से चौबीस घंटे सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखी जा रही है. स्ट्रांग रूम के सामने वाली समाजशास्त्र संकाय भवन को मजिस्ट्रेट रूम बनाया गया है. जहां तैनात मजिस्ट्रेट से राजनीतिक दल के प्रत्याशी सीसीटीवी से रखी जा रही नजर के बारे में जानकारी ले सकते हैं.

Last Updated : Feb 20, 2022, 2:31 PM IST
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