बागेश्वरः भद्रतुंगा में एक महीने की साधना करने के बाद पीएम मोदी के पारिवारिक गुरु महामंडलेश्वर संत अभिराम दास बागेश्वर से रुद्रप्रयाग के लिए रवाना हो गए हैं. उन्होंने जिला मुख्यालय आकर बाबा बागनाथ का जलाभिषेक भी किया. इस दौरान सरयू की महिमा का बखान करते हुए सरयू को आध्यात्मिक सुख, शांति और पुण्यदायिनी नदी बताया. सरमूल को विश्व के प्रमुख धामों में एक मानते हुए इसके विकास के लिए निरंतर कार्य करने की बात भी कही.
बागनाथ मंदिर में दर्शन के बाद महामंडलेश्वर अभिराम दास ने मीडिया से कहा कि सरयू नदी कैलाश मानसरोवर से अप्रत्यक्ष रूप से निकलकर सरमूल होकर 100 धाराओं में प्रकट होकर निकलती है. इस नदी को धरती पर लाने का श्रेय अयोध्या के महाराज इक्ष्वाकु को जाता है. जो वशिष्ठ मुनि की तपस्या के बाद इसे अयोध्या तक ले गए थे.
उन्होंने सरमूल, सहस्त्रधारा और भद्रतुंगा का विकास नहीं होने पर नाराजगी जताई. कहा कि सरयू का उद्गम स्थल धार्मिक दृष्टि से बेहद पावन स्थान है. पुरातन काल में जब पैदल यात्राएं होती थी. तो भक्तजन गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरी, केदार की यात्रा के बाद सरमूल, सहस्त्रधारा आते थे. जहां से हल्द्वानी होते हुए वृंदावन या अयोध्या के लिए रवाना होते थे.
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सड़क और आवास की मांग
उन्होंने कहा कि वर्तमान में मोटर मार्ग से जुड़ने के बाद कई धाम भक्तों से गुलजार रहते हैं. सरमूल में भी अगर सड़क और आवास की सुविधा मिले तो यहां भी वर्षभर सैलानी और भक्तजन उमड़ेंगे. महामंडलेश्वर अभिराम दास ने कहा कि सरयू नदी के मूल से निकला जल पावन और शुद्ध है. मूल से निकलने वाले जल में आध्यात्मिक ताकत होती है. जिसके किनारे बैठने पर अलौकिक और दिव्य शक्ति का अहसास होता है.
जांच के लिए भेजा सैंपल
इस पानी की गुणवत्ता को जांचने के लिए भी सैंपल भेजा गया है. ताकि पता चल सके कि सरयू के पानी को कितने दिन तक संरक्षित रखा जा सकता है. उन्होंने शासन-प्रशासन से भी सरमूल को विश्व स्तर का धाम बनाने की मांग की है.