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उत्तराखंड में 3-3 सरकारें आई और गई, नहीं बन सकी बागेश्वर की दो मंजिला पार्किंग - बागेश्वर खंडूड़ी की घोषणा समाचार

उत्तराखंड में सरकारी कामकाज कितने धीमे चलते हैं इसका जीता-जागता उदाहरण बागेश्वर में बन रही दो मंजिला पार्किंग है. 2009 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने पार्किंग बनाने की घोषणा की थी. चौंकाने वाली बात ये है कि पार्किंग अभी तक नहीं बनी है.

Bageshwar Parking News
बागेश्वर पार्किंग समाचार
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Published : May 10, 2022, 1:28 PM IST

बागेश्वर: तत्कालीन मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत नगर में बन रहे दो मंजिला पार्किंग के निर्माण में बजट की कमी आड़े आ गई है. 2 करोड़ 12 लाख की लागत की पार्किंग के लिए सरकार से केवल ₹50 लाख ही मिल पाए हैं. समय पर बजट नहीं मिलने से पार्किंग का काम अधर में लटक गया है.

2009 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूड़ी ने नगर में पार्किंग निर्माण कराने की घोषणा की थी. उसके अनुरूप शासन से एक करोड़ की राशि स्वीकृत की गई. पार्किंग के निर्माण के लिए बजट अवमुक्त न होने के कारण पार्किंग की लागत बढ़ती गई. अब पार्किंग की लागत दो करोड़ 12 लाख हो गई है. 2019 की शुरुआत में गुरु रोड पर कोतवाली के आगे 60 वाहन क्षमता वाले दो मंजिला पार्किंग का निर्माण कार्य शुरू हुआ. शासन ने पहली किश्त के रूप में ₹50 लाख दिए.

पिछली बरसात में भूस्खलन होने से पार्किंग का काम बाधित रहा. उससे पहले लॉकडाउन के कारण भी कार्य बंद रहा. पार्किंग के भूतल में लिंटर तो पड़ गया है पर अभी भी काफी काम शेष है. इस कार्य में ₹50 लाख से अधिक की राशि खर्च हो गई है. अभी तक 20% काम ही हो पाया है. जबकि पार्किंग को बनते-बनते 4 साल हो गए हैं. वहीं पालिका की ईओ सतीश कुमार ने बताया कि प्रथम तल के कार्य के लिए पालिका को बजट की दरकार है.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड : विधानसभा की पार्किंग में नए विधायकों की गाड़ियों की चकाचौंध, 14 से 90 लाख तक की कारें !

अभी भी एक करोड़ 62 लाख रुपए की राशि अवशेष है. पालिका के पास इतने संसाधन नहीं हैं कि पार्किंग का कार्य पूरा किया जा सके. वहीं जिले में पार्किंग नहीं होने से लोगों के द्वारा सड़क किनारे गाड़ियां खड़ी की जाती हैं. इससे नगर में पल-पल जाम लगता है. वहीं सबसे अधिक परेशानी पर्यटकों को हो रही है.

बागेश्वर: तत्कालीन मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत नगर में बन रहे दो मंजिला पार्किंग के निर्माण में बजट की कमी आड़े आ गई है. 2 करोड़ 12 लाख की लागत की पार्किंग के लिए सरकार से केवल ₹50 लाख ही मिल पाए हैं. समय पर बजट नहीं मिलने से पार्किंग का काम अधर में लटक गया है.

2009 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूड़ी ने नगर में पार्किंग निर्माण कराने की घोषणा की थी. उसके अनुरूप शासन से एक करोड़ की राशि स्वीकृत की गई. पार्किंग के निर्माण के लिए बजट अवमुक्त न होने के कारण पार्किंग की लागत बढ़ती गई. अब पार्किंग की लागत दो करोड़ 12 लाख हो गई है. 2019 की शुरुआत में गुरु रोड पर कोतवाली के आगे 60 वाहन क्षमता वाले दो मंजिला पार्किंग का निर्माण कार्य शुरू हुआ. शासन ने पहली किश्त के रूप में ₹50 लाख दिए.

पिछली बरसात में भूस्खलन होने से पार्किंग का काम बाधित रहा. उससे पहले लॉकडाउन के कारण भी कार्य बंद रहा. पार्किंग के भूतल में लिंटर तो पड़ गया है पर अभी भी काफी काम शेष है. इस कार्य में ₹50 लाख से अधिक की राशि खर्च हो गई है. अभी तक 20% काम ही हो पाया है. जबकि पार्किंग को बनते-बनते 4 साल हो गए हैं. वहीं पालिका की ईओ सतीश कुमार ने बताया कि प्रथम तल के कार्य के लिए पालिका को बजट की दरकार है.

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अभी भी एक करोड़ 62 लाख रुपए की राशि अवशेष है. पालिका के पास इतने संसाधन नहीं हैं कि पार्किंग का कार्य पूरा किया जा सके. वहीं जिले में पार्किंग नहीं होने से लोगों के द्वारा सड़क किनारे गाड़ियां खड़ी की जाती हैं. इससे नगर में पल-पल जाम लगता है. वहीं सबसे अधिक परेशानी पर्यटकों को हो रही है.

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