बागेश्वर/काशीपुर: देवभूमि में इन दिनों होली का खुमार छाया है. जगह-जगह होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. वहीं, होल्यार पारंपरिक वेशभूषा में होली की गीतों पर नृत्य कर होली मना रहे हैं. इसी कड़ी में चतुर्दशी होली के मौके पर बागेश्वर स्थित बागनाथ और कोट भ्रामरी मंदिर में भव्य होली का आयोजन किया गया. 30 से भी ज्यादा गांवों से सैकड़ों की तादात में आए होल्यारों ने बागनाथ मंदिर की परिक्रमा कर भगवान शिव और मां भगवती की पूजा आराधना के बाद अबीर गुलाल चढ़ाकर होली गायन किया. वहीं, काशीपुर में कई सालों से फूलों की होली का प्रचलन बढ़ा है.
पौराणिक बागनाथ मंदिर में द्यांगण, बिलौना, आरे, सातरतबे, समेत करीब 30 से अधिक गांवों के होल्यारों ने माथा टेका. उन्होंने भगवान शिव की अराधना कर होली गायन किया. पौराणिक बागनाथ मंदिर में सामूहिक होली गायन की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. होल्यार बागनाथ मंदिर के प्रांगण में एकत्र होते हैं और सारे गांवों की होलियों के आने पर होली गायन किया जाता है. होल्यारों ने, 'हां जी शंभो तुम क्यों न खेलै होरी लला' का समवेत गायन किया.
वहीं, गरुड़ के कोट भ्रामरी मंदिर में भी चतुर्दशी को सामूहिक होली गायन किया गया. पूरे क्षेत्र के होल्यार गरुड़ बाजार में एकत्र हुए. वहां से होली प्रसिद्ध बैजनाथ धाम गई. वहां शिव की पूजा-अर्चना के बाद होली गायन किया गया, जिसके बाद होल्यार ढोल-नगाड़े और निशान के साथ कोट भ्रामरी देवी मंदिर पहुंचे. वहां होल्यारों ने देवी के थान में होली का गायन किया.
वहीं, होली की मस्ती में महिलाएं भी सरोबार दिखीं. घर-घर में महिलाओं की होली चल रही है. नगर समेत गांव-गांव होल्यारों की टोलियां ढोलक की थाप पर दिन भर अबीर-गुलाल के साथ होली के गीत प्रस्तुत कर रहे हैं. होल्यार घर-आंगन में होली गायन कर रहे हैं. होली का यह खुमार 19 मार्च तक जारी रहेगा.
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काशीपुर में फूलों की होली: काशीपुर में कई सालों से फूलों की होली का प्रचलन है. रंग से एक दिन पूर्व होली वाले दिन काशीपुर में पिछले 10 सालों से फूलों की होली की शोभायात्रा निकाली जाती है. काशीपुर की सड़कों पर होली की मस्ती में नाचते गाते शहरवासियों ने कई वर्ष पहले जिस नयी परंपरा को जन्म दिया था, उसी को निभाते हुए आज भी फूलों की होली खेलते दिखाई दिए. इस बार भी काशीपुर में राधा कृष्ण कमेटी की तरफ से पुरानी सब्जी मंडी के पास राधा कृष्ण मंदिर से फूलों की होली की शोभायात्रा निकाली गयी, जिसका आगाज गंगे बाबा मंदिर से हुआ.
शोभायात्रा का मुख्य आकर्षण काशी की भोले बाबा की मसाने की होली और ग्वालों का फूलों की होली भरा नृत्य रहा. शोभायात्रा में शामिल लोगों ने कहा पिछले कई सालों से रंग से एक दिन पूर्व फूलों की होली का आयोजन करते हैं. क्या युवा, क्या बच्चे और क्या महिलाएं सभी इस फूलों की होली की शोभायत्रा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं. इसमें कई क्विंटल फूल खर्च होते हैं.
खास बात यह हैं कि इस शोभायात्रा में फूल ही फूल एक दूसरे पर डालकर होली का जश्न मनाते हैं और मथुरा-वृंदावन की झलक इस शोभायात्रा में देखने को मिलती है. इस बार फूलों की होली की शोभायात्रा में भगवान गणेश, राधा-कृष्ण, हनुमान और मां सरस्वती की झांकी आकर्षण का केंद्र रही.