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बागेश्वर: शंभू नदी में लैंडस्लाइड से बनी 1KM लंबी झील, टूटी तो चमोली हो जाएगा तबाह! - बागेश्वर में लैंडस्लाइड से बनी डेढ़ किलोमीटर लंबी झील

चमोली में शंभू नदी किसी भी समय बड़ी तबाही मचा सकती है. बागेश्वर के अंतिम गांव कुंवारी के नजदीक बहने वाली शंभू नदी में भूस्खलन होने से प्रवाह रुक गया है. नदी ने झील का रूप ले लिया है. दिन प्रति दिन झील का आकार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में अगर झील टूटती है तो चमोली जिले का एक हिस्सा तबाही की चपेट में आ सकता है.

Shambhu River
शंभू नदी
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Published : Jun 27, 2022, 5:39 PM IST

Updated : Jun 27, 2022, 6:27 PM IST

बागेश्वरः जिले को चमोली जिले से जोड़ने वाली शंभू नदी भूस्खलन के मलबे से पट गई है. शंभू नदी कभी भी बड़ी तबाही मचा सकती है. बागेश्वर जिले के अंतिम गांव कुंवारी से करीब दो किमी आगे भूस्खलन के मलबे से शंभू नदी में झील बन गई है. झील का आकार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. अगर समय रहते मामले का संज्ञान नहीं लिया गया तो बरसात या उससे पहले बड़ा हादसा हो सकता है. झील की सूचना मिलने के बाद तहसीलदार पूजा शर्मा के नेतृत्व में सिंचाई विभाग, लोक निर्माण विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग की टीम ने शंभू नदी में बनी झील का निरीक्षण कर डीएम को रिपोर्ट सौंप दी है.

मॉनसून सीजन पर कपकोट तहसील के आपदाग्रस्त गांव कुंवारी की पहाड़ी से समय-समय पर भूस्खलन होता रहता है. वर्ष 2013 में भी भूस्खलन के कारण गांव की तलहटी पर बहने वाली शंभू नदी में झील बन गई थी. तब बारिश के पानी से नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी में जमा मलबा बह गया और खतरा टल गया था. साल 2018 में दोबारा वही हालात बने और अब 2022 तक इस बार नदी में भारी मात्रा में मलबा जमा होने के बाद नदी में करीब एक किलोमीटर लंबी और पचास मीटर चौड़ी झील बन गई है. इसकी जानकारी नदियों को जोड़ने की योजना के तहत सर्वे करने आई यूसेक की टीम को दे दी गई है.

शंभू नदी में लैंडस्लाइड से बनी 1KM लंबी झील.

झील टूटी तो हो सकती है तबाहीः वर्तमान में झील का आकार बढ़ता जा रहा है. वर्तमान में झील करीब 500 मीटर लंबी और 50 मीटर चौड़ी हो चुकी है. हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि झील की लंबाई इससे कहीं अधिक होगी. झील गहरी कितनी है, फिलहाल इसकी जानकारी नहीं है. मॉनसून में बारिश से यदि झील टूटी तो चमोली जिले में भारी नुकसान हो सकता है. पिंडर नदी चमोली जिले के थराली, नारायणबगड़ से होते हुए कर्णप्रयाग में अलकनंदा में जाकर मिलती है.
ये भी पढ़ेंः हल्द्वानी के पास है श्रीलंका टापू, मॉनसून में दुनिया से कट जाता है गांव का कनेक्शन

कुंवारी की ग्राम प्रधान धर्मा देवी और सामाजिक कार्यकर्ता खीम सिंह दानू बताते हैं कि भूस्खलन के कारण मलबा और बोल्डर गिरने से झील बनी है. उनका दावा है कि झील के संबंध में जनप्रतिनिधियों और प्रशासन तक को जानकारी है. बावजूद इसके इस दिशा में कोई संज्ञान नहीं लिया गया है. ऐसे में अगर झील टूटी तो चमोली जिले का बड़ा भूभाग नुकसान की जद में आ सकता है.

फॉरमेशन के टकराने से हो रहा भूस्खलनः उत्तराखंड के आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (डीएमएमसी) ने कुंवारी गांव को लेकर पूर्व में ही अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कुंवारी गांव के पास कपकोट फॉरमेशन एवं हत्थसिला फॉरमेशन होकर गुजर रहे हैं और उनके आपस में टकराने से टेक्टोनिक जोन बन रहा है. माना जा रहा है कि कुंवारी गांव की पहाड़ी पर हो रहा भूस्खलन उसी का फलस्वरूप है.

पिंडर नदी से मिलती है शंभू नदीः शंभू नदी बोरबलड़ा गांव के समीप शंभू ग्लेशियर से निकलती है. नदी कुंवारी गांव से करीब पांच किमी आगे पिंडारी ग्लेशियर से निकलने वाली पिंडर नदी में मिल जाती है. ग्रामीणों के अनुसार, झील बोरबलड़ा के तोक भराकांडे से करीब चार किमी और कुंवारी गांव की तलहटी से करीब दो किमी दूर कालभ्योड़ नामक स्थान पर बनी है जहां से करीब चार किमी आगे जाकर शंभू नदी पिंडर में मिल जाती है. शंभू नदी में बनी झील टूटी तो भारी मात्रा में पानी और मलबा बहेगा जो आगे जाकर पिंडर में मिलकर और शक्तिशाली बन जाएगा.

कपकोट एसडीएम पारितोष वर्मा ने बताया कि, शंभू नदी पर झील निर्माण की जानकारी नदियों को जोड़ने की योजना के तहत सर्वे करने आई यूसेक की टीम को हुई थी. झील निर्माण की सूचना मिलने के बाद रविवार को तहसीलदार पूजा शर्मा के नेतृत्व में सिंचाई, लोनिवि, पीएमजीएसवाई, आपदा प्रबंधन आदि विभागों की टीम शंभू नदी का निरीक्षण कर लौट आई है. रिपोर्ट डीएम को सौंपी जाएगी.

बागेश्वरः जिले को चमोली जिले से जोड़ने वाली शंभू नदी भूस्खलन के मलबे से पट गई है. शंभू नदी कभी भी बड़ी तबाही मचा सकती है. बागेश्वर जिले के अंतिम गांव कुंवारी से करीब दो किमी आगे भूस्खलन के मलबे से शंभू नदी में झील बन गई है. झील का आकार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. अगर समय रहते मामले का संज्ञान नहीं लिया गया तो बरसात या उससे पहले बड़ा हादसा हो सकता है. झील की सूचना मिलने के बाद तहसीलदार पूजा शर्मा के नेतृत्व में सिंचाई विभाग, लोक निर्माण विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग की टीम ने शंभू नदी में बनी झील का निरीक्षण कर डीएम को रिपोर्ट सौंप दी है.

मॉनसून सीजन पर कपकोट तहसील के आपदाग्रस्त गांव कुंवारी की पहाड़ी से समय-समय पर भूस्खलन होता रहता है. वर्ष 2013 में भी भूस्खलन के कारण गांव की तलहटी पर बहने वाली शंभू नदी में झील बन गई थी. तब बारिश के पानी से नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी में जमा मलबा बह गया और खतरा टल गया था. साल 2018 में दोबारा वही हालात बने और अब 2022 तक इस बार नदी में भारी मात्रा में मलबा जमा होने के बाद नदी में करीब एक किलोमीटर लंबी और पचास मीटर चौड़ी झील बन गई है. इसकी जानकारी नदियों को जोड़ने की योजना के तहत सर्वे करने आई यूसेक की टीम को दे दी गई है.

शंभू नदी में लैंडस्लाइड से बनी 1KM लंबी झील.

झील टूटी तो हो सकती है तबाहीः वर्तमान में झील का आकार बढ़ता जा रहा है. वर्तमान में झील करीब 500 मीटर लंबी और 50 मीटर चौड़ी हो चुकी है. हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि झील की लंबाई इससे कहीं अधिक होगी. झील गहरी कितनी है, फिलहाल इसकी जानकारी नहीं है. मॉनसून में बारिश से यदि झील टूटी तो चमोली जिले में भारी नुकसान हो सकता है. पिंडर नदी चमोली जिले के थराली, नारायणबगड़ से होते हुए कर्णप्रयाग में अलकनंदा में जाकर मिलती है.
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कुंवारी की ग्राम प्रधान धर्मा देवी और सामाजिक कार्यकर्ता खीम सिंह दानू बताते हैं कि भूस्खलन के कारण मलबा और बोल्डर गिरने से झील बनी है. उनका दावा है कि झील के संबंध में जनप्रतिनिधियों और प्रशासन तक को जानकारी है. बावजूद इसके इस दिशा में कोई संज्ञान नहीं लिया गया है. ऐसे में अगर झील टूटी तो चमोली जिले का बड़ा भूभाग नुकसान की जद में आ सकता है.

फॉरमेशन के टकराने से हो रहा भूस्खलनः उत्तराखंड के आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (डीएमएमसी) ने कुंवारी गांव को लेकर पूर्व में ही अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कुंवारी गांव के पास कपकोट फॉरमेशन एवं हत्थसिला फॉरमेशन होकर गुजर रहे हैं और उनके आपस में टकराने से टेक्टोनिक जोन बन रहा है. माना जा रहा है कि कुंवारी गांव की पहाड़ी पर हो रहा भूस्खलन उसी का फलस्वरूप है.

पिंडर नदी से मिलती है शंभू नदीः शंभू नदी बोरबलड़ा गांव के समीप शंभू ग्लेशियर से निकलती है. नदी कुंवारी गांव से करीब पांच किमी आगे पिंडारी ग्लेशियर से निकलने वाली पिंडर नदी में मिल जाती है. ग्रामीणों के अनुसार, झील बोरबलड़ा के तोक भराकांडे से करीब चार किमी और कुंवारी गांव की तलहटी से करीब दो किमी दूर कालभ्योड़ नामक स्थान पर बनी है जहां से करीब चार किमी आगे जाकर शंभू नदी पिंडर में मिल जाती है. शंभू नदी में बनी झील टूटी तो भारी मात्रा में पानी और मलबा बहेगा जो आगे जाकर पिंडर में मिलकर और शक्तिशाली बन जाएगा.

कपकोट एसडीएम पारितोष वर्मा ने बताया कि, शंभू नदी पर झील निर्माण की जानकारी नदियों को जोड़ने की योजना के तहत सर्वे करने आई यूसेक की टीम को हुई थी. झील निर्माण की सूचना मिलने के बाद रविवार को तहसीलदार पूजा शर्मा के नेतृत्व में सिंचाई, लोनिवि, पीएमजीएसवाई, आपदा प्रबंधन आदि विभागों की टीम शंभू नदी का निरीक्षण कर लौट आई है. रिपोर्ट डीएम को सौंपी जाएगी.

Last Updated : Jun 27, 2022, 6:27 PM IST
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