सोमेश्वर: मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट कोसी नदी पुनर्जनन योजना के उद्गम स्थल पिनाथेश्वर की पहाड़ी से बागेश्वर जल निगम ने ग्रामीणों और वन विभाग की अनुमति के बिना 80 एमएम की पाइप लाइन बिछाने का कार्य शुरू कर दिया था. जिसपर ग्रामीणों ने विरोध जताया था. जिसके बाद वन विभाग ने सोमेश्वर में पेड़ों के कटान और खनन करने पर जल निगम पर दो लाख 54 हजार का जुर्माना लगाया गया है. इसके अलावा वन विभाग की अनुमति के बिना निर्माण कार्य करने और वन क्षेत्रान्तर्गत में वन सम्पदा को नुकसान पहुंचाने का मामला भी दर्ज किया गया है.
इस मामले को कुमाऊं आयुक्त ने भी गंभीरता से लिया है. कुमाऊं आयुक्त ने अल्मोड़ा और बागेश्वर जिला प्रशासन को इस पेयजल योजना को ग्रामीणों के अनुरूप रोकने के निर्देश हैं. इस मामले में कांटली की ग्राम प्रधान बिमला कांडपाल, पूर्व प्रधान गिरीश कांडपाल और नवयुवक मंगल दल के पूर्व अध्यक्ष किशोर भट्ट और मदन मोहन समेत कई ग्रामीणों ने कुमाऊं आयुक्त से मुलाकात भी की थी.
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बात दें कि बीते माह उक्त योजना के खिलाफ ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया था. ग्रामीणों और वन विभाग ने जल निगम बागेश्वर पर आरोप लगाया था कि उन्होंने विश्वास में लिए बगैर काम शुरू कर दिया था. ग्रामीणों के रोष को देखते हुए वन क्षेत्राधिकारी सोमेश्वर ने मौके पर जाकर कार्य रोक दिया था और पेड़ों के अवैध कटान की बात स्वीकार की थी.
इसके बाद अपर जिलाधिकारी अल्मोड़ा बीएल फिरमाल ने बागेश्वर जिलाधिकारी को इस मामले में कुमाऊं आयुक्त द्वारा कार्रवाई किये जाने के लिए पत्र भेजा था. कोसी नदी बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक किशोर भट्ट का कहना है कि कुमाऊं आयुक्त ने पूछा था कि कोसी नदी का जल स्तर गिरने के बावजूद उसके उद्गम पर पेयजल योजना कैसे बनाई जा रही है. ग्रामीणों ने आयुक्त का आभार जताते हुए जल निगम बागेश्वर को चेतावनी दी है कि अगर फिर से चोरी छिपे कोई कार्य शुरू किया गया तो वह उग्र आंदोलन को विवश होंगे.
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कोसी नदी बचाओ संघर्ष समिति संयोजक किशोर भट्ट और वन सरपंच संगठन अध्यक्ष कैलाश जोशी बताया है कि बगैर अनुमति पिनाथेश्वर बीट में पेड़ों का कटान और खनन करने पर जल निगम बागेश्वर पर दो लाख 54 हजार का जुर्माना लगाया गया है. इसके अलावा वन विभाग की अनुमति के बिना निर्माण कार्य करने और वन क्षेत्रान्तर्गत वन सम्पदा को नुकसान पहुंचाने का मामला भी दर्ज किया गया है.