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बागेश्वर पहुंची छड़ी यात्रा, साधु संतों ने किया भव्य स्वागत - राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गिरी महाराज

बागेश्वर पहुंची छड़ी यात्रा का साधु-संतों ने ढोल-नगाड़ों से भव्य स्वागत किया. धार्मिक पर्यटन के प्रचार-प्रसार व उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक स्थलों की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से 20 अक्टूबर से हरिद्वार मायादेवी मंदिर से यह यात्रा शुरू हुई है.

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बागेश्वर
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Published : Nov 2, 2021, 10:44 PM IST

बागेश्वरः हरिद्वार से चली छड़ी यात्रा बाबा बागनाथ की नगरी पहुंचने पर साधु-संतों ने भव्य स्वागत किया. ढोल-नगाड़ों की थाप पर यात्रियों को जूना अखाड़ा लाया गया और संतों ने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान किया. धार्मिक पर्यटन के प्रचार-प्रसार व उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक स्थलों की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से 20 अक्टूबर से हरिद्वार मायादेवी मंदिर से यह यात्रा शुरू हुई है.

छड़ी यात्रा की अगुआई कर रहे जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गिरि महाराज ने कहा जन-जन तक धर्म की पताका को पहुंचाने व धार्मिक स्थलों की जानकारी देने के साथ प्राचीन मठ व धर्मशालाओं की वस्तुस्थिति देखने के लिए संत समाज यात्रा पर है. आदि जगत गुरु शंकराचार्य पांच साल की उम्र में छड़ी लेकर धर्म की रक्षा के लिए निकले थे. तब से यह परंपरा चल रही है. धर्म परिवर्तन कर रहे लोगों को भी इस यात्रा के माध्यम से जागरूक किया जाएगा.

ये भी पढ़ेंः 10 क्विंटल फूलों से सजा बदरीनाथ मंदिर, दीपावली पर होगी भगवान नारायण की विशेष पूजा

हरिद्वार से छड़ी यात्रा कौसानी व बैजनाथ धाम से होते हुए बागनाथ धाम पहुंची. जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्य संयोजक प्रेम गिरि महाराज ने बताया कि हरिद्वार से यात्रा शुरू हुई. बागेश्वर के बाद वे जागेश्वर, गेठिया, नैनीताल, पाताल भुवनेश्वर आदि स्थानों पर भी जाएगी. बुद्धवार सुबह सरयू पूजन के बाद बागनाथ मंदिर समूह में मौजूद मंदिरों की पूजा-अर्चना के बाद छड़ी यात्रा एक महीने तक कुमाऊं और गढ़वाल के प्रमुख मंदिरों से होकर हरिद्वार लौटेगी.

बागेश्वरः हरिद्वार से चली छड़ी यात्रा बाबा बागनाथ की नगरी पहुंचने पर साधु-संतों ने भव्य स्वागत किया. ढोल-नगाड़ों की थाप पर यात्रियों को जूना अखाड़ा लाया गया और संतों ने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान किया. धार्मिक पर्यटन के प्रचार-प्रसार व उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक स्थलों की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से 20 अक्टूबर से हरिद्वार मायादेवी मंदिर से यह यात्रा शुरू हुई है.

छड़ी यात्रा की अगुआई कर रहे जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गिरि महाराज ने कहा जन-जन तक धर्म की पताका को पहुंचाने व धार्मिक स्थलों की जानकारी देने के साथ प्राचीन मठ व धर्मशालाओं की वस्तुस्थिति देखने के लिए संत समाज यात्रा पर है. आदि जगत गुरु शंकराचार्य पांच साल की उम्र में छड़ी लेकर धर्म की रक्षा के लिए निकले थे. तब से यह परंपरा चल रही है. धर्म परिवर्तन कर रहे लोगों को भी इस यात्रा के माध्यम से जागरूक किया जाएगा.

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हरिद्वार से छड़ी यात्रा कौसानी व बैजनाथ धाम से होते हुए बागनाथ धाम पहुंची. जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्य संयोजक प्रेम गिरि महाराज ने बताया कि हरिद्वार से यात्रा शुरू हुई. बागेश्वर के बाद वे जागेश्वर, गेठिया, नैनीताल, पाताल भुवनेश्वर आदि स्थानों पर भी जाएगी. बुद्धवार सुबह सरयू पूजन के बाद बागनाथ मंदिर समूह में मौजूद मंदिरों की पूजा-अर्चना के बाद छड़ी यात्रा एक महीने तक कुमाऊं और गढ़वाल के प्रमुख मंदिरों से होकर हरिद्वार लौटेगी.

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