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ऋषि पंचमी पर धौलीनाग मंदिर में हुई नाग देवता की पूजा, 22 फीट लंबी मशाल लेकर पहुंचते हैं ग्रामीण

विजयपुर के धौलीनाग मंदिर में ऋषि पंचमी पर्व पर आयोजित मेले में 22 गांवों के लोग नाग देवता की पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे और सुख समृद्धि की कामना की.

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Published : Sep 3, 2019, 11:39 PM IST

Updated : Sep 3, 2019, 11:52 PM IST

dhauli nag

बागेश्वरः विजयपुर के धौलीनाग मंदिर में ऋषि पंचमी पर्व के मौके पर एक दिवसीय मेले का भव्य आयोजन किया गया. इस दौरान मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. मेले में क्षेत्र के 22 गांवों के लोग नाग देवता की पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे और सुख समृद्धि की कामना की. सांस्कृतिक कार्यक्रम और भंडारे के बाद इस मेले का समापन हुआ.

विजयपुर के धौलीनाग मंदिर में उमड़ी भीड़.

बता दें कि, विजयपुर में धौलीनाग देवता को समर्पित एक पौराणिक मंदिर है. ये मंदिर एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है. हालांकि, मंदिर में रोजाना पूजा होती है, लेकिन कुछ खास मौकों पर काफी भीड़ रहती है. नवरात्र की पंचमी में धपोलासेरा के ग्रामीण 22 फीट लंबी चीड़ के छिलकों से बनी मशाल लेकर रात में मंदिर में पहुंचते हैं.

dhauli nag
मेले में पहुंचे लोग.

ये भी पढ़ेंः मानसून सीजन में धीमी पड़ी केदारनाथ यात्रा, डेढ़ महीने में 38 हजार भक्तों ने किए दर्शन

माना जाता है कि जब धौलीनाग भगवान इस पहाड़ी में आए तो उन्होंने ग्रामीणों को आवाज देकर अपने पास बुलाया था. आवाज सुनकर रात में ही धपोलासेरा के धपोला लोग 22 फीट लंबी चीड़ के छिलके से बनी जलती मशाल को हाथ में लेकर मंदिर क्षेत्र में पहुंचे थे. इस दौरान उन्हें पंचमी के नवरात्र पर्व पर एक दिव्यशिला मिली थी. उन्होंने शिला को शक्ति रूप में स्थापित कर दिया था. जिसके बाद से ही ये परंपरा आज भी बदस्तूर निभाई जाती है.

बागेश्वरः विजयपुर के धौलीनाग मंदिर में ऋषि पंचमी पर्व के मौके पर एक दिवसीय मेले का भव्य आयोजन किया गया. इस दौरान मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. मेले में क्षेत्र के 22 गांवों के लोग नाग देवता की पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे और सुख समृद्धि की कामना की. सांस्कृतिक कार्यक्रम और भंडारे के बाद इस मेले का समापन हुआ.

विजयपुर के धौलीनाग मंदिर में उमड़ी भीड़.

बता दें कि, विजयपुर में धौलीनाग देवता को समर्पित एक पौराणिक मंदिर है. ये मंदिर एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है. हालांकि, मंदिर में रोजाना पूजा होती है, लेकिन कुछ खास मौकों पर काफी भीड़ रहती है. नवरात्र की पंचमी में धपोलासेरा के ग्रामीण 22 फीट लंबी चीड़ के छिलकों से बनी मशाल लेकर रात में मंदिर में पहुंचते हैं.

dhauli nag
मेले में पहुंचे लोग.

ये भी पढ़ेंः मानसून सीजन में धीमी पड़ी केदारनाथ यात्रा, डेढ़ महीने में 38 हजार भक्तों ने किए दर्शन

माना जाता है कि जब धौलीनाग भगवान इस पहाड़ी में आए तो उन्होंने ग्रामीणों को आवाज देकर अपने पास बुलाया था. आवाज सुनकर रात में ही धपोलासेरा के धपोला लोग 22 फीट लंबी चीड़ के छिलके से बनी जलती मशाल को हाथ में लेकर मंदिर क्षेत्र में पहुंचे थे. इस दौरान उन्हें पंचमी के नवरात्र पर्व पर एक दिव्यशिला मिली थी. उन्होंने शिला को शक्ति रूप में स्थापित कर दिया था. जिसके बाद से ही ये परंपरा आज भी बदस्तूर निभाई जाती है.

Intro:एंकर- विजयपुर के धौलीनाग मंदिर में आज ऋषि पंचमी के पर्व पर एक दिवसीय मेले का भव्य आयोजन किया गया। मंदिर में सुबह से पूजा अर्चना करने वालों का तांता लग गया है।
वीओ- बागेश्वर के विजयपुर में धौलीनाग देवता को सर्मिपत एक पौराणिक मंदिर है। विजयपुर के पास धौलीनाग मंदिर एक पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है। धौलीनाग मंदिर मे रोजाना पूजा होती है और कुछ खास दिनों मे बहुत भीड़-भाड़ होती है। आज ऋषि पंचमी के अवसर पर सुबह से ही मंदिर में क्षेत्र के 22 गांवों के लोग नाग देवता की पूजा- अर्चना को पहुचे। इस अवसर पर मंदिर में मेले का आयोजन हुआ। सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने को लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। वहीं शाम को भण्डारे के साथ एक दिवसीय मेले का समापन हुआ।

- नवरात्र की पंचमी को 22 फिट लंबी चीड़ के छिलकों से बनी मशाल लेकर रात्रि में मंदिर में पहुंचते हैं धपोलसेरा के ग्रामीण
लोक मान्यता है कि जब धौलीनाग भगवान इस पहाड़ी में आए तो उन्होंने ग्रामीणों को आवाज देकर अपने पास बुलाया था। आवाज सुनकर रात में ही धपोलासेरा के धपोला लोग 22 फिट लंबी चीड़ के छिलके से बनी जलती मशाल को हाथ में लेकर मंदिर क्षेत्र में पहुंचे तो वहां पंचमी के नवरात्र पर्व पर एक दिव्यशिला मिली, जिसे उन्होंने शिला को शक्ति रूप में स्थापित कर दिया। यह परंपरा नवरात्र की पंचमी को आज भी बदस्तूर निभाई जाती है।

बाईट 01- अजय चन्दोला, सदस्य मेला समिति धौलीनाग।
बाईट 02- ग्रामीण।Body:वीओ- बागेश्वर के विजयपुर में धौलीनाग देवता को सर्मिपत एक पौराणिक मंदिर है। विजयपुर के पास धौलीनाग मंदिर एक पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है। धौलीनाग मंदिर मे रोजाना पूजा होती है और कुछ खास दिनों मे बहुत भीड़-भाड़ होती है। आज नाग पंचमी के अवसर पर सुबह से ही मंदिर में क्षेत्र के 22 गांवों के लोग नाग देवता की पूजा- अर्चना को पहुचे। इस अवसर पर मंदिर में मेले का आयोजन हुआ। सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने को लोगों की भारी भीड़ उमड़ी।
वहीं शाम को भण्डारे के साथ एक दिवसीय मेले का समापन हुआ।

- नवरात्र की पंचमी को 22 हाथ लंबी चीड़ के छिलकों से बनी मशाल लेकर रात्रि में मंदिर में पहुंचते हैं धपोलसेरा के ग्रामीण

लोक मान्यता है कि जब धौलीनाग भगवान इस पहाड़ी में आए तो उन्होंने ग्रामीणों को आवाज देकर अपने पास बुलाया था। आवाज सुनकर रात में ही धपोलासेरा के धपोला लोग 22 हाथ लंबी चीड़ के छिलके से बनी जलती मशाल को हाथ में लेकर मंदिर क्षेत्र में पहुंचे तो वहां पंचमी के नवरात्र पर्व पर एक दिव्यशिला मिली, जिसे उन्होंने शिला को शक्ति रूप में स्थापित कर दिया। यह परंपरा नवरात्र की पंचमी को आज भी बदस्तूर निभाई जाती है।

बाईट 01- अजय चन्दोला, सदस्य मेला समिति धौलीनाग।
बाईट 02- ग्रामीण।Conclusion:
Last Updated : Sep 3, 2019, 11:52 PM IST
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