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दिव्यांग सागर थायत ने वर्ल्ड जूनियर आर्मी पैरा एथलेटिक्स में जीता स्वर्ण, गांव में जश्न - पैरा एथलेटिक्स

कहते हैं हौसले अगर बुलन्द हो तो सब कुछ आसान नजर आने लगता है. ऐसा ही कर दिखाया है पुरड़ा गांव निवासी सागर ने. सागर थायत ने वर्ल्ड जूनियर आर्मी के पैरा एथलेटिक्स में देश के लिए स्वर्ण पदक जीता है. सागर की जीत पर पूरे गांव में जश्न का माहौल है.

वर्ल्ड जूनियर आर्मी के पैरा एथलेटिक्स में सागर थायत का स्वर्ण.
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Published : Aug 12, 2019, 11:09 PM IST

बागेश्वर: जिले के गरुड़ विकासखंड के पुरड़ा गांव निवासी दिव्यांग सागर थायत ने वर्ल्ड जूनियर आर्मी के पैरा एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीतकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है.

वर्ल्ड जूनियर आर्मी के पैरा एथलेटिक्स में सागर थायत का स्वर्ण.

सागर का बचपन बहुत संघर्षों के बीच बीता है. जब वे स्पोर्ट्स कॉलेज में थे तो एक दुर्घटना में उनके दोनों पांव निष्क्रिय हो गए थे. सागर ने सागर की तरह शान्त रहकर मेहनत की और आज उनकी सफलता ने शोर मचा दिया है.

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सागर उन सभी के लिए उदाहरण हैं जो संसाधनों के अभाव के चलते अपने इरादे बदल देते हैं. सागर ने दिव्यांग होने के बावजूद हिम्मत नही हारी.आज उनकी हिम्मत और मेहनत की सराहना प्रदेश ही नहीं पूरा देश कर रहा है.

बागेश्वर: जिले के गरुड़ विकासखंड के पुरड़ा गांव निवासी दिव्यांग सागर थायत ने वर्ल्ड जूनियर आर्मी के पैरा एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीतकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है.

वर्ल्ड जूनियर आर्मी के पैरा एथलेटिक्स में सागर थायत का स्वर्ण.

सागर का बचपन बहुत संघर्षों के बीच बीता है. जब वे स्पोर्ट्स कॉलेज में थे तो एक दुर्घटना में उनके दोनों पांव निष्क्रिय हो गए थे. सागर ने सागर की तरह शान्त रहकर मेहनत की और आज उनकी सफलता ने शोर मचा दिया है.

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सागर उन सभी के लिए उदाहरण हैं जो संसाधनों के अभाव के चलते अपने इरादे बदल देते हैं. सागर ने दिव्यांग होने के बावजूद हिम्मत नही हारी.आज उनकी हिम्मत और मेहनत की सराहना प्रदेश ही नहीं पूरा देश कर रहा है.

Intro:एंकर- वर्ल्ड जूनियर आर्मी के पैरा एथलेटिक्स में गरुड़ निवासी सागर थायत ने जीता स्वर्ण पदक बागेश्वर जिले में गरुड़ विकासखण्ड के पुरड़ा गाँव निवासी दिव्यांग सागर थायत ने पैरा एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीतकर क्षेत्र का नाम रोशन किया हैं।

वीओ- सागर का बचपन बहुत संघर्षों के बीच बीता हैं, जिस वक्त वे स्पोर्ट्स कॉलेज में थे तो एक घटना में उनके दोनों पाँव निष्क्रिय हो गए, कहते है हौसला बुलन्द हो तो सब कुछ आसान नजर आने लगता हैं। ऐसा कर दिखाया पुरड़ा गाँव निवासी सागर ने, सागर ने सागर की भाँति शान्त रहकर मेहनत की और आज सफलता ने शोर मचाकर रख दिया हैं। सागर उन सभी के लिए उदाहरण है जो संसाधनों का अभाव कहकर अपने इरादे बदल देते है। सागर ने दिव्यांग होने के बाउजूद हिम्मत नही हारी आज उनकी हिम्मत मेहनत की सराहना पूरा देश प्रदेश कर रहा हैं।
बाईट- 1 - गंगा देवी,माताजी
बाईट- 2 - लक्ष्मण सिंह पिताजीBody:वीओ- सागर का बचपन बहुत संघर्षों के बीच बीता हैं, जिस वक्त वे स्पोर्ट्स कॉलेज में थे तो एक घटना में उनके दोनों पाँव निष्क्रिय हो गए, कहते है हौसला बुलन्द हो तो सब कुछ आसान नजर आने लगता हैं। ऐसा कर दिखाया पुरड़ा गाँव निवासी सागर ने, सागर ने सागर की भाँति शान्त रहकर मेहनत की और आज सफलता ने शोर मचाकर रख दिया हैं। सागर उन सभी के लिए उदाहरण है जो संसाधनों का अभाव कहकर अपने इरादे बदल देते है। सागर ने दिव्यांग होने के बाउजूद हिम्मत नही हारी आज उनकी हिम्मत मेहनत की सराहना पूरा देश प्रदेश कर रहा हैं।
बाईट- 1 - गंगा देवी,माताजी
बाईट- 2 - लक्ष्मण सिंह पिताजीConclusion:
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