बागेश्वर: उत्तरायणी मेला पूरे रंग में चढ़ चुका है. नुमाइशखेत मैदान में लगी विकास प्रदर्शनी में लोगों की भीड़ उमड़ रही है. मेला आने वाले को स्थानीय किसान और शिल्पकारों के बनाए उत्पाद काफी पसंद आ रहे हैं. जिससे स्थानीय उत्पादों की अच्छी खरीदारी हो रही है.
विकास प्रदर्शनी में लगे उद्यान विभाग के स्टॉल पर आई सब्जियों लोगों को अपनी ओर खींच रही हैं. स्टॉल पर तोली निवासी किसान बलवंत सिंह के उगाए 10 मीटर लंबा बड़ी इलायची का पौधा, कांडा के खीमानंद की उगाई 9.400 किलो की तुमड़ी, सात किलो का कद्दू, डंगोली निवासी लीला मेहता की उगाई चार किलो की ब्रोकली, कर्मी गांव की कलावती देवी की उगाई साढ़े तीन किलो की गोल मूली, कर्मी गांव की दीपा देवी की उगाई छह किलो की लौकी लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी है.
अपर उद्यान अधिकारी कुलदीप जोशी ने बताया कि स्टॉल से किसानों को विभागीय योजनाओं की जानकारी दी जा रही है. उत्तरायणी मेले में वन विभाग के स्टॉल में उपलब्ध जायका स्वायत्त सहकारिता समूह के उत्पाद लोगों की पसंद बन रहे हैं. स्टॉल में जिले के 82 वन पंचायतों के सहयोग से बने खाद्य उत्पादों की बिक्री हो रही है. स्टॉल में वन विभाग की ओर से पौधे भी बिक्री के लिए उपलब्ध हैं. जायका समूह अब तक 70 हजार से अधिक का उत्पाद बेच चुका है.
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नुमाइशखेत मैदान में लगे वन विभाग के स्टॉल में स्थानीय खाद्य उत्पाद लाल चावल, मडुवे का आटा, भंगीरा, अचार, जूस, रिंगाल के उत्पाद, काली भट्ट, सोयाबीन समेत अन्य स्थानीय दालें आदि की लोगों में अच्छी मांग है. समूह से जुड़े लोगों ने इन उत्पादों को घर पर तैयार करने के बाद शानदार पैकिंग में स्टॉल पर बिक्री के लिए रखा है.स्टॉल में एक्वेरियम की तर्ज पर बना टेरेरियम लोगों को आकर्षित कर रहा है. इस टेरेरियम में 20 प्रकार के कैक्टस के पौधे रखे गए हैं. विभाग की ओर से शमी, मोरपंखी आदि के पौधे न्यूनतम दाम में लोगों को बिक्री किए जा रहे हैं.
रेंजर श्याम सिंह करायत ने बताया कि उत्तराखंड में 50 प्रकार के कैक्टस होते हैं, जिनमें से प्रमुख कैक्टस चुनकर टेरेरियम में रखे गए हैं. स्टॉल में पिंडारी क्षेत्र में पाया जाने वाले चूक के पौधे और जूस, औषधि के रूप में उपयोग होने वाला थुनेर समेत 50 से अधिक प्रकार के पौधे उपलब्ध हैं. स्टॉल में लोगों को विभागीय योजनाओं और पौधों के बारे में जानकारी भी दी जा रही है.